उत्तराखंड विधानसभा में विपक्ष का नेता कौन होगा, यह अब कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी तय करेंगी। सोमवार को नेता प्रतिपक्ष के चयन को लेकर कांग्रेस विधानमंडल दल की बैठक में कोई नाम तय नहीं हो पाया। बैठक में एक लाइन का प्रस्ताव पास कर नेता प्रतिपक्ष के चयन का अधिकार हाईकमान को सौंप दिया गया।
मंगलवार से उत्तराखंड की पांचवीं विधानसभा का पहला सत्र शुरू होने जा रहा है। विधानसभा सत्र में शुरू होने से पहले अभी तक कांग्रेस नेता प्रतिपक्ष का चयन नहीं कर सकी है। सोमवार को पार्टी प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव की अध्यक्षता में इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस मुख्यालय भवन में विधानमंडल दल की बैठक बुलाई गई थी। जिसमें पार्टी के सभी 19 विधायक शामिल हुए।
प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव ने बताया कि सभी विधायकों ने सर्वसम्मति से नेता प्रतिपक्ष के चयन का अधिकार पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी को सौंपा है। बैठक में प्रस्ताव पास कर हाईकमान को भेज दिया गया है। अब हाईकमान की ओर से ही नेता प्रतिपक्ष के नाम की घोषणा की जाएगी।
रार बरकरार, दावेदारों के नाम पर नहीं हुआ विचार
नेता प्रतिपक्ष के लिए धारचूला विधायक हरीश धामी और बदरीनाथ विधायक राजेंद्र भंडारी ने भी दावा किया था। लेकिन पार्टी सूत्रों की मानें तो बंद कमरे में हुई विधानमंडल दल की बैठक में किसी भी नाम पर चर्चा तक नहीं की गई। वहीं, किसी विधायक ने भी कोई नाम आगे नहीं किया।
पार्टी सूत्रों का कहना है कि नेता प्रतिपक्ष के चयन के लिए बुलाई गई विधानमंडल दल की बैठक औपचारिकता मात्र थी। पार्टी हाईकमान के स्तर से नाम पहले ही तय कर लिया गया है। अब घोषणा होनी बाकी है। बताया जा रहा है कि निवर्तमान नेता प्रतिपक्ष और चकराता विधायक प्रीतम सिंह को पुन: यह जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है।
मेरे हाथ में होता तो मैं एक दिन में तय कर देता नाम : प्रीतम
नेता प्रतिपक्ष के मामले में कांग्रेस विधायक प्रीतम सिंह ने कहा बिना नेता प्रतिपक्ष के भी सदन चल सकता है। नेता प्रतिपक्ष को लेकर कोई संवैधानिक बाध्यता नहीं है। यह सवाल पार्टी हाईकमान से पूछा जाना चाहिए कि इस पद को लेकर किसी नाम का चयन करने में इतनी देरी क्यों हो रही है। प्रीतम सिंह कहा कि यदि उनको इस बात का अधिकार होता तो वह एक दिन में ही नेता प्रतिपक्ष का नाम तय कर देते।
नाम तय नहीं कर पाने पर भाजपा ने ली चुटकी
भाजपा प्रवक्ता रविंद्र जुगरान ने कहा कि यह वही पार्टी है, जो चुनाव से पहले सरकार बनाने का दावा कर रही थी, लेकिन आज नेता प्रतिपक्ष तक का नाम तय नहीं कर पा रही है। उन्होंने कहा कि एक स्वस्थ लोकतंत्र के लिए जरूरी है कि एक मजबूत और क्रियात्मक विपक्ष हो, जो सरकार के अच्छे कामों में सरकार का साथ दे और कहीं पर अगर सरकार से कोई कमी रह जाती है तो उसको एक क्रियात्मक विपक्ष की भूमिका निभाए। उत्तराखंड में जिस तरह से कांग्रेस की स्थिति है, उससे लगता है कि कांग्रेस अब पूरी तरह से फेल हो चुकी है।