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जांच समिति की रिपोर्ट के बाद विधानसभा अध्यक्ष ने रद्द की 250 नियुक्तियां, सचिव को किया सस्पेंड

उत्तराखंड विधानसभा भर्ती प्रकरण के संबंध में विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण ने बड़ा एक्शन लिया है। उन्होंने विधानसभा में 480 में से 228 नियुक्तियां रद्द कर दी हैं। ये 2012 के बाद से की गई तदर्थ नियुक्तियां हैं। इनमें उपनल से की गई 22 भर्तियां भी रद्द कर दी गईं। इसके साथ ही उन्होंने सचिव मुकेश सिंघल को भी निलंबित कर दिया है। साथ ही तत्‍कालीन विधानसभा अध्‍यक्ष प्रेम चंद अग्रवाल की भूमिका की जांच की जाएगी। वहीं 2012 से पहले हुई नियुक्ति पर विधिक जांच होगी। उन्‍होंने बताया कि समिति ने काबिले तारीफ कार्य किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

इससे पहले विधानसभा में बैकडोर से की गई नियुक्तियों की जांच को बनाई कमेटी ने गुरुवार को देर रात विधानसभा अध्यक्ष को सौंप दी थी। आज विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण ने समिति की जांच रिपोर्ट की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि समिति ने नियुक्तियां रद्द करने का प्रस्‍ताव सौंपा है। समिति द्वारा नियमों के खिलाफ हुई नियुक्तियों को रद्द करने की सिफरिश गई है। विधानसभा अध्‍यक्ष के अनुसार वर्ष 2012 से अब तक ये नियुक्तियां रद्द गई थी। इससे पूर्व की गई नियुक्तियों पर विधिक राय ली जा रही है। विधानसभा अध्यक्ष ने बताया कि वह दो दिन के अपने विधानसभा क्षेत्र कोटद्वार के भ्रमण कार्यक्रम पर थीं। गुरुवार देर रात देहरादून उनके शासकीय आवास पर पहुंचने पर जांच समिति द्वारा उन्हें रिपोर्ट सौंप दी गई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

आज विधानसभा सचिवालय में खचाखच भरे संवाददाता सम्मेलन में विधानसभा अध्यक्ष ने जांच कमेटी की रिपोर्ट को साझा किया। साथ ही कई फैसलों के संबंध में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि 32 पदों पर भर्ती प्रक्रिया रद्द कर दी गई। सचिव मुकेश सिंघल को निलंबित कर दिया गया। रिपोर्ट 29 पेज की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सिफारिशों में गड़बड़ी थी। इनमें नियमों का पालन नहीं किया गया। ना ही किसी चयन समिति का गठन किया गया और ना ही कोई विज्ञापन दिया गया। ये समानता के अधिकार का उल्लंघन है। गौरतलब है कि राज्य गठन के बाद से 22 साल में 480 लोगों को विधानसभा में बैकडोर से नौकरी दी गई। इस पर शोर मचने पर स्पीकर ने तीन सितंबर को रिटायर्ड आइएएस डीके कोटिया, एसएस रावत व आवनेंद्र नयाल की एक जांच कमेटी बनाई थी। इसे एक माह में रिपोर्ट देने को कहा गया था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

ये है प्रकरण

गौरतलब है कि बेरोजगार संघ के प्रतिनिधिमंडल की ओर से सीएम को शिकायत की गई थी। उन्होंने उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की ओर से चार और पांच दिसंबर 2021 को आयोजित स्नातक स्तर की परीक्षा में अनियमितता के संबंध में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को ज्ञापन सौंप कर कार्रवाई की मांग की थी। इस पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश के बाद डीजीपी अशोक कुमार ने भर्ती परीक्षा में हुई गड़बड़ी को लेकर जांच एसटीएफ को सौंपी थी। परीक्षा में गड़बड़ी के मामले में सबसे पहले उत्तराखंड पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स ने छह युवकों को गिरफ्तार किया था। इस मामले में एक आरोपी से 37.10 लाख रूपये कैश बरामद हुआ। जो उसके द्वारा विभिन्न छात्रों से लिया गया था। इस मामले में अब तक कुल 41 लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं। इसमें बीजेपी नेता भी शामिल है, जिसे पार्टी ने छह साल के लिए निष्कासित कर दिया है। परीक्षा भर्ती मामले में अब तक कुल 94.79 लाख कैश बरामद किया है। इसी मामले में दो दर्जन से ज्यादा बैंक अकाउंट फ्रीज लिए जा चुके हैं। जिसमे करीब तीस लाख की राशि जमा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

इसके बाद अब हर दिन किसी ना किसी विभाग में भर्ती घोटाला उजागर हो रहा है। साथ ही पूर्व विधानसभा अध्यक्षों पर भी बैकडोर से नियुक्ति करने के आरोप लगे। वहीं, पूर्व उच्च शिक्षा मंत्री पर भी ऐसे ही आरोप लग रहे हैं। ऐसे में अब मांग उठ रही है कि पूरे प्रकरणों की सीबीआइ से जांच कराई जाए, या फिर उच्च न्यायालय के सीटिंग जज की अध्यक्षता में गठित समिति से जांच हो। उधर, विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी ने विधानसभाओं में हुई भर्तियों की जांच को कमेटी गठित कर दी है। ये कमेटी एक माह में रिपोर्ट देगी।

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