सरकार के आश्वासन और संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने गुरुवार को किसान आंदोलन स्थगित करने का ऐलान कर दिया था. हेलीकॉप्टर क्रैश में CDS रावत और अन्य आर्मी अफसर और जवानों की मौत के चलते किसानों ने शुक्रवार को अपनी जीत का जश्न नहीं मनाया था लेकिन आज यानी 11 दिसंबर को बॉर्डर खाली करने से पहले किसान ‘विजय दिवस’ मना रहे हैं. घर लौटने से पहले बॉर्डर पर ही किसान एक संगठन एक ‘विजय रैली’ का भी आयोजन कर रहे हैं. बता दें कि गुरुवार से ही दिल्ली की सीमाओं से किसानों की वापसी का दौर शुरू हो गया. बाकी बचे हुए किसान आज गाजे बाजे के साथ अपनी जीत का जश्न मनाते हुए विजय रैलियां निकालेंगे और अपने घरों की ओर निकल जाएंगे.
जश्न में शामिल होने के लिए पंजाब और हरियाणा से करीब 500 ट्रैक्टर-ट्रालियों के साथ किसान कुंडली पहुंचे है. आज सुबह सबसे पहले किसान अरदास में शामिल हुए और फिर लंगर चलाया जा रहा है. लंगर के तुरंत बाद जुलूस के रूप में किसानों के जत्थे रवाना होंगे. संयुक्त किसान मोर्चा ने वीरवार को सरकार के साथ सहमति बनने के बाद आंदोलन स्थगित करने की घोषणा कर दी थी और शनिवार से वापसी का एलान किया था. बॉर्डर पर बचे किसानों ने सामान की पैकिंग का काम पूरा कर लिया है और वह रवाना होने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं. जीटी रोड पर जाम की आशंका को देखते हुए किसानों ने अलग-अलग जत्थों में निकलने का फैसला किया है.
किसानों का कहना है कि धरनास्थल छोड़ने से पहले वह साफ-सफाई करेंगे, ताकि उनके जाने के बाद किसी को परेशानी न हो. वहीं, दिल्ली सरकार सीमाओं के खाली होने के बाद अधिकारियों से सर्वे कराकर टूटी-फूटी सड़कों को ठीक कराएगी. तीन कृषि कानून वापसी व अन्य मांगों को सरकार की ओर से मंजूर किए जाने पर किसानों ने लौटने की तैयारी शुरू कर दी है. एक ओर जहां सामान बांधने की तैयारी हो रही है वहीं, लंगर सेवा समेत मिठाइयां बांट रही हैं. शुक्रवार को गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों ने मिठाइयां बांटकर एक-दूसरे का मुंह मीठा कराया. साथ ही, आंदोलनकारियों को लंगर सेवा देने के साथ अन्य लोगों को भी लंगर छकाया.
किसानों का कहना है कि बॉर्डर पर बड़ी संख्या में किसानों के रुकने की वजह से कई तरह के बंदोबस्त किए गए थे. इससे आसपास गंदगी भी हो गई थी, जाने से पहले बॉर्डर के आसपास जहां भी गंदगी हुई है, उसे किसान संगठन पूरी तरह साफ करेंगे, जिससे आसपास रहने वाले लोगों को परेशानी न हो. वहीं, जिन स्वचलित शौचालयों को लाया गया था, उन्हें भी वापस भेज दिया जाएगा. आंदोलन स्थल पर समूह बनाकर सफाई की जाएगी.
बॉर्डर से किसानों की वापसी का सिलसिला गुरुवार शाम को ही शुरू हो गया था. जिनके पास कम सामान था वे मोर्चा की घोषणा के बाद ही दिल्ली की सीमा छोड़कर चले गए थे. बहुत से किसान ऐसे हैं जिन्होंने ठहरने के लिए बड़े बड़े मंच तैयार किए थे. उन्हें हटाने और सब सामान समेटने में पूरा दिन लग गया. शुक्रवार को भी सिंघू बॉर्डर पर बहुत सारे किसान संगठन ट्रैक्टरों में सामान लादकर रवाना हो गए. बड़ी संख्या में ट्रैक्टरों की आवाजाही से ट्रैफिक जाम भी हुआ.
किसान एक साथ सुबह 10:30 बजे से जाना शुरू करेंगे. 13 दिसंबर को किसान अमृतसर के स्वर्ण मंदिर जाएंगे. वहीं 15 दिसंबर को दिल्ली में संयुक्त किसान मोर्चा की अगली बैठक होगी. किसानों ने स्पष्ट किया है कि इसे आंदोलन का स्थगन इसलिए कर रहे हैं क्योंकि जो प्रस्ताव अभी पूरी तरह से माने नहीं गए हैं उनकी किसान संयुक्त मोर्चा हर महीने समीक्षा करेगा. अगर लंबे समय तक किसानों की मांगे लटकी रहीं तो आंदोलन फिर शुरू होगा. एसकेएम के औपचारिक एलान के बाद किसान खुशी खुशी घर वापसी को तैयार हैं. वहीं, बॉर्डर पर साल भर से धरनारत किसानों ने अपना सामान, तंबू व झोंपड़ियां समेटने शुरू कर दिए हैं.
किसान आंदोलन की वापसी के साथ पंजाब, हरियाणा व उत्तर प्रदेश से बड़ी संख्या में ट्रैक्टर-ट्रॉलियां व ट्रक पहुंचने शुरू हो गए हैं. किसान अपने साथ लाए सामान को पैक कर गाड़ियों में लोड कर रहे हैं. कुछ बड़े जत्थों ने घर वापसी के लिए बड़े ट्रकों को बुलाया है. वहीं, कुछ किसान दिल्ली से ही ट्रकों को बुक कर घर लौटने की तैयारी कर रहे हैं. इसके लिए छोटे से लेकर बड़े ट्रकों को बुक किया जा रहा है. आंदोलन स्थल पर कुछ बड़े ट्रक ऐसे भी हैं, जो सालभर से ज्यादा यही रहे हैं. ऐसे ट्रकों व ट्रैक्टरों की भी किसानों ने सर्विस करानी शुरू कर दी है.