राष्ट्रीय

अडाणी-हिंडनबर्ग विवाद से जुड़ी याचिकाओं पर 12 मई को सुप्रीम कोर्ट करेगा सुनवाई

अडानी समूह के खिलाफ अमेरिकी लघु विक्रेता हिंडनबर्ग के आरोपों को देखने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित छह सदस्यीय एक्सपर्ट पैनल ने 8 मई को एक सीलबंद कवर में अपनी रिपोर्ट अदालत को सौंप दी है, बुधवार को एक रिपोर्ट में कहा गया.  यह मामला 12 मई को भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डी वाई चंद्रचूड़ के समक्ष सुनवाई के पेश किया जाएगा.

इकोनॉमिक टाइम्स के मुताबिक, ‘यह ज्ञात नहीं है कि समिति ने अपने 2 मार्च के आदेश में सुप्रीम कोर्ट द्वारा बताए गए सभी मुद्दों की जांच पूरी कर ली है या क्या उसने अपने निष्कर्ष निकालने के लिए और समय मांगा है.’

फरवरी में, शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार द्वारा समिति के सदस्यों के रूप में सुझाए गए नाम को खारिज कर दिया था और अपने स्वयं के पैनल के गठन की घोषणा की थी.

सुप्रीम कोर्ट के पैनल में शामिल हैं ये नाम

सुप्रीम कोर्ट के पैनल की अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश एएम सप्रे, पूर्व बैंकर के वी कामथ और ओपी भट्ट, इंफोसिस के सह-संस्थापक नंदन नीलेकामी, प्रतिभूति वकील सोमशेखर सुंदरसन और सेवानिवृत्त उच्च न्यायालय के न्यायाधीश जे पी देवधर कर रहे हैं.

सेबी को दाखिल करनी थी रिपोर्ट लेकिन…

सेबी को 2 मई तक रिपोर्ट दाखिल करनी थी, लेकिन 29 अप्रैल को उसने अडानी समूह के खिलाफ स्टॉक हेरफेर और वित्तीय धोखाधड़ी के आरोपों की गहन जांच के लिए छह महीने के विस्तार की मांग करते हुए एक आवेदन दिया.

अदालत में सेबी की दलील के बाद, अडानी समूह ने जवाब दिया, ‘हम समझते हैं कि सेबी ने अपनी जांच पूरी करने के लिए और समय के लिए माननीय सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है.’ बयान में कहा गया, ‘हमने जांच का स्वागत किया है, जो सभी को सुनने और सभी मुद्दों को संबोधित करने के लिए एक उचित अवसर का प्रतिनिधित्व करता है. हम सभी कानूनों, नियमों और विनियमों का पूरी तरह से पालन कर रहे हैं और हमें विश्वास है कि सत्य की जीत होगी. हम सेबी के साथ पूरा सहयोग कर रहे हैं और अपना पूरा समर्थन और सहयोग देना जारी रखेंगे.’

हिंडनबर्ग ने लगाए अडानी समूह पर गंभीर आरोप

इस साल की शुरुआत में जनवरी में, हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी समूह पर ‘शेयरों में हेरफेर और दशकों से अकाउंटिंग धोखाधड़ी’ का आरोप लगाया था. इसने आगे कहा कि भारतीय समूह शेल कंपनियों का उपयोग करके स्टॉक हेरफेर और धोखाधड़ी में शामिल था और अडानी कंपनियों ने ऋण के लिए शेयरों को गिरवी रखने सहित पर्याप्त कर्ज भी लिया है.

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