बुजुर्ग की अर्थी से लिपटकर श्मशान घाट तक गया बंदर, आंखों में आंसू, लोगों को रोता देख जमीन पर लेट गया
इंसानों का जानवरों के प्रति जुड़ाव तो आप सभी ने देखा होगा, लेकिन उतना ही जुड़ाव और लगाव जब किसी जानवर के मन में इंसानों के लिए होता है तो वहीं असली प्रेम और लगाव की परिभाषा सार्थक होती है। इसी से जुड़ा एक मामला यूपी के अमरोहा जिले में देखने को मिला, जहां दो वक्त की रोटी देने वाले एक बुजुर्ग की मौत होने पर एक बंदर अचानक शव के पास आकर रोने लगा। इस दृश्य को देखकर हर कोई सिर्फ भावुक ही नहीं हुआ बल्कि अचंभित भी हो गया।
दो रोटी से शुरू हुई थी इस दोस्ती की कहानी
पूरा मामला यूपी के अमरोहा जिले में स्थित कस्बा जोया के मोहल्ला जाटव कॉलोनी के रहने वाले बुजुर्ग रामकुंवर सिंह से जुड़ा है, जिनकी बीते मंगलवार को मौत हो गई थी। उस दौरान हुई इस घटना का वीडियो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। स्थानीय लोगों ने बताया कि दो महीना पहले एक बंदर रामकुंवर सिंह के पास आकर बैठ गया था और उसी वक्त बुजुर्ग रामकुंवर सिंह ने उस बंदर को खाने के लिए रोटी दे दी। बस वही वो वक्त था, जिसके बाद बंदर उनके पास प्रतिदिन उनके पास आकर बैठने लगा और रोटी हमेशा की तरह रोटी पाकर अपना पेट भरता था। लेकिन मंगलवार को अचानक रामकुंवर का देहांत हो गया।
वीडियो अमरोहा का है.
बंदर को पिछले काफी समय से खाना देने वाले की मृत्यु हो गई.. व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसकी अर्थी पर लिपटकर बंदर खूब रोया और 35 किलोमीटर अर्थी पर बैठकर गंगा घाट भी गया और उसके अंतिम संस्कार में शामिल हुआ..
लेकिन इंसान कितना हैवान है कि मां बाप को वृद्धा आश्रम… pic.twitter.com/NJkkBE11vr— Akhilesh Tiwari (अखिलेश तिवारी) (@Akhilesh_tiwa) October 12, 2023
बुजुर्ग के शव के पास बैठकर रोने लगा बंदर
लोगों ने बताया कि रोज की तरह बुधवार की सुबह तकरीबन 10 बजे वही बंदर खाना खाने घर पहुंचा तो वहां लोगों की भीड़ देखी, जिसके बाद बंदर ने भीतर जाकर अर्थी देखी तो उसके पास ही जाकर बैठ गया। इस दौरान काफी देर तक मृतक बुजुर्ग के परिवार के लोगों के बीच अंतिम दर्शन करने का सिलसिला चलता रहा और बंदर भी मृतका बुजुर्ग के शव के पास बैठा रहा। लोग बंदर का मनुष्य के प्रति ऐसा लगाव देखकर हैरान हो गए। स्थानीय लोगों का कहना है कि उस दौरान बंदर की आखों में आंसू भी थे, जिसे देखकर हर कोई भावुक हो रहा था।
इलाके में चर्चा का विषय बनी बंदर और रामकुंवर सिंह की कहानी
बातचीत के दौरान लोगों ने बताया कि जब मृतक के परिजन मृतक बुजुर्ग के शव को तिगरी धाम ले जाने के लिए डीसीएम से जाने लगे तो बंदर भी डीसीएम में सवार हो गया और जोया से तिगरी धाम तक शव से लिपटा रहा। इतना ही नहीं, वहां अंतिम संस्कार होने तक चिता के पास ही घूमता रहा और बाद में परिवार के साथ ही वापस लौटा। बंदर और रामकुंवर सिंह के लगाव की ये कहानी पूरे इलाके में अब चर्चा का विषय बनी हुई है।