उत्तर प्रदेशराज्य

वाराणसी कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद सर्वे रिपोर्ट जमा करने के लिए दिया दो दिन का समय, कोर्ट कमिश्नर को हटाया

वाराणसी की एक स्थानीय अदालत ने मंगलवार को दोनों कोर्ट कमिश्नर को ज्ञानवापी मस्जिद सर्वेक्षण पर अपनी रिपोर्ट दाखिल करने के लिए दो दिन का समय दिया। हालांकि कोर्ट ने कोर्ट कमिश्नर एडवोकेट अजय मिश्रा को हटाने का आदेश दिया है।

सर्वे की जानकारी मीडिया में लीक करने के आरोप में एडवोकेट मिश्रा को पद से हटा दिया गया है। अब बाकी दो कमिश्नर सर्वे रिपोर्ट सौंपेंगे।

इससे पहले आज विशेष कोर्ट कमिश्नर विशाल सिंह ने सिविल जज (सीनियर डिवीजन) रवि कुमार दिवाकर के समक्ष एक आवेदन दिया था जिसमें विवादित स्थल के सभी महत्वपूर्ण तथ्यों को ज्ञानवापी सर्वेक्षण में अदालत आयोग की रिपोर्ट में शामिल करने के लिए दो दिन का समय मांगा।

गौरतलब है कि ज्ञानवापी मस्जिद का नया सर्वे कराने के आदेश के लिए याचिकाकर्ताओं (हिंदू भक्तों) ने भी कोर्ट के समक्ष एक अर्जी लगाई है। याचिकाकर्ताओं ने ‘शिवलिंग’ के उत्तर की ओर की दीवार और ‘नंदी’ के सामने बने बेसमेंट का सर्वे कराने की मांग की है।

गौरतलब है कि 16 मई को कोर्ट को बताया गया था कि कोर्ट द्वारा नियुक्त कोर्ट कमिश्नर को सर्वे के दौरान ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के अंदर शिव लिंग मिला है। इसके तहत कोर्ट ने संबंधित स्थान/क्षेत्र को सील करने का आदेश दिया था।

आदेश में कहा गया,

“वाराणसी के जिलाधिकारी को आदेश दिया जाता है कि वह उस स्थान को तत्काल सील कर दें जहां शिवलिंग पाया जाता है और सील की गई जगह में किसी भी व्यक्ति का प्रवेश प्रतिबंधित है।”

कोर्ट ने जिला मजिस्ट्रेट, पुलिस आयुक्त और सीआरपीएफ कमांडेंट, वाराणसी को भी निर्देश दिया कि वह सीलबंद जगह की सुरक्षा सुनिश्चित करें जहां ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे में शिवलिंग कथित तौर पर पाए गए हैं।

कोर्ट ने 12 मई को आदेश दिया था कि ज्ञानवापी मस्जिद-काशिविश्वनाथ मंदिर परिसर में सर्वे का काम होता रहेगा और कोर्ट द्वारा पूर्व में नियुक्त कमिश्नर को हटाया नहीं जाएगा। कोर्ट ने सर्वे के लिए कोर्ट कमिश्नर अजय मिश्रा के साथ दो और वकीलों को कमिश्नर के तौर पर भी नियुक्त किया था और आगे आयोग को 17 मई तक कोर्ट के सामने एक रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया था।

बैकग्राउंड

अदालत ने पिछले महीने पांच हिंदू महिलाओं द्वारा वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद परिसर की पश्चिमी दीवार के पीछे एक हिंदू मंदिर में साल भर प्रार्थना करने की अनुमति की मांग करने वाली याचिकाओं पर परिसर के निरीक्षण का आदेश दिया था।

स्थानीय अदालत ने पहले अधिकारियों को 10 मई तक एक रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया था, हालांकि, सर्वेक्षण नहीं हो सका क्योंकि मस्जिद समिति ने मस्जिद के अंदर वीडियोग्राफी का विरोध किया था। सर्वे के दौरान ज्ञानवापी परिसर के बाहर हंगामा हुआ और मस्जिद कमेटी के सदस्य मांग कर रहे थे कि मस्जिद परिसर के अंदर सर्वे और वीडियोग्राफी रोकी जाए।

इसके बाद अंजुमन प्रबंधन मस्जिद कमेटी की ओर से याचिका दायर कर एडवोकेट कमिश्नर अजय कुमार मिश्रा को हटाने की मांग की गई। 3 दिन की बहस के बाद कोर्ट ने आदेश दिया कि परिसर का सर्वे जारी रहेगा। कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे के लिए नियुक्त एडवोकेट कमिश्नर अजय कुमार मिश्रा को हटाने से भी इनकार कर दिया था।

उनके अलावा कोर्ट ने विशाल कुमार सिंह और अजय सिंह को कोर्ट कमिश्नर भी बनाया। अपने आदेश में न्यायाधीश ने अपने परिवार की सुरक्षा और न्यायाधीश की सुरक्षा पर उनकी चिंता के बारे में अपनी चिंता व्यक्त की।

आदेश में उन्होंने इस प्रकार टिप्पणी की: “

” इस साधारण से दीवानी मामले को असाधारण मामला बनाकर भय का माहौल बना दिया गया। डर इतना है कि मेरा परिवार हमेशा मेरी सुरक्षा के बारे में चिंतित है और मुझे उनकी सुरक्षा की चिंता है। जब मैं घर से बाहर जाता हूं, मेरी पत्नी मेरी सुरक्षा के बारे में बहुत चिंतित रहती है। कल मेरी मां (लखनऊ में) ने हमारी बातचीत के दौरान भी मेरी सुरक्षा को लेकर चिंता जताई और मीडिया को मिली खबरों से उन्हें पता चला कि शायद मैं भी कमिश्नर के तौर पर मौके पर जा रहा हूं और मेरी मां ने मुझसे कहा कि मुझे मौके पर नहीं जाना चाहिए, क्योंकि इससे मेरी सुरक्षा को खतरा हो सकता है।”

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