अंतर्राष्ट्रीय

88.6 मतपत्रों की गिनती पूरी, नए प्रधानमंत्री बनने के करीब हैं नेतन्याहू

यरुशलम. इजराइल के आम चुनाव में करीब 90 प्रतिशत मतपत्रों की गिनती के साथ, अनुभवी राजनेता बेंजामिन नेतन्याहू दोबारा से प्रधानमंत्री बनने की ओर बढ़ रहे हैं. आधिकारिक आंकड़ों में यह जानकारी दी गई. दरअसल, इजराइल की संसद में 120 सीटें हैं. नेतन्याहू की लिकुड पार्टी और उसके सहयोगियों के इनमें से 65 सीटें जीतने का अनुमान है. ‘यरुशलम पोस्ट’ अखबार ने केंद्रीय निर्वाचन समिति के आंकड़ों के हवाले से कहा कि लिकुड पार्टी के नेता नेतन्याहू (73) लगभग 90 फीसदी मतपत्रों की गिनती के बाद निश्चित तौर पर इजराइल के अगले प्रधानमंत्री होंगे.

नेतन्याहू गठबंधन में 65 एमके (इजरायल की संसद के सदस्य) शामिल होंगे, जबकि लैपिड ब्लॉक में 50 और हदाश-ताल में पांच शामिल होंगे. बुधवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक, 88.6 प्रतिशत मतों की गिनती के बाद, लिकुड के पास 32, येश अतीद के पास 24, रिलीजियस ज़ियोनिज़्म पार्टी (आरजेडपी) के पास 14, राष्ट्रीय एकता के पास 12, शास के पास 11, यूनाइटेड टोरा यहूदी धर्म (यूटीजे) के पास आठ, इजराइल बेयटेनु के पास पांच, राम के पास पांच, हदाश-ताल के पास पांच और श्रम के पास चार सीटें थीं.

टाइम्स ऑफ इज़राइल अखबार के अनुसार, नेतन्याहू नीत गठबंधन में महिलाओं की संख्या में भारी गिरावट रहेगी. वर्तमान परिणाम नौ महिला एमके को उन पार्टियों में दिखा रहे हैं, जो पूर्व प्रधानमंत्री का समर्थन करती हैं, जिसमें अति-रूढ़िवादी गुटों में से कोई भी नहीं है. इन परिणामों के आधार पर, नेतन्याहू के नेतृत्व वाले संभावित गठबंधन में नौ महिला सदस्य होंगी, जिसमें छह उनकी लिकुड पार्टी में और तीन अल्ट्रा-ऑर्थोडॉक्स गुट से, हालांकि यह आंकड़ा मंत्री स्तरीय नियुक्तियों के माध्यम से बढ़ सकता है.

मतदान बाद के सर्वेक्षणों में अनुमान लगाया गया था कि नेतन्याहू समर्थक पार्टियां 65 सीटें जीत सकती हैं. गठबंधन में नेतन्याहू की लिकुड पार्टी, फार राइट रिलिजीयस जियोनिज़्म/जेविश पावर, अल्ट्रा-ऑर्थोडॉक्स पार्टी शास और यूनाइटेड टोरा जुदाइस्म शामिल हैं. इजराइल में 2019 में 73 वर्षीय नेतन्याहू पर रिश्वतखोरी, धोखाधड़ी एवं विश्वासघात के आरोप लगने के बाद से राजनीतिक गतिरोध चला आ रहा है. नेतन्याहू इजराइल के सर्वाधिक समय तक प्रधानमंत्री रहे हैं, जिन्होंने लगातार 12 वर्षों तक शासन किया- जबकि कुल मिलाकर 15 साल तक देश पर शासन किया. उन्हें पिछले साल सत्ता से हटना पड़ा था.

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