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Pakistan Economic Crisis: IMF ऋण के लिए बाजवा ने अमेरिका से मांगी मदद, इमरान खान बोले- आर्थिक मामलों को देखना सेना प्रमुख का काम नहीं

इस्लामाबाद : पाकिस्तान अपनी नीतियों की वजह से दिवालिया होने की राह पर है। वह डिफाल्टर भी बन सकता है। कोई कुछ नहीं कर पा रहा है। नेता चुप हैं, शायद इसलिए देश के सेना प्रमुख ने अपना काम छोड़कर नेताओं वाला काम शुरू कर दिया है। आर्मी चीफ के इन्हीं हरकतों को लेकर पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान जनरल बाजवा से खासा नाराज नजर आ रहे हैं। जियो टीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, पीटीआई प्रमुख ने कहा कि आर्थिक मामलों को देखना सेना प्रमुख का काम नहीं है।

इमरान ने बाजवा को फटकार लगाई

खबर है कि, इमरान खान ने सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा को जमकर फटकार लगाई है। उन्‍होंने कहा है कि जनरल बाजवा ने अमेरिकी अधिकारियों से संपर्क किया है। यह बताता है कि देश दिन पर दिन कमजोर हो रहा है। बता दें कि, कंगाली से जूझ रहे पाकिस्तान को डिफाल्टर बनने से रोकने के लिए अब सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने मोर्चा संभाल लिया है। जानकारी के मुताबिक, बाजवा ने अमेरिका से कहा है कि वो अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से कर्ज दिलवाने में पाकिस्तान की मदद करे। पाकिस्तान इन दिनों अपने घटते विदेशी मुद्रा भंडार के कारण दिवालिया होने की कगार पर पहुंच चुका है।

देश कमजोर हो रहा है

इमरान खान ने इस पूरे मसले पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्‍होंने एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्‍यू में कहा कि ये मुलाकात बताती है कि ‘देश दिन पर दिन कमजोर होता जा रहा है।’ इमरान ने कहा कि, ये जनरल बाजवा का काम नहीं है कि वो अर्थव्‍यवस्‍था से निपटे। इसके साथ ही उन्‍होंने ये सवाल भी किया कि क्‍या अमेरिका ने मदद के बदले पाकिस्‍तान के सामने कोई मांग भी रखी है?

लोन डिफाल्टर बनेगा पाकिस्तान?

कंगाली से जूझ रहे पाकिस्तान को डिफाल्टर बनने से रोकने के लिए अब सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने मोर्चा संभाल लिया है। अभी कुछ दिनों पहले ही पाकिस्तान के वित्त मंत्री मिफ्ता इस्माइल ने दावा किया था कि पाकिस्तान और आईएमएफ के बीच चार बिलियन डॉलर के कर्ज को लेकर समझौता हुआ है, हालांकि इस ऐलान का पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर कोई असर देखने को नहीं मिला। पाकिस्तानी रुपया डॉलर के मुकाबले दिन-प्रतिदिन गिरता जा रहा है। वर्तमान में 1 डॉलर की कीमत 239 पाकिस्तानी रुपये से ज्यादा हो चुकी है।

IMF की कड़ी शर्त

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने पाकिस्तान को आर्थिक पैकेज बहाल करने के लिए कई कड़ी शर्तें रखी हैं। आईएमएफ ने कहा है कि इस्लामाबाद का आर्थिक पैकेज बहाल करने के लिए बिजली की दरें बढ़ानी होगी और पेट्रोलियम उत्पादों पर टैक्स लगाना होगा। बता दें कि, पाकिस्तान में श्रीलंका जैसे हालात उत्पन्न होते जा रहे हैं। वहां की जनता कमरतोड़ महंगाई से जूझ रही है। दूसरी तरफ सेंट्रल बैंक ऑफ पाकिस्तान ने कहा था कि देश का आधिकारिक विदेशी मुद्रा भंडार 8.57 बिलियन डॉलर से घटकर 754 मिलियन डॉलर हो गया है। यह पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार में सबसे बड़ी गिरावट है। अगर ऐसा ही चलता रहा तो वह दिन दूर नहीं जब पाकिस्तान का पूरा विदेशी मुद्रा भंडार खाली हो सकता है और देश डिफाल्टर बन सकता है।

जनता की फिक्र नहीं!

पाकिस्तान की शहबाज शरीफ सरकार को देश की जनता की कोई फिक्र नहीं है। वहां की सरकार जनता से ज्यादा सेना को मजबूत करने के दिशा में काम करती है। हालांकि, इस बार मजबूरी में सैन्य बजट में कटौती हुई थी। लेकिन पाकिस्तान सेना को मजबूत करने और हथियार खरीदने पर ज्यादा ध्यान देता आ रहा है। इसका नतीजा यह हुआ कि देश अब बदहाली की कगार पर पहुंच चुका है। वहीं देश में भ्रष्टाचार जैसे मुद्दे चरम पर हैं।

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