अंतर्राष्ट्रीय

भारत के साथ रिश्‍तों को मजबूत करने का इच्‍छुक US, वैश्विक आर्थिक व्‍यवस्‍था को आकार देने में जुटा अमेरिका

वॉशिंगटन : अमेरिका की वित्त मंत्री जेनेट एल येलेन भारत का आधिकारिक यात्रा पर हैं। शुक्रवार को उन्होंने कहा कि भारत अमेरिका के लिए एक प्रमुख भागीदार है। अमेरिकी-भारत व्यापार और निवेश कार्यक्रम में येलेन ने कहा कि साझा वैश्विक प्राथमिकताओं को हासिल करने को लेकर अमेरिका जी-20 में भारत की अध्यक्षता का समर्थन करने के लिये उत्सुक है। अमेरिकी ग्लोबल सप्लाई चेन को विरोधियों के प्रभाव से बचाने की अपनी महत्वाकांक्षा के केंद्र में भारत को रख रहा है। दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के साथ संबंधों को मजबूत करना अमेरिका की मजबूरी है।

एक तरफ चीन के साथ उसका तनाव पहले से चरम पर है और दूसरी ओर रूस-यूक्रेन युद्ध ने पूरी दुनिया के व्यापारिक ढांचे के प्रभावित किया है। बाइडन प्रशासन में महत्वपूर्ण भूमिका रखने वाली जेनेट एल येलेन ऐसे समय पर भारत आई हैं जब पूरी दुनिया गंभीर आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रही है। करीब नौ महीने से जारी रूस और यूक्रेन युद्ध खाद्य पदार्थों और ऊर्जा कीमतों में एक बड़ी उछाल के लिए जिम्मेदार है।

भारत को प्रमुख आर्थिक भागीदार बनाना चाहता है अमेरिका

चीनी उत्पादों पर अमेरिका की निर्भरता को लेकर बढ़ी हुई चिंताओं की वजह से वॉशिंगटन वैश्विक आर्थिक व्यवस्था को फिर से आकार देने की कोशिश कर रहा है ताकि उसके सहयोगी अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए एक-दूसरे की चीजों पर निर्भर रहें। भारत अक्सर अमेरिका, चीन और रूस के बीच भू-राजनीतिक टकराव के मध्य में रहता है। लेकिन बाइडन प्रशासन अपने ‘Friend-Shoring’ एजेंडा के तहत वह भारत को अमेरिका के प्रमुख आर्थिक सहयोगियों में देखना चाहता है।

दोस्त और दुश्मन में फर्क बताएगा फ्रेंड-शोरिंग एजेंडा

येलेन ने शुक्रवार को उन देशों से दूर जाने को लेकर बात की जो अमेरिका की सप्लाई चेन को अस्थिर कर सकते हैं। जाहिर है चीन और रूस उनके दिमाग में सबसे ऊपर होंगे। नोएडा स्थित माइक्रोसॉफ्ट के रिसर्च एंड डेवलेपमेंट कैंप के दौरे के बाद येलेन ने कहा, ‘अमेरिका उन देशों को अलग करने के लिए ‘फ्रेंड-शोरिंग’ नामक दृष्टिकोण का पालन कर रहा है जो हमारी सप्लाई-चेन के लिए भू-राजनीतिक और सुरक्षा जोखिम के कारण बन सकते हैं।’

क्या है अमेरिका का ‘फ्रेंड शोरिंग’ एजेंडा?

उन्होंने कहा कि ऐसा करने के लिए हम भारत जैसे भरोसेमंद व्यापारिक भागीदारों के साथ सक्रिय रूप से आर्थिक संबंध को मजबूत कर रहे हैं। सवाल यह है कि अमेरिका का ‘फ्रेंड-शोरिंग’ एजेंडा क्या है? फ्रेंड-शोरिंग अमेरिका के लिए अपनी सोर्सिंग और निर्माण साइटों को एक से दूसरे तट पर ले जाने के लिए देशों को प्रभावित करने का एक साधन बन गया है। इसका उद्देश्य चीन जैसे ‘कम समान विचारधारा’ वाले देशों से अपनी सप्लाई चेन को बचाना है।

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