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घायल हरजोत सिंह को लेकर वापस लौटा एयरफोर्स का विमान, दिल्ली के अस्पताल में भर्ती, यूक्रेन में एयरपोर्ट पर लगी थी गोली

नई दिल्ली। यूक्रेन में जारी युद्ध के दौरान गोली लगने से घायल हुए दिल्ली के छतरपुर एक्सटेंशन निवासी छात्र हरजोत सिंह (31) सोमवार को दिल्ली पहुंच गए। उनके आने की जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह ने आज ट्वीट कर बताया कि सभी 205 भारतीय विद्यार्थियों के साथ वायुसेना का सी-17 हिंडन एयरबेस पर लैंड हो गया जिसमें  हरजोत भी हैं। हरजोत को आगे के इलाज के लिए आर्मी हास्पिटल भेजा गया।

पोलैंड से 200 छात्रों को लेकर सी-17 ग्लोबमास्टर विमान सोमवार शाम हिंडन एयरबेस पहुंचा। इस विमान में यूक्रेन के कीव में घायल हुए भारतीय हरजोत सिंह को भी पोलैंड से लाया गया। उनको तीन गोलियां लगी थीं। एक गोली उनके पैर, दूसरी घुटने और तीसरी गोली उनके हाथ को चीरते हुए सीने में लगी थी। केंद्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह भी विमान में साथ आए। यूक्रेन में फंसे छात्रों को पोलैंड के रास्ते भारत लाने की प्रक्रिया अब अंतिम चरण में है। आपरेशन गंगा के तहत पोलैंड से 200 छात्रों को भारतीय वायुसेना के सी-17 ग्लोबमास्टर विमान की फ्लाइट सोमवार सुबह नौ बजे हिंडन एयरबेस पर पहुंचनी थी, लेकिन किसी कारण से फ्लाइट लेट हो गई। विमान शाम साढ़े छह बजे यहां पहुंचा। इसी विमान में छात्र हरजोत सिंह को वतन वापस लाया गया। फ्लाइट में केंद्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह छात्रों का हौसला बढ़ाते हुए साथ आए। वह पोलैंड में छात्रों को रेस्क्यू करने की तमाम व्यवस्थाएं संभाल रहे थे। विमान से उतरते ही छात्रों ने भारत माता की जय के नारे लगाए। पुष्पगुच्छ देकर उनका स्वागत किया गया। छात्रों को बस से उनके घर भेजा गया।

हरजोत को कीव से निकालना एक साहसिक कदम

भारतीय दूतावास यूक्रेन में भारतीय दूतावास की ओर से किए गए ट्वीट के मुताबिक, हरजोत सिंह को कीव से बाहर निकालना एक साहसिक कदम है। कीव में गोली लगने से घायल हुए भारतीय छात्र हरजोत सिंह को बमबारी के बीच युद्ध क्षेत्र की बाधाओं के बीच से 700 किमी से अधिक दूरी तय कर पोलैंड तक लाया गया। दूतावास ने एक अन्य पोस्ट में उस चालक की सराहना की, जिसने हरजोत को कीव से बोडोमिर्ज सीमा तक पहुंचाया। इसमें कहा गया, भारतीय दूतावास के चालक को बधाई, जिसने गोलाबारी, ईंधन की कमी, ट्रैफिक जाम समेत अन्य खतरों के बीच कीव से बोडोमिजऱ् सीमा तक 700 किमी से अधिक की दूरी तय की और हरजोत को सफलतापूर्वक यहां छोड़ा।

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