‘खतरे ग्लोबल हैं तो उससे निपटने का तरीका भी ग्लोबल होना चाहिए’, अंतरराष्ट्रीय वकील सम्मेलन में बोले PM मोदी
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) शनिवार को नई दिल्ली में आयोजित अंतरराष्ट्रीय वकील सम्मेलन 2023 (International Lawyers Conference 2023) को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि जब खतरे ग्लोबल हों तो उनसे निपटने का तरीका भी ग्लोबल होना चाहिए।
पीएम मोदी ने कहा, “आज जब भारत के प्रति दुनिया का भरोसा बढ़ रहा है उसमें भारत की निष्पक्ष और स्वतंत्र न्याय व्यवस्था की बड़ी भूमिका है। आज भारत कई ऐतिहासिक निर्णयों का साक्षी बना है। एक दिन पहले ही भारत की संसद ने लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण देने का कानून पास किया है। नारी शक्ति वंदन अधिनियम भारत में महिलाओं के नेतृत्व में विकास को नई दिशा और ऊर्जा देगा।”
विकसित होने के लिए मेहनत कर रहा भारत
पीएम ने कहा, “कुछ ही दिनों पहले जी20 शिखर सम्मेलन में दुनिया ने हमारी डेमोक्रेसी, डेमोग्राफी और डिप्लोमेसी की झलक देखी। एक महीने पहले आज के ही दिन भारत चंद्रमा के साउथ पोल पर पहुंचने वाला दुनिया का पहला देश बना था। ऐसी अनेक उपलब्धियों के आत्मविश्वास से भरा भारत आज 2047 तक विकसित होने के लक्ष्य के लिए मेहनत कर रहा है और निश्चित तौर पर इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए भारत को एक मजबूत निष्पक्ष स्वतंत्र न्यायिक व्यवस्था का आधार चाहिए।”
ग्लोबल फ्रेमवर्क तैयार करना जरूरी
पीएम ने कहा, “21वीं सदी में आज हम एक ऐसी दुनिया में रह रहे हैं जो गहराई से जुड़ी हुई है। हर लीगल माइंड या इंस्टीट्यूशन अपने ज्यूरिडिक्शन को लेकर बहुत सचेत है, लेकिन ऐसी कई ताकते हैं जिनके खिलाफ हम लड़ रहे हैं वो बॉर्डर या ज्यूरिडिक्शन की परवाह नहीं करतीं। जब खतरे ग्लोबल हैं तो उनसे निपटने का तरीका भी ग्लोबल होना चाहिए। साइबर टेररिज्म, मनी लॉन्ड्रिंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और इसके दुरुपयोग की भरपूर संभावनाएं हो, ऐसे अनेक मुद्दों पर सहयोग के लिए ग्लोबल फ्रेमवर्क तैयार करना सिर्फ किसी शासन या सरकार से जुड़ा मामला नहीं है। इसके लिए अलग-अलग देशों के लीगल फ्रेमवर्क को एक-दूसरे से जुड़ना होगा। जैसे हम एयर ट्राफिक कंट्रोल के लिए मिलकर काम करते हैं। उसी तरह हमें अलग-अलग डोमेन में ग्लोबल फ्रेमवर्क तैयार करना ही होगा।”
उन्होंने कहा, “भाषा और कानून की सरलता को लेकर काम किया जाना चाहिए। भारत सरकार सोच रही है कि कानून दो प्रकार से पेश किए जाने चाहिए। एक वह जिसके आपलोग आदी हैं और दूसरा देश का सामान्य व्यक्ति समझ सके ऐसी भाषा। उसको कानून भी अपना लगना चाहिए। कोशिश कर रहे हैं। मेरे पास काफी काम है और समय भी बहुत है तो करता रहूंगा।”