महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने बुधवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। इसके साथ ही उन्होंने MLC का पद भी छोड़ दिया और कहा कि वह अब शिवसेना भवन में बैठेंगे। बता दें कि एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना के अधिकांश विधायकों के बागी हो जाने के बाद से ही उद्धव सरकार के भविष्य पर प्रश्नचिन्ह लग गया था। इसके साथ ही सूबे में नई सरकार बनाने को लेकर बीजेपी में देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में हलचल शुरू हो गई है। बता दें कि शिवसेना के बागी विधायकों की सबसे बड़ी मांग यही थी कि महा विकास अघाड़ी गठबंधन को तोड़कर उद्धव बीजेपी से समझौता करें, और उसके साथ ही नई सरकार बनाएं।
इस्तीफा देने से पहले जनता को किया संबोधित
उद्धव ने इस्तीफा देने से पहले सोशल मीडिया के जरिए जनता को संबोधित किया। इस मौके पर उन्होंने बतौर मुख्यमंत्री अपने कामों को गिनाया और बागियों पर निशाना साधा। उद्धव ने कहा, ‘मैंने औरंगाबाद का नाम बदलकर संभाजीनगर कर दिया है। उस्मानाबाद का नाम भी बदलकर धाराशिव कर दिया है। आपके साथ अब तक की यात्रा अच्छी रही। अच्छे काम को लोगों की नजर जल्दी लगती है। आज की बैठक में शिवसेना के सिर्फ 4 लोग पहुंचे थे। मैं सोनिया गांधी और शरद पवार को शुक्रिया अदा करता हूं।’ उद्धव ने कहा कि कोई भी शिवसैनिक किसी भी बागी विधायक को मुंबई आने से न रोके।’
MVA सरकार के खिलाफ गया था सुप्रीम कोर्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को महाराष्ट्र के राज्यपाल के उस निर्देश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था जिसमें उद्धव के नेतृत्व वाली MVA सरकार को गुरुवार को विधानसभा में शक्ति परीक्षण कराने का निर्देश दिया गया था। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेबी पारदीवाला की अवकाशकालीन पीठ ने कहा कि गुरुवार को विधानसभा में कार्यवाही राज्यपाल के फैसले के खिलाफ शिवसेना की याचिका के अंतिम परिणाम के अधीन होगी। बहुमत साबित करने के राज्यपाल के निर्देश के खिलाफ याचिका पर शीर्ष अदालत ने विधानसभा सचिव और अन्य को नोटिस भी जारी किया। कोर्ट के इस फैसले के कुछ ही देर बाद उद्धव ने इस्तीफा दे दिया।
गुवाहाटी से गोवा पहुंचे शिवसेना के बागी विधायक
एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना से बगावत करने वाले विधायक बुधवार की रात गुवाहाटी से गोवा पहुंच गए। बता दें कि इससे पहले शिंदे ने गुवाहाटी से रवाना होने से कुछ मिनट पहले बुधवार शाम को कहा कि असंतुष्ट विधायक महाराष्ट्र के राज्यपाल के शक्ति परीक्षण के आदेश को चुनौती देने वाली उनकी पार्टी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करेंगे। गुवाहाटी एयरपोर्ट पर शिंदे ने कहा कि शिवसेना के बागी विधायक महाराष्ट्र और राज्य के लोगों के विकास के लिए काम करेंगे।
2.5 साल रहा उद्धव का कार्यकाल
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के तौर पर उद्धव ठाकरे का कार्यकाल कुल 2 साल 7 महीने का रहा। उन्होंने 28 नवंबर 2019 को बतौर मुख्यमंत्री कार्यकाल शुरू किया था। बता दें कि 2019 का विधानसभा चुनाव बीजेपी और शिवसेना ने मिलकर लड़ा था, लेकिन 2.5-2.5 साल के लिए मुख्यमंत्री रहने के मुद्दे पर दोनों का गठबंधन टूट गया था। शिवसेना ने आरोप लगाया था कि बीजेपी ने दोनों पार्टियों से 2.5-2.5 साल के लिए मुख्यमंत्री बनाने का वादा किया था, जबकि बीजेपी ने शिवसेना के इन आरोपों को खारिज कर दिया था।
कांटो भरा रहा उद्धव का सफर
उद्धव ठाकरे के 2.5 साल के कार्यकाल को देखें तो इनमें उनका सामना सिर्फ चुनौतियों से होता रहा। मुख्यमंत्री बनने के कुछ ही महीनों बाद देश में कोरोना वायरस का प्रकोप छा गया और महाराष्ट्र इससे सबसे ज्यादा प्रभावित राज्यों में रहा। इसके अलावा पालघर में साधुओं की हत्या, फिल्म अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत, राज ठाकरे द्वारा लाउडस्पीकर मुद्दे का उठाना, कंगना रनौट प्रकरण, रवि राणा और नवनीत राणा केस समेत कई ऐसे मुद्दे रहे जिन्होंने उद्धव सरकार के लिए चुनौतियां पेश कीं।