हरियाणा

पानीपत में मैराथन, हजारों बुजुर्गों, बच्चों, महिलाओं, दिव्यांगों ने लिया भाग, सीएम ने हरी झंडी दिखाकर किया रवाना

हरियाणा।  पानीपत के सेक्टर 13-17 की रूट मैप पर रविवार सुबह पानीपत मैराथन ने ऐतिहासिक रिकॉर्ड बनाया है। इसमें हजारों बुजुर्गों, बच्चों, महिलाओं, दिव्यांगों ने भाग लिया। मैराथन को मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। तीन वर्गों में मैराथन दौड़ हुई। इसमें पांच, दस और 21 किलोमीटर में धावकों ने दौड लगाई।

जिसमें 21 किलोमीटर दौड़ में प्रथम रहने वाले विजेता को 1.21 लाख का इनाम, 10 किलोमीटर में प्रथम रहने वाले विजेता को एक लाख और पांच किलोमीटर में भी प्रथम स्थान पर आने वाले धावक को एक लाख का इनाम दिया गया। इसके अलावा दूसरे, तीसरे स्थान पर रहने वाले धावकों को भी सम्मानित किया गया। सीएम के साथ मैराथन में मंंत्री कृष्ण लाल पंवार, महिपाल ढांडा, विधायक मनमोहन भडाना और प्रमोद विज भी शामिल रहे।

मैराथन कार्यक्रम स्थल पर बनाए गए स्टेज पर कलाकाराें ने प्रस्तुति दी। इसमें ओलंपिक विजेता अमन व नवदीप भी मौजूद रहे। मैराथन स्थल सीसीटीवी कैमरों की निगरानी में रहा। 20 के करीब स्वागत द्वार बनाए गए थे। आठ एलईडी से लोग मैराथन का लुत्फ उठा रहे थे।

सरकारी विभाग व सामाजिक और धार्मिक संस्थाओं के लिए अलग से स्टाल बनाए। मैराथन के रास्ते पर भी स्टालों की व्यवस्था की गई थी। इस दौरान धावकों के लिए स्वास्थ्य फिजियोथैरपी की टीम मौजूद रही। मैराथन के लिए शनिवार शाम तक 53 हजार 950 धावकों ने पंजीकरण करवा लिया था। इसमें पांच किलोमीटर के धावकों की संख्या 50985 है जबकि 10 किलोमीटर के धावकों का आंकडा 1854 है। 21 किलोमीटर दौडऩे वालों का पंजीकरण 1147 के करीब है।

हर रोज चलनी चाहिए मैराथन: सीएम
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि पानीपत की मैराथन में हजारों बच्चों, महिलाओं, युवाओं, बुजुर्गों ने हिस्सा लिया है। इसका उद्देश्य है कि हमारा शरीर स्वस्थ रहे। ताकि ये देश और प्रदेश विकास की एक गति से आगे बढ़ सके। मैराथन में हर प्रकार की नशे से मुक्ति के लिए प्रतिज्ञा ली है। युवाओं से आग्रह किया है हमारे अंदर खेल का नशा होना चाहिए। पढ़ाई का नशा होना चाहिए।

इस भूमि पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आह्वान किया था बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ। पूर्व मुख्यमंत्री ने भी इसी अभियान को आगे बढ़ाया। जिसकी वजह से लाखों की संख्या में देश की बेटियां बची हैं। ये मैराथन हर रोज चलनी चाहिए। ताकि इससे भाईचारे का संदेश मिले और हमारा शरीर भी स्वस्थ मिले। दौड़ में विजेता रहे धावकों को सम्मानित किया गया है।

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