ग्रेटर नोएडादिल्ली/एनसीआरनोएडा

जिला गौतमबुद्धनगर के स्कूलों में पढ़ने वाले पांचवीं और दसवीं के छात्र गणित में ज्यादा कमजोर

नोएडा। जिले के स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों की गणित में सीखने की क्षमता धड़ाम है। सबसे बुरा हाल पाचवीं और दसवीं के विद्यार्थियों का है। सरकारी और निजी स्कूलों में पढ़ने वाले 5वीं के सात और 10वीं के सिर्फ छह प्रतिशत विद्यार्थियों का ही गणित में उच्च शैक्षिक स्तर है। जबकि इन दोनों कक्षाओं में 26 से 27 प्रतिशत विद्यार्थी ऐसे भी हैं, जिनकी गणित सीखने की क्षमता सामान्य स्तर से भी नीचे है। कोरोना काल से ही प्रैक्टिकल आधारित विषय में जिले के छात्र पिछड़ते जा रहे हैं।

शिक्षक बताते हैं कि कोरोना के चलते करीब दो वर्ष तक स्कूल बंद रहे थे। बच्चों को बिना परीक्षा के अगली कक्षा में प्रवेश दे दिया गया। वहीं, ऑनलाइन कक्षा गणित के कठिन सवालों की गुत्थी सुलझाने व फॉर्मूले सिखाने में कारगर साबित नहीं हुई। हालांकि अब स्कूलों में ऑफलाइन कक्षाएं शुरू हो गई हैं तो शैक्षणिक गुणवत्ता भी धीरे-धीरे व्यवस्था पटरी पर लौटने लगी है। एक सर्वे के अनुसार जिले के 36 सरकारी और गैर सरकारी स्कूलों के 878 विद्यार्थियों की गणित में निपुणता को परखा गया। इनमें सिर्फ 61 विद्यार्थी ही गणित में निपुण मिले, जबकि 237 ऐसे थे जिन्हें सामान्य फॉर्मूले तक का ज्ञान नहीं था, इन्हें सामान्य स्तर से नीचे श्रेणी में रखा गया है। वहीं, दसवीं की बात करें तो 66 स्कूल के 1972 विद्यार्थियों में 118 विद्यार्थी ही गणित के कठिन सवालों की गुत्थी सुलझा पाए, जबकि 512 का स्तर सामान्य से भी नीचे पाया गया। हालांकि तीसरी और आठवीं के विद्यार्थियों की गणित में निपुणता इन दोनों कक्षाओं के विद्यार्थियों से काफी बेहतर पाई गई है।

निजी स्कूल के छात्र गणित में ज्यादा होशियार

तमाम प्रयास के बावजूद सरकारी स्कूलों में शैक्षणिक गुणवत्ता सुधरने का नाम नहीं ले रही है, यहीं कारण है कि निजी स्कूलों के छात्र गणित में ज्यादा होशियार है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि सरकारी स्कूलों में संसाधनों का अभाव है। शैक्षिक सत्र 2022-23 में ही परिषदीय विद्यालयों के विद्यार्थियों को सत्र शुरू होने के छह माह बाद बच्चों को किताबें मिली। वहीं, माध्यमिक स्कूलों के छात्रों को भी यूपी एनसीईआरटी किताबों के दर दर भटकना पड़ा। स्कूलों में लाखों की कीमत से बनी टिकरिंग लैब समेत अन्य सुविधाओं पर ताला लगे हैं। कई स्कूलों में स्मार्ट क्लास तक नहीं है। वहीं विषयवार शिक्षकों का अभाव भी बड़ा कारण बन रहा है।

ऐसे सुधार रहे शैक्षणिक गुणवत्ता

स्कूलों में बच्चों का गणित सुधारने के लिए अध्यापक तरह तरह की योजनाएं अपना रहे हैं। यदु पब्लिक स्कूल की प्रधानाचार्य मृणालिनी सिंह बताती है कि बच्चों पुरानी कक्षाओं में पढ़ा हुआ भूल रहे हैं, इससे उन्हें नई कक्षा में उन्हीं टॉपिक को समझाने में परेशानी होती है। गणित अभ्यास करने से आता है, इसे रट कर नहीं सीखा जा सकता। वहीं, परिषदीय स्कूलों में निपुण भारत मिशन के तहत बच्चों की गणित व भाषा पर पकड़ बनाने के लिए नेट परीक्षा और अन्य गतिविधियां आयोजित कराई जा रही है।

गणित में विद्यार्थियों की शैक्षणिक गुणवत्ता (प्रतिशत में)

कक्षा सामान्य से नीचे सामान्य कुशल उच्च

तीसरी 22 36 28 13

पांचवीं 27 45 21 07

आठवीं 25 44 21 10

दसवीं 26 48 20 06

गणित का शैक्षणिक स्तर सुधारने के लिए स्कूलों में अतिरिक्त कक्षा, लैब समेत अन्य तकनीक का प्रयोग कर बच्चों को निपुण बनाया जा रहा है। बेहतर परिणाम के लिए सरकार के आदेश पर भी कई कार्यक्रम शुरू किए गए हैं।

– डॉ. धर्मवीर सिंह, जिला विद्यालय निरीक्षक

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