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पुराने संसद भवन में धनखड़ बोले- ‘समय आ गया है कि व्यवधान को हथियार बनाने की रणनीति खत्म की जाए’

उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने पुरानी संसद में विदाई सत्र में बोलते हुए सदस्यों से कहा कि नए संसद भवन में कार्यवाही शुरू होने के साथ ही, अब उचित समय आ गया है जब संसदीय कामकाज में व्यवधान को “हथियार” बनाने की रणनीति समाप्त की जाए क्योंकि ये लोकतांत्रिक मूल्यों के विपरीत है।

भारतीय संसद की समृद्ध विरासत के उपलक्ष्य में पुराने संसद भवन के ऐतिहासिक केंद्रीय कक्ष में आयोजित एक समारोह को संबोधित करते हुए धनखड़ ने कहा कि इसी कक्ष में, संविधान सभा के सदस्यों ने संविधान का मसौदा तैयार करने के चुनौतीपूर्ण कार्य की यात्रा शुरू की थी। उन्होंने कहा, “अतीत के उदाहरणों का हवाला देकर लोकतंत्र के मंदिरों में नियमों की अपमानजनक अवहेलना एवं अनुचित व्यवहार को उचित ठहराने पर सदा के लिए रोक लगाने का समय आ गया है।”

राष्ट्रीय हित को सर्वोपरि रखने का संकल्प लें

धनखड़ ने कहा, “हम नए संसद भवन की ओर बढ़ रहे हैं, हमें सहयोग और सहमतिपूर्ण रवैया अपनाना चाहिए। टकराव भरे रुख को अलविदा कहने और राष्ट्रीय हितों को सर्वोपरि रखने का संकल्प लेने का समय आ गया है।” धनखड़ ने जोर दिया कि “संसदीय कामकाज में व्यवधान को हथियार बनाने” की रणनीति को समाप्त करने का यह सही समय है क्योंकि ये लोकतांत्रिक मूल्यों के विपरीत है। उन्होंने कहा, “इसे हमारे लोगों से सहमति कभी नहीं मिल सकती।”

आज भारत इतिहास का गवाह बन रहा है

नए संसद पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि यह ‘आत्मनिर्भर भारत’ की शुरुआत का एक प्रमाण है और एक वास्तुशिल्प चमत्कार से कहीं आगे है। उन्होंने कहा, ”यह भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विविधता का प्रतिबिंब है- राष्ट्रीय गौरव, एकता और पहचान का प्रतीक है।” उपराष्ट्रपति ने यह भी कहा कि आज भारत इतिहास का गवाह बन रहा है। इस महत्वपूर्ण अवसर पर जब हम अपने संसदीय लोकतंत्र में एक नया अध्याय जोड़ने की दहलीज पर खड़े हैं, मैं आप सभी को हमारे अभूतपूर्व उत्थान के लिए बधाई देता हूं। हम सभी को इस इतिहास को देखने का सौभाग्य मिला है क्योंकि हम इस पुराने संसद भवन को अलविदा कह रहे हैं और नए संसद भवन में स्थानांतरित हो रहे हैं।

जी20 में भारत की वैश्विक शक्ति का प्रदर्शन हुआ 

उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘एक प्रभावशाली ढंग से आयोजित जी20 के परिणामस्वरूप भारत की वैश्विक शक्ति का प्रदर्शन हुआ। संसद की नई इमारत, भारत मंडपम और यशोभूमि बुनियादी ढांचे की नवीनतम उत्कृष्ट कृतियां हैं जो दुनिया में सर्वश्रेष्ठ के साथ प्रतिस्पर्धा कर रही हैं।’ संसद के दोनों सदनों के सदस्य आखिरी बार पुरानी इमारत में संयुक्त फोटो सत्र के लिए एकत्र हुए। नई संसद 28 मई, 2023 को राष्ट्र को समर्पित की गई थी।

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