ताइवान से श्रीलंका तक दादागिरी दिखा रहे चीन को भारत ने दिखाया आईना, दुखती रग पर हाथ रखा
बीजिंग: ताइवान से लेकर श्रीलंका तक दादागिरी दिखा रहे चीनी ड्रैगन को भारत ने करारा जवाब दिया है। श्रीलंका में चीनी राजदूत के जहरीले बयान के बाद कोलंबो में भारतीय उच्चायोग ने न केवल करारा जवाब दिया, बल्कि पहली बार ड्रैगन के दुखती रग ताइवान का जिक्र करके जोरदार पलटवार भी किया। भारत की तरफ से ‘ताइवान जलडमरूमध्य में चीन की ओर से किए जा रहे विनाशकारी हथियारों के जमावड़े’ का उल्लेख किया गया जो अपने आप में बहुत ही दुर्लभ मामला है।
श्रीलंका में भारत के उच्चायोग की ओर से शनिवार को जारी बयान में ताइवान जलडमरू मध्य में चल रहे हालात पर और ज्यादा साफ रुख सामने आया है जो नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा और उसके बाद चीन की ओर से व्यापक युद्धाभ्यास के समय जारी बयान से ज्यादा स्पष्ट है। द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक इससे पहले भारत के विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में ताइवान स्ट्रेट में सैन्यीकरण का जिक्र नहीं किया गया था। भारत ने केवल इतना कहा था कि वह इस हालिया घटनाक्रम से चितिंत है और संयम बरतने की अपील की थी।
भारत ने यह भी अपील की थी कि ताइवान स्ट्रेट में यथास्थिति बरतने को बदलने के लिए एकतरफा कार्रवाई से बचा जाए, तनाव को कम करने के प्रयास किए जाएं और इलाके में स्थिरता और शांति को बरकरार रखा जाए। 12 अगस्त को भारतीय विदेश मंत्रालय से जब यह पूछा गया कि क्या आप एक चीन नीति को दोहराएंगे जैसाकि चीन की ओर से अनुरोध किया गया है तो तब मंत्रालय ने कहा कि ‘भारत की प्रासंगिक नीतियां सभी जानते हैं और यह लगातार बनी हुई हैं। और दोबारा उसे दोहराने की जरूरत नहीं है।भारत और चीन के बीच विवाद में ताइवान का जिक्र ऐसे समय पर हुआ है जब चीनी सेना के जासूसी जहाज की श्रीलंका यात्रा को लेकर ड्रैगन के साथ नई दिल्ली का विवाद काफी बढ़ गया है। इस विवाद पर श्रीलंका में चीन के राजदूत ने जहरीला बयान देते हुए कहा था कि श्रीलंका अपने ‘उत्तरी पड़ोसी’ (भारत) से आक्रामकता का सामना कर रहा है। इस पर पलटवार पर करते हुए भारतीय उच्चायोग ने चीनी राजदूत के बयान को ‘राजनयिक शिष्टाचार का एक उल्लंघन बताया था।’
श्रीलंका को मदद की जरूरत, न कि दबाव की: भारत
भारतीय उच्चायोग ने कहा, ‘हमने चीनी राजदूत की टिप्पणियों पर गौर किया है। बुनियादी राजनयिक शिष्टाचार का उल्लंघन उनका एक व्यक्तिगत गुण हो सकता है या किसी व्यापक राष्ट्रीय रवैये को दर्शाता है। हम उन्हें आश्वस्त करते हैं कि भारत इससे बहुत अलग है।’ भारत ने कहा कि आज श्रीलंका को मदद की जरूरत है न कि किसी दूसरे देश के अजेंडे को पूरा करने के लिए अवांछित दबाव या अनावश्यक विवादों की जरूरत है
इससे पहले चीनी राजदूत ने अपने एक जहरीले बयान में कहा था कि चीन इस बात से खुश है कि मामला निपट गया है। उन्होंने कहा कि चीन और श्रीलंका संयुक्त रूप से एक-दूसरे की संप्रभुता, स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखंडता की सुरक्षा करते हैं। यह ताजा मामला चीन के जासूसी जहाज ‘युआन वांग 5’ को लेकर भड़का। इस चीनी जहाज 11 अगस्त को हंबनटोटा बंदरगाह पर पहुंचना था लेकिन भारत के सुरक्षा चिंता जताने के बाद श्रीलंकाई अधिकारियों से उसे अनुमति नहीं मिलने के कारण इसके पहुंचने में देरी हुई थी। बाद में श्रीलंका ने भारत और अमेरिका की आपत्ति को दरकिनार करते हुए चीनी जहाज को मंजूरी दे दी थी।