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यूपी: 18 वर्ष बाद फ़र्ज़ी एनकाउंटर मामले में 18 पुलिसकर्मियों के ख़िलाफ़ हत्या का केस दर्ज

बरेली। शाहजहांपुर में फर्जी एनकाउंटर के आरोप में तत्कालीन एसपी समेत 18 पुलिसकर्मियों के खिलाफ दर्ज मुकदमे में क्राइम ब्रांच ने जांच शुरू कर दी है। वादी के बयान लेने के साथ ही उस स्थल का भी मुआयना किया। जहां मुठभेड़ होने का दावा किया गया था।

18 फरवरी को जलालाबाद थाने में सीजेएम आभापाल के आदेश पर तत्कालीन एसपी सुशील कुमार सिंह, एएसपी माता प्रसाद, तीन सीओ, दस एसओ, एसओजी प्रभारी समेत 18 पुलिस कर्मियों पर मुकदमा दर्ज हुआ था। इन सभी पर जलालाबाद थाना क्षेत्र के चचुआपुर गांव निवासी धनपाल व प्रहलाद को तीन अक्टूबर 2004 को दस्यु सरगना नरेशा धीमर के गिरोह का सदस्य बताकर फर्जी मुठभेड़ में मार गिराने का आरोप था।

इस मामले एसपी एस आनंद ने क्राइम ब्रांच को विवेचना सौंपी थी। क्राइम ब्रांच के प्रभारी निरीक्षक सोमप्रकाश ने टीम के साथ चचुआपुर गांव पहुंचकर मुकदमा दर्ज कराने वाले प्रहलाद के भाई रामकीर्ति के बयान लिए। घटना के संबंध में विस्तार से बात की। इसके बाद टीम उस स्थान पर भी गई जहां मुठभेड़ हुई थी। उन्होंने बताया कि इस मामले में अभी आरोपितों के बयान भी लिए जाएंगे।

इनके हैं नाम

फर्जी मुठभेड़ के आरोप में पुलिस ने तत्कालीन एसपी शाहजहांपुर व एएसपी के अतिरिक्त तत्कालीन सीओ तिलहर मुन्नू लाल, सीओ जलालाबाद जयकरन सिंह भदौरिया, सीओ सदर आरके सिंह, तत्कालीन थानाध्यक्ष रोजा अशोक कुमार सिंह, सेहरामऊ थानाध्यक्ष रहे सूबेदार सिंह, मदनापुर के थानाध्यक्ष राजेंद्र, जलालाबाद के थानाध्यक्ष हरपाल सिंह, एसओजी प्रभारी पीके सिंह, एसआई वीके सिंह, कांस्टेबल बदन सिंह को नामजद किया है। कांट, जैतीपुर, अल्हागंज, कलान, परौर, मिर्जापुर के तत्कालीन एसओ भी शामिल है।

ये है आरोप

रामकीर्ति ने बताया कि प्रहलाद खेत जोतने के लिए निकले थे जबकि धनपाल पशु चराने खेत पर गए थे। उनका आरोप है कि पुलिसकर्मियों ने प्रहलाद व धनपाल को नरेशा धीमर गिरोह का बताकर गोली मार दी थी। इसके बाद दोनों के कंधे में बंदूक टांग दी थी। इसके अलावा कमर में कारतूस की पेटी बांध दी थी। दोनों के शव खेत किनारे पतेल में फेंक दिए थे।

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