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केंद्र के प्रस्ताव पर किसान संगठनों ने मांगा स्पष्टीकरण, जानें कहां फंसा है पेंच

दिल्ली की सीमा पर जारी 375 दिन पुराना किसान आंदोलन कभी भी खत्म होने की घोषणा हो सकती है. एक दिन पूर्व केंद्र सरकार के प्रस्ताव में शामिल एक शर्त से बात बनते-बनते बिगड़ गई. बताया जा रहा है कि किसान आंदोलन खत्म करने को तैयार बैठे थे. प्रस्ताव में कहा गया कि आंदोलन वापसी के तत्काल बाद यूपी और हरियाणा में किसानों पर दर्ज सारे केस वापस ले लिए जाएंगे. किसानों को डर है कि आंदोलन वापस होने के बाद दर्ज मामले वापस होंगे या नहीं.

आज फिर टिकरी बार्डर पर किसान संगठन व केंद्र सरकार के प्रतिनिधियों के बीच वार्ता तय माना जा रहा है. सरकार दर्ज मामले वापस लेने का वादा कर रही है, जिसे ध्यान में रखकर कहा जा सकता है कि सरकार आज ही किसानों को आश्वास्त कर देगी कि मामले हर हाल में वापस होंगे. उम्मीद है इस मामले पर आश्वास्त होने के साथ ही किसान आंदोलन खत्म करने की घोषणा कर देंगे.

हरियाणा के जाट आंदोलन और मध्यप्रदेश के मंदसौर गोलीकांड में दर्जनों किसानों पर केस दर्ज हुए. तब दोनों राज्यों की सरकारों ने ये केस वापस लेने का ऐलान किया था जिसके बाद किसानों ने अपने आंदोलन खत्म कर दिए. मगर हुआ उल्टा. एक भी केस वापस नहीं हुआ और किसान आज भी तारीखें भुगत रहे हैं. दिल्ली बॉर्डर पर बैठे किसानों की मंगलवार को घर वापसी में भी सबसे बड़ा पेंच केस वापसी का ही फंसा.

संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) की मीटिंग पर इस पर घंटों मंथन हुआ और अंत में केंद्र सरकार को अपने प्रस्ताव में संशोधन के लिए 24 घंटे का समय देते हुए वापसी की घोषणा को बुधवार दोपहर तक के लिए टाल दिया गया. किसान नेताओं ने कहा कि पुलिस केस वापसी के लिए सरकार समय सीमा तय करे. सिर्फ सैद्धांतिक मंजूरी से बात नहीं बनेगी. इसी मांग पर प्रस्ताव पर केंद्रीय गृह मंत्रालय से स्पष्टीकरण मांगा गया है.

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