फल व सब्जियों को लंबे समय तक ताजा रखने के उपाय तलाशेंगे एमिटी बागवानी और अनुसंधान संस्थान के छात्र
नोएडा। सेक्टर-125 स्थित एमिटी विश्वविद्यालय के छात्र फल और सब्जियों के कटने के उपरांत उन्हें लंबे समय तक ताजा रखने के उपाय तलाशेंगे। साथ ही बागबानी अपशिष्ट के जरिए हर्बल खाद्य पदार्थ भी तैयार करेंगे। अबतक कई छात्र एलोवेरा, आंवला समेत अन्य खाद्य पदार्थों के छिलकों व अन्य अपशिष्ट से जूस, जैली आदि पदार्थ तैयार भी कर चुके हैं। दावा किया है कि यह हर्बल पदार्थ डायबिटीज, हाइपरटेंशन समेत अन्य गंभीर रोगों से लड़ने में भी सक्षम है।यह प्रयोग भविष्य में खाने की कमी को दूर करेगा। साथ ही नए सहयोग, शोध और नवचार को जन्म देगा।
एमिटी फूड एंड एग्रीकल्चर फांउडेशन की महानिदेशक डॉ. नूतन कौशिक ने बताया कि जिस अनुपात में आबादी बढ़ रही है, आने वाले समय में सबके लिए पोषण युक्त भोजन उपलब्ध करना एक बड़ी चुनौती होगी। ऐसे में अपशिष्ट प्रबंधन, अपशिष्ट को कम करने, ग्रामीण स्थिरता, ग्रामीण उद्यमिता प्रणाली को विकसित करने के लिए एमिटी बागवानी और अनुसंधान संस्थान में पढ़ाई करने वाले स्नातकोत्तर और पीएचडी के विद्यार्थी नया प्रयोग कर रहे हैं। देश में कृषि क्षेत्र के लिए 142 मिलियन हेक्टेयर भूमि है। वर्तमान आबादी को देखते हुए 2050 तक देश को 70 प्रतिशत खाद्य उत्पाद करना होगा, लेकिन आधुनिकता और बढ़ते शहरीकरण से मसालों में पाए जाने वाले पांरपरिक पौष्टिक तत्व कम हो रहे हैं। इसके निराकरण को अधिक रचनात्मक और आत्मसात बनाने व खाद्य सुरक्षा की चुनौतियों से निपटने के लिए पोस्ट हार्वेस्ट लॉसिस (कटने के उपरांत खराब होना) को कम करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
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खाद्य उत्पादों का वेल्यू एडिशन करेंगे विद्यार्थी
डॉ. नूतन कौशिक ने बताया कि टमाटर दो दिन में खराब हो जाते हैं। इसी तरह केला एक दिन में ही काला पड़ने लगता है। इसी तरह कई अन्य सब्जियां और फल भी है जो कटने के तुरंत बाद खराब होने लगती है। यदि खानपान की चीजें इसी तरह से खराब होगी तो आने वाले समय में फूड की कमी हो जाएगी। ऐसे में छात्र खाद्य पदार्थों के वेल्यू एडिशन पर भी काम करेंगे। फल और सब्जियों को पैकिंग, कोटिंग आदि पर काम किया जाएगा, ताकि पोस्ट हार्वेस्ट लॉसिस को कम कर फल और सब्जी को लंबे समय तक ताजा रखा जा सकें।
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आशीष धामा