ग्रेटर नोएडादिल्ली/एनसीआर

जीएनआईओटी प्रबंधन अध्ययन संस्थान में युवा सशक्तिकरण एवं उत्थान हेत संगोष्ठी का आयोजन किया गयाI

जी एनआईओटी प्रबंधन अध्ययन संस्थान (जी आई एम एस) , ग्रेटर नोएडा, में युवा सशक्तिकरण एवं उत्थान हेत संगोष्ठी का आयोजन किया गयाI इस संगोष्ठी का उद्देश्य छात्रों में भविष्य निर्माण एवं राष्ट्र निर्माण में योगदान एवं उचित मार्गदर्शन प्रदान करना थाI इस संगोष्ठी के मुख्य वक्ता श्री विकास वैभव आईपीएस बिहार कैडर, रहेI

संस्थान के सीईओ श्री स्वदेश कुमार सिंह जी ने अतिथि महोदय का पुष्प गुच्छ से स्वागत कियाI एवं संस्थान के निदेशक डॉक्टर भूपेंद्र कुमार सोम जीने अंग वस्त्र भेंट कर उनका अभिवादन कियाI इस अवसर पर अपने उद्घाटन भाषण में निदेशक महोदय ने संस्थान के प्रबंधन समिति एवं आज के अतिथि रहे श्री विकास वैभव जी का स्वागत कर , संस्थान द्वारा इस तरीके के किए जा रहे प्रयासों पर विस्तृत से प्रकाश डालाI
संस्थान के सीईओ स्वदेश जी ने इस अनूठी पहल के लिए श्री विकास वैभव जी की भूरी भूरी प्रशंसा की, और यह आग्रह किया कि भविष्य में भी छात्र निर्माण एवं राष्ट्र निर्माण से निमित्त इस तरीके के संबोधन के एक श्रंखला संस्थान में उनके सहयोग से निरंतर आयोजित की जा सकेI

आज के मुख्य वक्ता रहे श्रीमान श्री विकास वैभव जी ने अपने प्रारंभिक विचार रखते हुए, छात्रों से उनके लक्ष्य एवं लक्ष्य प्राप्ति के प्रयासों पर प्रश्न रखाI प्रश्न के उत्तर स्वरूप छात्रों द्वारा मिले उत्तर से ही उन्होंने अपने आज के संगोष्ठी का शुभारंभ किया, और छात्रों से यहां साझा किया कि जैसे एक शिल्पकार अपनी कलाकृति का छाया चित्र सर्वप्रथम अपने मस्तिष्क में अंकित करता है और फिर उसी छायाचित्र को वह पूर्णता अपनी कलाकृति में प्रस्तुत कर देता हैI उसी अनुसार आज के युवाओं को भी सर्वप्रथम लक्ष्य निर्धारण करना चाहिए एवं लक्ष्य प्राप्ति से निर्मित समस्त कार्य पद्धतियों को संगठनात्मक तरीके से विचार करते हुए क्रियान्वित करना चाहिएI धर्म शास्त्र उपनिषद एवं स्मृतियों में वर्णित अनेकों अनेक उदाहरणों द्वारा उन्होंने छात्र जीवन एवं उससे जुड़े हुए भविष्य निर्माण हेतु विचारों द्वारा छात्रों का मनोबल बढ़ायाI

इसी क्रम में उन्होंने भारत के गौरवशाली इतिहास को परिलक्षित करने वाली विभिन्न मनुस्मृति, कहानियां, एवं परिस्थितियों पर बड़े ही स्पष्ट तरीके से विवेचना करते हुए छात्रों को अवगत करायाI उन्होंने इस भारत भूखंड के स्वर्णिम इतिहास एवं उसमें उपस्थित विभिन्न गौरवशाली गाथाओं जो जीवन निर्माण एवं संपूर्ण व्यक्तित्व निर्माण की परिभाषा को छात्रों मैं स्थापित कर सकती थी बड़े ही कौशल पूर्ण तरीके से छात्रों के समक्ष रखाI
उन्होंने अपने प्रारंभिक जीवन काल से लेकर बाल्यवस्था किशोरावस्था एवं तत्कालीन परिवेश में अपने कार्य क्षेत्र से जुड़े हुए विभिन्न प्रेरणादायक स्मृतियां साझा कीI जिसका एकमात्र उद्देश्य था की बाधाएं मनुष्य को उसके लक्ष्य को हासिल करने में कभी बाधक नहीं हो सकती हैं अगर मन का विश्वास अटल हैI उन्होंने बाधाओं को सकारात्मक तरीके से अपनाने एवं उन पर क्रियाशील होकर विजय हासिल करने की प्रेरणा दीI

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