सामाजिक संगठन महिला उन्नति संस्था ने मनाई नारी मुक्ति आंदोलन की प्रणेता सावित्रीबाई फूले की जयंती
ग्रेटर नोएडा संवाददाता, भारत की पहली महिला शिक्षिका और नारी मुक्ति आंदोलन की प्रणेता सावित्रीबाई फूले की जयंती को शिक्षक दिवस के रूप मे मनाते हुए सामाजिक संगठन महिला उन्नति संस्था ने जारचा के कलौंदा स्थित वत्सराज स्वतंत्र भारत इंटर कॉलेज मे महिला शिक्षकों को नारी शिक्षक सम्मान देकर सम्मानित किया। सावित्रीबाई फूले के चित्र पर पुष्प अर्पित करते हुए संस्था के संरक्षक मास्टर विरेन्द्रपाल राणा ने उपस्थित छात्रों को बताया कि महाराष्ट्र के सतारा जिले के नयागांव में 3 जनवरी 1831 को जन्मी सावित्रीबाई फुले भारत की पहली महिला शिक्षिका थी। सावित्रीबाई फुले शिक्षक होने के साथ भारत के नारी मुक्ति आंदोलन की प्रणेता, समाज सुधारक और मराठी कवयित्री भी थी।उन्हें बालिकाओं को शिक्षित करने के लिए समाज का कड़ा विरोध झेलना पड़ा था। कई बार तो ऐसा भी हुआ जब इन्हें समाज के ठेकेदारों से पत्थर भी खाने पड़े।क्योकि तब महिलाओ को शिक्षा ग्रहण करने का अधिकार नहीं था। ऐसे समय में सावित्रीबाई फुले ने जो कर दिखाया वह कोई साधारण उपलब्धि नहीं है। वह जब स्कूल पढ़ने जाती थीं तो लोग उन पर पत्थर फेंकते थे। इस सब के बावजूद वह अपने लक्ष्य से कभी नहीं भटकी और लड़कियों व महिलाओं को शिक्षा का हक दिलाया। उन्होंने बालिकाओं के लिए एक विद्यालय की स्थापना भी की थी। वहीं स्कूल के उपप्रधानाचार्य उपेंद्र सिंह ने कहा कि भारत में आजादी से पहले समाज के अंदर छुआ-छूत, सतीप्रथा, बाल-विवाह और विधवा-विवाह जैसी कुरीतियां व्याप्त थी। सावित्रीबाई को महिलाओं के उत्थान के लिए काम करने, छुआछूत के खिलाफ आवाज उठाने के कारण उन्हें एक बड़े वर्ग द्वारा विरोध भी झेलना पड़ा लेकिन सावित्रीबाई अपने निर्णय पर अडिग रही।संस्था के संस्थापक डाॅ राहुल वर्मा ने कहा कि विधवाओं की दुर्दशा से चिंतित होकर उन्होंने विधवाओं के लिए एक आश्रय खोला उनके इस आश्रय गृह में निराश्रित महिलाओं, विधवाओं और उन बाल बहुओं को जगह मिलने लगी जिनको उनके परिवार वालों ने छोड़ दिया था। सावित्रीबाई उन सभी को पढ़ाती लिखाती थीं। इस अवसर पर संगठन द्वारा महिला शिक्षिकाओं को नारी शिक्षक सम्मान देकर सम्मानित किया गया। इस दौरान निशा सिंह, नीतू सिंह, रितु चौधरी, विनीता, सीमा, जोगेंद्र सिंह और रवि कुमार आदि लोग मौजूद रहे।