अपराधउत्तर प्रदेश

दो नाबालिग बहनों के अपहरण व दुष्कर्म के मामले में दो लोगों को आजीवन कारावास की सुनाई सजा

अलीगढ़। थाना देहलीगेट क्षेत्र में 21 साल पहले दो नाबालिग बहनों के अपहरण व दुष्कर्म के मामले में एडीजे एससी-एसटी एक्ट सुभाष चंद्रा की अदालत ने दो लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। एक महिला को साक्ष्यों के अभाव में बरी भी किया गया है। अदालत ने दोनों पर 38-38 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। पूरी धनराशि पीड़िताओं को देने के लिए कहा गया है।

विशेष लोक अभियोजक महेंद्र कुमार व चमन प्रकाश शर्मा ने बताया कि यह घटना 22 अक्तूबर 2003 को हुई थी। थाना देहलीगेट क्षेत्र के एक इलाके की एक महिला ने तहरीर देकर कहा कि शाम साढ़े सात बजे वह अपने पति के साथ दवा लेने गई थी। घर पर दो बेटियां व बेटा थे। इसी दौरान आरोपी आए और खाने की चीज दिलवाने के बहाने बेटियों को बहला-फुसलाकर अपने साथ लेकर चले गए। बेटे ने घर आने पर पूरे मामले की बात बतायी तो बेटियों की तलाश की गई और 23 अक्तूबर 2003 को पुलिस को सूचना दी गई। इसके डेढ़ महीने बाद पुलिस ने पानीपत से दोनों बेटियों को बरामद किया। उन्होंने बताया कि उनके साथ कमरे में बंद करके दुष्कर्म किया गया।

पुलिस ने लोधा क्षेत्र के गांव हरिदासपुर निवासी सोनू उर्फ सोनपाल, रामश्री, किशोरी, महेश, धर्मेंद्र, शंकरलाल व उसकी पत्नी मुन्नी देवी के खिलाफ मुकदमा दर्ज करते हुए चार्जशीट दाखिल की। सत्र परीक्षण के दौरान धर्मेंद्र, शंकरलाल व मुन्नी की मौत हो गई। किशोरी को भगौड़ा घोषित कर दिया गया। इस मामले में अदालत ने सोनू व महेश को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। रामश्री को बरी कर दिया गया।

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