उत्तर प्रदेशराज्य

कार्बन डेटिंग की मांग को अदालत ने किया खारिज, कहा – ‘शिवलिंग को हो सकती है क्षति’

वाराणसी: उत्तर प्रदेश के वाराणसी स्थित ज्ञानवापी परिसर में मिले कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग जांच की मांग कर रहे हिंदू पक्षकारों की उम्मीदों को जिला अदालत से बड़ा झटका लगा है. ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी मामले में कोर्ट ने हिन्दू पक्ष की कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग की मांग वाली याचिका खारिज कर दी और कहा कि कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग जांच नहीं होगी. अपने फैसले में कोर्ट ने कहा कि जहां कथित शिवलिंग मिला था, उसे सुरक्षित रखा जाए. बता दें कि 11 अक्टूबर को कोर्ट ने फैसला 14 अक्टूबर तक सुरक्षित रख लिया था.

चलिए जानते हैं ज्ञानवापी पर वाराणसी कोर्ट के फैसले की खास बातें

-ज्ञानवापी परिसर में मिले कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग जांच की मांग कर रहे हिंदू पक्षकारों को बड़ा झटका लगा है. जिला अदालत ने हिंदू पक्षकारों की याचिका खारिज कर दी और फैसला सुनाया कि कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग नहीं होगी.
–जज ने कहा कि वो नहीं चाहते कि कथित शिवलिंग के साथ अपमान हो, इसलिए कार्बन डेटिंग खारिज करते हैं.
-क्या है कोर्ट का पूरा आदेश
‘माननीय उच्चतम न्यायालय ने प्रस्तुत प्रकरण के आदेश में निर्देशित किया है कि अधिवक्ता कमिश्नर की कार्यवाही के दौरान जो कथित शिवलिंगम पाया गया है, उसे सुरक्षित रखा जाये. ऐसी स्थिति में यदि कार्बन डेटिंग तकनीक का प्रयोग करने पर या ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार का प्रयोग करने पर उक्त कथित शिवलिंग को क्षति पहुंचती है तो यह माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेश दिनांकित 17.05.2022 का उल्लंघन होगा. इसके अतिरिक्त ऐसा होने पर आम जनता की धार्मिक भावनाओं को भी चोट पहुंच सकती है. मेरा यह भी विचार है कि इस स्तर पर अधिवक्ता कमिश्नर की कार्यवाही के दौरान दिनांक 16.05.2022 को पाये गये कथित शिवलिंग की आयु, प्रकृति और संरचना का निर्धारण करने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वे को निर्देश दिया जाना उचित नहीं होगा और ऐसा आदेश करने से बाद में अंतर्वलित प्रश्नों के न्यायपूर्ण समाधान की कोई संभावना प्रतीत नहीं होती है.’
-वाराणसी जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश ने कोर्ट रूम में 58 लोगों की मौजूदगी में करीब ढाए बजे यह फैसला सुनाया.
-ज्ञानवापी केस पर फैसले के मद्देनजर कोर्ट परिसर में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं.
-कथित शिवलिंग काशी विश्वनाथ मंदिर से ही लगे हुए ज्ञानवापी मस्जिद के भीतर मौजूद है, जिसे मुस्लिम पक्ष वजू खाने का काफव्वारा कहता है, जबकि हिंदू पक्ष शिवलिंग. इसी की कार्बन डेटिंग के मुद्दे पर वाराणसी जिला अदालत में जज ने फैसला सुनाया.

पिछली सुनवाई में क्या हुआ था

जिला शासकीय अधिवक्ता महेंद्र प्रताप पांडेय के मुताबिक, ज्ञानवापी परिसर में मिले कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग और वैज्ञानिक परीक्षण को लेकर सात अक्टूबर को हिन्दू पक्ष ने अपना स्पष्टीकरण प्रस्तुत करते हुए दावा किया था कि वजूखाने में मिला शिवलिंग उनके वाद का हिस्सा है. हिन्दू पक्ष के स्पष्टीकरण पर मुस्लिम पक्ष के अधिवक्ताओं ने अपना जवाब प्रस्तुत कर दिया है.

वहीं, मुस्लिम पक्ष के अधिवक्ता मुमताज अहमद ने बताया था कि उन्होंने अदालत से कहा है कि परिसर में मिली आकृति की कार्बन डेटिंग नहीं करायी जा सकती. उन्होंने कहा, ‘दूसरा, हिन्दू पक्ष तोड़-फोड़ की बात कर रहा है, जिससे आकृति नष्ट हो सकती है. जबकि सुप्रीम कोर्ट ने उसे संरक्षित रखने का आदेश दिया है. अगर कार्बन डेटिंग के नाम पर आकृति में तोड़ फोड़ की जाती है तो यह सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना होगी.

क्या है यह मामला

गौरतलब है कि सिविल जज सीनियर डिवीजन के आदेश पर पिछली मई में हुई ज्ञानवापी परिसर की वीडियोग्राफी सर्वे के दौरान ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने में एक लम्बा और ऊपर से गोल पत्थर मिला था. हिन्दू पक्ष का दावा है कि वह शिवलिंग है, जबकि मस्जिद इंतजामिया कमेटी का कहना है कि वह शिवलिंग नहीं बल्कि फौव्वारे का हिस्सा है. उसकी दलील है कि मुगलकाल में बनी अनेक अन्य ऐसी मस्जिदें और दीगर इमारतें हैं जिनके वजूखाने में इसी तरह के फौव्वारे लगे हैं.

हिंदू पक्ष ने की है कार्बन डेटिंग जांच की मांग

बहरहाल, हिन्दू पक्ष ने जिला अदालत से कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग जांच कराने की मांग की थी, ताकि यह पता लग सके कि वह पत्थर कितना पुराना है. फिलहाल, ज्ञानवापी पर फैसला आने से पहले कोर्ट परिसर में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. प्रशासन ने भारी संख्या में पुलिस बलों की तैनाती की है. ज्ञानवापी केस में हिंदू पक्ष की तीन प्रमुख मांगें- 1. पूजा करने का अधिकार मिले, 2. मुस्लिमों को एंट्री ना मिले और 3. पूरा परिसर हिंदुओं को सौंपा जाए.

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