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दुनिया का 8 फीसदी सोने का रिजर्व भारत में, आरबीआई के पास 790.2 सोने का भंडार

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने अपने गोल्ड के भंडार में बड़ी बढ़ोत्तरी की है। रिजर्व बैंक ने फरवरी माह में 3 टन गोल्ड का भंडार खरीदा है। इसके साथ ही रिजर्व बैंक के पास गोल्ड का कुल भंडार 790.2 टन पहुंच गया है।

भारत ने 1967 के बाद पिछले तीन साल में सर्वाधिक गोल्ड की खरीद की है। गोल्ड खरीदने के मामले में पिछले कुछ समय में भारत शीर्ष पर रहा है। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के आंकड़ों के अनुसार भारत के पास दुनिया के कुल गोल्ड रिजर्व का 8 फीसदी सोना है।

क्या है संकेत

यहां समझने वाली यह बात है कि जब सेंट्रल बैंक गोल्ड की अधिक खरीदारी करता है तो इसका संकेत यह होता है कि आने वाले दिनों में आर्थिक मंदी दस्तक दे सकती है। जिसकी वजह से आने वाले मुश्किल समय का सामना करने के लिए सेंट्रल बैंक हेज मनी के तौर पर गोल्ड की बड़ी मात्रा में खरीद करते हैं। इसके साथ ही गोल्ड को एक सुरक्षित निवेश के तौर पर बैंक खरीदते हैं ताकि मुश्किल समय में इसे हेज करके आर्थिक संकट का सामना किया जा सके।

भारत के पास गोल्ड रिजर्व 790 टन

2022 के पहले की पहली तिमाही की बात करें तो भारत के पास गोल्ड का कुल रिजर्व 760.42 टन था। 2022 की दूसरी तिमाही में भारत का कुल गोल्ड रिजर्व बढ़कर 767.89 टन हो गया था, तीसरी तिमाही में यह 785.35 टन हो गया था और चौथी तिमाही में यह 787.40 टन पहुंच गया था। लेकिन फरवरी में नई खरीद के साथ इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही में भारत का कुल गोल्ड रिजर्व 790 टन को पार कर गया है और यह कुल 790.2 टन हो गया है।

सेंट्रल बैंक के गोल्ड रिजर्व के आंकड़े

गोल्ड रिजर्व के आंकड़े की बात करें तो इसपर आईएमएफ आईएफस स्टैटिस्टिक्स नजर रखता है, यह देश के सेंट्रल बैंक के आंकड़ों के आधार पर अपनी रिपोर्ट तैयार करता है। किसी देश के सेंट्रल बैंक ने कितना गोल्ड खरीदा और कितना गोल्ड बेचा, उसके अनुसार ही उस बैंक द्वारा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गोल्ड का कितना रिजर्व है, इसकी जानकारी सामने आती है।

गोल्ड के दाम?

गौर करने वाली बात है कि गोल्ड सेंट्रल बैंक के मैनेजमेंट में एक अहम भूमिका निभाता है, यही वजह है कि देश के सेंट्रल बैंक बड़ी मात्रा में गोल्ड को रिजर्व में रखते हैं। गोल्ड की कीमतों की बात करें तो यह 2000 डॉलर प्रति आउंस को पार कर गए हैं। एक आउंस 28.3495 ग्राम का होता है। इसके साथ ही गोल्ड के दाम पिछले एक साल की सबसे अधिकतम कीमतों पर पहुंच गए हैं।

और भी बढ़ सकते हैं गोल्ड के दाम

घरेलू बाजार में गोल्ड की कीमतों की बात करें तो इसमे 7 फीसदी की बढ़ोत्तरी देखने को मिली है। इसकी बड़ी वजह है डॉलर के मुकाबले रुपए का कमजोर होना। 4 अप्रैल 2023 को गोल्ड के दाम में दो फीसदी की बढ़ोत्तरी देखने को मिली थी, जोकि पिछले एक साल में सबसे बड़ी रैली थी। क्वांटम म्युचुअल फंड के आंकड़े के अनुसार आने वाले समय में गोल्ड के दाम में और बढ़ोत्तरी देखने को मिल सकती है। जिस तरह से अमेरिकी फेडरल बैंक महंगाई को काबू करने के लिए ब्याज दरों में बढ़ोत्तरी कर रहा है, उसकी वजह से भी गोल्ड के दाम में असर देखने को मिल रहा है।

सेंट्रल बैंक क्यों खरीदते हैं गोल्ड

ऐसे में एक बड़ा सवाल यह खड़ा होता है कि आखिर सेंट्रल बैंक इतनी बड़ी मात्रा में गोल्ड क्यों खरीदते हैं, इसे क्यों रिजर्व में रखते हैं। इसकी बड़ी वजह है कि मुश्किल समय में गोल्ड बचाव का काफी अच्छा माध्यम होता है। दुनिया में आर्थिक मंदी के संकेत होने पर सेंट्रल बैंक गोल्ड में अधिक निवेश करने लगते हैं। ताकि मुश्किल समय में गोल्ड को हेज फंड के तौर पर इस्तेमाल किया जा सके।

आर्थिक असंतुलन की स्थिति में गोल्ड बैंकों को बड़ी राहत देने का काम करता है। जब भी अर्थव्यवस्था संकट में आती है तो गोल्ड के दाम में उछाल देखने को मिलता है, ऐसे में इस समय सेंट्रल बैंक गोल्ड को बेचकर इस मुश्किल संकट से देश की अर्थव्यवस्था को बचाने की कोशिश करते हैं। उदाहरण के तौर पर कोरोना काल में शेयर बाजार क्रैश हो गया था, जबकि गोल्ड के दाम काफी बढ़ रहे थे। यही वजह है कि गोल्ड को हेज फंड के तौर पर भी इस्तेमाल किया जाता है।

फॉरेक्स रिजर्व जरूरी

देश के सेंट्रल बैंक फॉरेक्स रिजर्व, यानि विदेश मुद्रा को रखते हैं। इसमे विदेशी मुद्रा, गोल्ड, एसडीआर, आईएमएफ में एक निश्चित राशि आदि होती है। ऐसा इसलिए दुनियाभर के सेंट्रल बैंक करते हैं ताकि मुश्किल आर्थिक माहौल में देश की अर्थव्यवस्था चरमराए नहीं और दूसरों पर निर्भर ना होना पड़े। यही वजह है कि सभी विकसित और विकासशील देश अपने फॉरेक्स रिजर्व को बढ़ाने की कोशिश करते हैं।

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