नैनीताल: उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने गुरुवार को फर्जी शिक्षक प्रकरण की सुनवाई के दौरान सख्त रूख अख्तियार करते हुए सरकार से 10 अक्टूबर तक अभी तक की प्रगति रिपोर्ट पेश करने को कहा। अदालत ने कहा कि सरकार यह भी बताए कि तीन साल में इस मामले में कितनी प्रगति हुई है।
काठगोदाम दमुवाढूंगा की स्टूडेंट गार्जियन वेलफेयर कमेटी की ओर से दायर जनहित याचिका पर मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की युगलपीठ में सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता त्रिभुवन पांडे की ओर से कहा गया कि अदालत ने सन 2020 में सरकार को निर्देश दिए थे कि तीन महीने के अदंर शिक्षा महकमे में तैनात सभी शिक्षकों के दस्तावेजों और डिग्रियों की जांच कर फर्जी शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई अमल में लाएं लेकिन सरकार ठोस कदम नहीं उठा पाई हैं।
सुनवाई के लिए 10 अक्टूबर की तिथि तय
सरकार की ओर से कहा गया कि प्रदेश में लगभग 33000 शिक्षक मौजूद हैं। लगभग 12000 शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की जांच पूरी हो चुकी है। इनमें से 69 शिक्षकों के दस्तावेज फर्जी पाए गए हैं जबकि 57 के खिलाफ सरकार कार्रवाई कर चुकी है। अदालत सरकार के जवाब से संतुष्ट नहीं हुई। अदालत ने इलैक्ट्रानिक माध्यमों के युग में सरकार की जांच की गति पर सवाल उठाए। अदालत ने कहा कि पिछले तीन साल से सरकार इस मामले में सोई हुई है। अंत में अदालत ने सरकार को निर्देश दिए कि अभी तक की प्रगति रिपोर्ट अदालत में पेश करे। सरकार की ओर से प्रधानमंत्री की यात्रा का हवाला देते हुए अगली सुनवाई के लिए समय की मांग की गई लेकिन अदालत ने इसे अस्वीकार कर दिया और सुनवाई के लिए 10 अक्टूबर की तिथि तय कर दी।