हाईकोर्ट ने विधान सभा सचिवालय में राज्य गठन से अब तक हुई अवैध नियुक्तियों तथा सचिव विधानसभा की नियुक्ति के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने सचिव विधानसभा मुकेश सिंघल को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने को कहा है। जनहित याचिका में केंद्र सरकार, राज्य सरकार, सचिव कार्मिक, चुनाव आयोग भारत सरकार, राज्य चुनाव आयोग, गृह सचिव, वित्त सचिव, सीबीआई, मुख्यमंत्री, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष यशपाल आर्य, गोंविन्द सिंह कुंजवाल व प्रेम चंद्र अग्रवाल को भी पक्षकार बनाया गया है। जबकि कोर्ट ने इन्हें याचिका से हटाने को कहा है। मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ में हुई।
मामले के अनुसार देहरादून निवासी डॉ. बैजनाथ ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा है, कि विधानसभा सचिवालय में वर्ष 2000 से अब तक सैकड़ो अवैध नियुक्तियां की गई हैं। याचिकर्ता ने याचिका में कहा है, कि वर्ष 2001 में 53, वर्ष 2002 में 28, वर्ष 2003 में पांच, वर्ष 2004 में 18, वर्ष 2005 में आठ, वर्ष 2006 में 21, वर्ष 2007 में 27, वर्ष 2008 में एक, वर्ष 2013 में एक, वर्ष 2014 में सात, वर्ष 2016 में 149, वर्ष 2020 में छह तथा वर्ष 2021 72 लोगों को नियुक्ति दी गई। राज्य गठन के बाद अबतक सचिवालय में कुल 396 नियुक्तियां ऐसी की गई हैं, जिनके लिए कोई विज्ञप्ति जारी नहीं हुई। अभ्यर्थियों को प्रार्थना पत्र के आधार पर नियुक्ति दे दी गई। यही नहीं सचिव विधान सभा मुकेश सिंघल की नियुक्ति भी नियम विरुद्ध की गई है। जब इसकी जांच विधानसभा अध्यक्ष की ओर से तीन सदस्यीय कमेटी गठित कर कराई गई तो जांच में कमेटी ने सभी नियुक्तियों के साथ ही सचिव की नियुक्ति को भी नियम विरुद्ध बताया। मगर 2016 के बाद नियुक्त किए गए कर्मचारियों को हटा दिया गया। जनहित याचिका में वर्ष 2000 से अब तक सभी नियुक्तियों तथा सचिव की नियुक्ति को रद्द करने की प्रार्थना की गई।