नोएडा के परिषदीय स्कूलों में शिक्षा विभाग की पहल, बच्चों के साथ सहजता बढ़ाने के लिए जन्मदिन मनाने का सुझाव
गौतम बुद्ध नगर जिला के परिषदीय स्कूलों के स्टूडेंट्स के साथ आत्मीयता और सहजता स्थापित करने के उद्देश्य से महीने के अंत में उनका जन्मदिन मनाया जाएगा. शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने यह जानकारी दी.
पीटीआई-भाषा के मुताबिक अधिकारियों ने बताया कि इसके साथ ही स्टूडेंट्स की शैक्षिक प्रगति को बताने के लिए शिक्षक स्टूडेंट्स के घर जाकर पेरेंट्स से बातचीत करेंगे. इससे स्टूडेंट्स के स्कूल से गैर हाजिर रहने जैसी प्रवृत्ति पर भी अंकुश लगेगा. अध्यापक पेरेंट्स के साथ बैठक और संवाद भी करेंगे.
‘छात्र ज्यादा सहज हो सकेंगे’
शिक्षा विभाग के अधिकारियों के अनुसार इस नई पहल से छात्र स्कूल और शिक्षकों के साथ ज्यादा सहज हो सकेंगे. इसका प्रभाव उनकी शिक्षण गुणवत्ता पर पड़ेगा. जब शिक्षक छात्र के घर पहुंचेंगे तो वह छात्र के विषय में विस्तार से पेरेंट्स को बता सकेंगे. स्कूल और स्टूडेंट्स के परिवार की एक दूसरे से नजदीकी बढ़ेगी. इससे स्टूडेंट्स की स्कूलों में उपस्थिति बढ़ाने में भी मदद मिलेगी.
अधिकारियों ने बताया कि महीने में एक बार शिक्षकों और पेरेंट्स की संयुक्त बैठक भी होगी. तीन महीने में एक बार शिक्षा चौपाल का आयोजन कराया जाएगा. पढ़ाई में कमजोर स्टूडेंट्स का शैक्षिक स्तर सुधारने में भी ये कदम मदद करेंगे. अन्य गैर शिक्षण गतिविधियां, खेल, भ्रमण आदि जारी रहेंगे.
विभाग को है इस पहल से इस फायदे की उम्मीद
विभाग का मानना है कि जन्मदिन मनाने और शिक्षक-अभिभावक संयुक्त बैठक से 20 फीसदी तक छात्रों की हाजिरी स्कूलों में बढ़ जाएगी. कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालयों में छात्राओं का जन्मदिन मनाया जाता है. परिषदीय विद्यालयों में यह अब शुरू हो रहा है.
पीटीआई-भाषा के मुताबिक गौतम बुद्ध नगर जिला के बेसिक शिक्षा अधिकारी राहुल पवार ने बताया कि विद्यार्थियों को स्कूल के प्रति सहज करने के लिए जन्मदिन मनाने, पेरेंट्स के साथ शिक्षकों का संवाद जैसे कदम उठाए जा रहे हैं. शैक्षिक प्रगति को घर पर जाकर माता पिता को बताया जाएगा. उन्होंने कहा कि इस दौरान उत्तर प्रदेश सरकार की योजनाओं की जानकारी भी दी जाएगी.
शिक्षा विभाग की पहल का विरोध
उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ के मेरठ मंडल के अध्यक्ष मेघराज भाटी ने कहा, ‘विभाग का यह फैसला तुगलकी फरमान है. जन्मदिन मनाने और घर-घर जाने के लिए बजट ही नहीं है. शिक्षकों पर पहले से ही गैर शिक्षण कार्यों का भार है. ऐसे में इस तरह के कामों को जोड़ देने से शैक्षिक गुणवत्ता नहीं दे पाएंगे. शिक्षक का मूल कार्य शिक्षण करना है.’