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Cyclone Jawad: आसान शब्दों में समझें क्या है चक्रवात जवाद और कैसे पड़ा इसका ये नाम?

पिछले कुल महीनों में ताउते (Tauktae Cyclone) और यास (Yaas Cyclone) चक्रवातों के बाद अब जवाद साइक्लोन (Cyclone Jawad) का खतरा मंडरा रहा है. इसको लेकर आईएमडी यानी भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने देश भर अलर्ट जारी कर दिया है. मौसम विभाग ने संभावना जताई है कि 3 दिसंबर को जवाद मध्य बंगाल की खाड़ी में चक्रवात के रूप में विकसित हो सकता है.

दक्षिण पश्चिम मानसून खत्म होने के बाद यह तूफान आया है. मौसम विभाग के मुताबिक, यह तूफान 4 दिसंबर को ओडिशा और आंध्र प्रदेश के तटों से टकराएगा. ऐसे में रेस्क्यू अभियान से जुड़े सभी विभाग जवाद चक्रवात को लेकर अलर्ट पर हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इसको लेकर एक अहम बैठक ली है.

तूफानों के नामकरण की जो प्र​क्रिया है, उसके मुताबिक सऊदी अरब के सुझाव पर इस तूफान का नाम जवाद रखा गया है. जवाद एक अरबी शब्द है, जिसका अर्थ होता है उदार. ऐसे में कहा जा रहा है कि यह तूफान बहुत ज्यादा खतरनाक नहीं होने वाला है. पूर्व में आए चक्रवातों की अपेक्षा इस चक्रवात का असर आम जनजीवन पर उतना नहीं पड़ने वाला है. हालांकि ऐसी संभावना जताई गई है कि जवाद चक्रवात जब सतह से टकराएगा तो उस दौरान हवा की रफ्तार 100 किलोमीटर प्रति घंटे से ज्यादा की हो सकती है. ऐसे में मौसम विभाग ने भारी बारिश होने की संभावना जताई है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस तूफान को लेकर संबंधित विभागों की एक अहम बैठक ली है. मौसम विभाग की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि इस चक्रवाती तूफान के आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम, विशाखापत्तनम और विजयनगरम और ओडिशा के तटीय जिलों को प्रभावित करने की आशंका है. इसके साथ ही तटीय क्षेत्रों और पश्चिम बंगाल के भागों में भारी से बहुत भारी वर्षा होने की आशंका है. तमाम शंका-संभावनाओं को देखते हुए एनडीआरएफ यानी राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF) ने इन राज्यों में 32 टीमों को तैनात किया है और अतिरिक्त टीमों को तैयार रखा जा रहा है.

साइक्लोन यानी तूफानों के नामकरण की शुरुआत अटलांटिक क्षेत्र में 1953 में हुई एक संधि से की गई, जबकि हिंद महासागर क्षेत्र में यह व्यवस्था वर्ष 2004 में शुरू हुई. भारत की पहल पर इस क्षेत्र के 8 देशों ने तूफानों का नामकरण शुरू किया. इनमें भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश, मालदीव, म्यांमार, ओमान, और थाईलैंड शामिल था. फिर वर्ष 2018 में इसमें यूएई, ईरान, कतर ओर यमन आदि देश भी जुड़े.

सदस्य देश अपनी ओर से नामों की जो सूची देते हैं, उनकी अल्फाबेटिकल लिस्टिंग की जाती है. जैसे अल्फाबेट के हिसाब से सबसे पहले बांग्लादेश (Bangladesh), फिर भारत (India) और फिर ईरान (Iran) और अन्य देशों का नाम आता है, उसी क्रम में सुझाए गए नाम पर तूफानी चक्रवातों का नामकरण किया जाता है. हर बार अलग-अलग देशों का क्रम से नंबर आता रहता है और इसी क्रम में चक्रवातों का नामकरण हुआ करता है.

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