दुष्कर्म के आरोप में निलंबित आइएएस अफसर ने गृह मंत्रालय को पत्र लिखकर रखा अपना पक्ष, पेश किए तमाम दस्तावेज
नई दिल्ली. अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह में 21 वर्षीय महिला के यौन उत्पीड़न के आरोप में सोमवार को सेवा से निलंबित किये गए वरिष्ठ आईएएस अधिकारी जितेंद्र नारायण ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को पत्र लिखा है. इसमें दावा किया गया कि कि वह 14 अप्रैल को एक आधिकारिक दौरे पर दिल्ली में थे, जब पहली बार कथित उत्पीड़न हुआ. पांच अक्टूबर के पत्र की एक प्रति पीटीआई ने देखी. इस पत्र में अधिकारी ने कहा है कि वह 11 अप्रैल 2022 और 18 अप्रैल 2022 के बीच दिल्ली में थे और उन्होंने अपने दौरे का विवरण दिया है. हालांकि केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से पत्र को लेकर कोई पुष्टि नहीं की गई.
महिला की शिकायत के अनुसार पहला कथित यौन उत्पीड़न 14 अप्रैल 2022 को और दूसरा एक मई 2022 को हुआ था. निलंबित अधिकारी ने अपने दावे को पुष्ट करने के लिए उक्त पत्र में पोर्ट ब्लेयर के बाहर के दौरे की फाइल नोटिंग, पीएनआर नंबर, बोर्डिंग पास सहित उड़ान विवरण और नई दिल्ली में अंडमान निकोबार भवन में अपने ठहरने के बिल का विवरण दिया है.कथित घटना के दौरान अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह के मुख्य सचिव रहे नारायण ने दावा किया कि एक मई को वह एक दोस्त से संबंधित कुछ व्यक्तिगत कानूनी मुद्दों में व्यस्त थे, जो उस सुबह पोर्ट ब्लेयर पहुंचा था नारायण ने अपने दोस्त का यात्रा विवरण भी मुहैया कराया है.
कॉल डेटा और लोकेशन की दी जानकारी
उन्होंने कहा कि उनके दावे की पुष्टि के लिए उनके कॉल डेटा रिकॉर्ड और सेल फोन लोकेशन की जांच की जा सकती है. उन्होंने लिखा ‘आरोप इस कारण से पूरी तरह से असत्य हैं क्योंकि वे कथित तारीखों और समय अवधि में असंभव हैं.’ उन्होंने पत्र में दावा किया ‘मैं यह भी जानता हूं कि पुलिस अधिकारी उन दो तिथियों की परिस्थितियों से पूरी तरह अवगत हैं, फिर भी निहित स्वार्थ की संतुष्टि के लिए कुछ शक्तिशाली व्यक्तियों के इशारे पर इस झूठे और कष्टप्रद अभियोजन को जारी रखने दे रहे हैं.’
नारायण ने आरोप लगाया कि उन्हें फंसाया जा रहा है
टिप्पणी के लिए सम्पर्क किये जाने पर नारायण ने कहा कि वह ‘बेतुके’ आरोपों पर कुछ नहीं बोलेंगे, हालांकि उनके करीबी सूत्रों ने पुष्टि की कि उन्होंने आरोपों से इनकार करते हुए गृह मंत्रालय और अन्य अधिकारियों को एक विस्तृत पत्र भेजा था. नारायण ने आरोप लगाया कि उन्हें इसलिए फंसाया जा रहा है क्योंकि उन्होंने एक कर्मचारी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की थी. सरकार ने सोमवार को नारायण को निलंबित कर दिया, जो वर्तमान में दिल्ली वित्तीय निगम के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक के तौर पर तैनात थे.
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा अधिकारियों की अनुशासनहीनता सहन नहीं
केंद्रीय गृह मंत्रालय के एक बयान में कहा गया कि सरकार अपने अधिकारियों द्वारा अनुशासनहीनता के कृत्यों को कतई सहन नहीं करेगी. विशेष रूप से महिलाओं की गरिमा से जुड़ी घटनाओं के संबंध में, चाहे वे किसी भी पद पर हों. बयान के अनुसार मंत्रालय को रविवार को अंडमान एवं निकोबार पुलिस से नारायण द्वारा 21 वर्षीय एक महिला के कथित यौन उत्पीड़न के संबंध में एक रिपोर्ट मिली थी. जब वह द्वीपसमूह के मुख्य सचिव के रूप में कार्यरत थे.
बयान के अनुसार रिपोर्ट में 1990 बैच के एजीएमयूटी कैडर के आईएएस अधिकारी नारायण द्वारा गंभीर कदाचार और सरकारी पद के दुरुपयोग का संकेत था. गृह मंत्री अमित शाह ने संबंधित अधिकारी के खिलाफ कानून के अनुसार तत्काल सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए. बयान में कहा गया है कि नारायण को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया और उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई का आदेश दिया गया है.