उत्तर प्रदेशराज्य

हाथरस की DM अर्चना वर्मा ने पेश की मिसाल, आंगनबाड़ी केंद्र में कराया बेटे का एडम‍िशन; हर तरफ हो रही चर्चा

उत्तर प्रदेश (UP) के हाथरस जिले की डीएम अर्चना वर्मा सरकारी अफसर और कर्मचारियों के के साथ-साथ आम लोगों के लिए किसी मिसाल से कम नहीं है. हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि उनका 2 साल का बेटा अभिजीत जिले के किसी स्कूल में नहीं बल्कि आंगनबाड़ी में पढ़ता है. डीएम साहिबा समता मूलक समाज की दिशा में काम करने वालों के लिए भी प्रेरणा का स्त्रोत हैं, क्योंकि उनका मानना है कि दूसरों के साथ वो व्यवहार ना करो, जो तुम्हें खुद के लिए पसंद न हो. यही वजह है कि उनका बेटा रोज आंगनबाड़ी आता है और इलाके के बाकी बच्चों के साथ उसी माहौल में रोज चार घंटे बिताता है.

अभिषेक की तस्वीरें देखकर कोई भी ये सोचने के लिए जरूर मजबूर हो जाएगा कि क्या वाकई ऐसा हो सकता है कि डीएम का बेटा कॉन्वेंट में न पढ़कर आंगनबाड़ी केंद्र में तालीम ले रहा है. आम बच्चों की तरह पढ़ाई करता है. गांव के बच्चों के संग आंगनबाड़ी में रोजाना जमीन पर बैठकर खाना (मिड डे मील) खाता है. उसके बाद वहीं खेलता कूदता है.

वाह! DM हो तो ऐसा

हर अधिकारी अपने बच्चों को बड़े कान्वेंट स्कूल में तालीम देना चाहता है मगर हाथरस की डीएम ने जो किया है वो वाकई काबिल ए तारीफ है. इस खबर को पूरे देश के 140 करोड़ लोगों को पढ़ना चाहिए. ऐसी अच्छी खबरें यानी गुड़ न्यूज़ (Good News) भारत के समाज और सिस्टम में बदलाव की उम्मीद जगाती हैं. क्योंकि डीएम ने अपने बेटे का दाखिला किसी बड़े नर्सरी स्कूल की जगह आवास के पास में बने आंगनबाड़ी केंद्र में कराया है. डीएम अर्चना वर्मा के इस कदम ने सभी को चौका के रख दिया है. इतना ही नहीं डीएम के बच्चे की तस्वीरों को लोग सोशल मीडिया पर भी जमकर वायरल कर रहे हैं.

बेटी भी अक्सर आती है आंगनबाड़ी

हाथरस की डीएम अर्चना वर्मा की एक बड़ी बेटी भी है. वो भी अक्सर इस सेंटर पर दिख जाती है. डीएम साहिबा का बेटा यहां पिछले तीन महीनों से पढ़ रहा है. दरअसल ये आंगनबाड़ी सेंटर उनके आवास से चंद कदम की दूरी पर स्थित एक गांव में है. हाथरस के जिला कार्यक्रम अधिकारी धीरेंद्र उपाध्याय ने बताया कि इस आंगनवाड़ी केंद्र में डीएम के बच्चे को कोई स्पेशल ट्रीटमेंट नहीं दिया जाता है. गांव के एक गरीब आदमी का बच्चा भी जो खाता है, वही डीएम का बेटा भी खाता है. यहां पढ़ने वाले हर बच्चे के साथ एक समान व्यवहार किया जाता है. यहां 34 बच्चे पढ़ने आते हैं. अब इस आंगनवाड़ी केंद्र में डीएम के बच्चे के एडमिशन के बाद लगातार बच्चों की संख्या बढ़ती हुई नजर आ रही है. गांव की तमाम महिलाएं डीएम के बच्चे को देखने के लिए स्कूल में आती हैं, लोग तो यह भी कहते हैं DM हो तो ऐसा हो.

हाथरस जिले में कुल 1712 आंगनबाड़ी केंद्र चलते हैं. जहां करीब डेढ़ लाख बच्चे पंजीकृत है. दर्शना के आंगनबाड़ी केंद्र में डीएम मैडम का बेटा पढ़ता है. डीएम मैडम ने अपने बेटे को आंगनबाड़ी में पढ़ाकर सभी को संदेश दिया है कि सरकारी स्कूलों में भी पढ़ाई होती है. अभिजीत भी आम बच्चों की तरह यहां पढ़ता है.

‘लोगों के जीवन स्तर को सुधारना है मकसद’

डीएम अर्चना फरियादियों की बात ध्यान से सुनती हैं. वो यूपी और केंद्र सरकार की योजनाओं का 100 फीसदी लाभ जनता को दिलवाने में भरोसा करती हैं. तमाम मानवीय गुणों से भरपूर इस अफसर में लोगों की सेवा का जो जज्बा है, उसके गांव वाले भी कायल हैं. जिले की बुजुर्ग महिलाएं हो या बच्चे सभी उनसे परिजनों की तरह घुलमिलकर बात करते हैं.

लोगों का कहना है कि देश को ऐसे ही अफसरों की जरूरत है, जो समाज को नई दिशा देते हुए बदलाव की नई बयार बहाने में तन मन धन से जुटे हैं. जिस दिन देश के नेताओं और अफसरों के बच्चे इसी तरह सरकारी स्कूलों में पढ़ाई के साथ सरकारी अस्पतालों में इलाज कराने लगेंगे पूरा देश बदल जाएगा.

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