उत्तर प्रदेश में बनेगा छह लेन का ग्रीनफील्ड हाईवे, राज्य और केंद्र सरकार ने लिया फैसला - न्यूज़ इंडिया 9
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उत्तर प्रदेश में बनेगा छह लेन का ग्रीनफील्ड हाईवे, राज्य और केंद्र सरकार ने लिया फैसला

इन जिलों से होकर गुजरेगा यह हाईवे?
व्यापार और उद्योग में आयेगी तेजी 
लखनऊ। यूपी ग्रीनफील्ड हाईवे (UP Greenfield Highway) उत्तर प्रदेश को एक और इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट की बड़ी सौगात मिलने जा रही है। राज्य सरकार और केंद्र सरकार ने मिलकर एक नया छह लेन का ग्रीनफील्ड हाईवे बनाने का फैसला किया है, जो न केवल परिवहन को आसान बनाएगा, बल्कि इससे जुड़े जिलों की अर्थव्यवस्था और भूमि की कीमतों में जबरदस्त उछाल आएगा। इस हाईवे के बनने से न केवल यात्रा का समय कम होगा, बल्कि कृषि, व्यापार, और रियल एस्टेट में भी तेजी आएगी। आइए जानते हैं इस नए हाईवे के बारे में पूरी जानकारी यह किन जिलों से होकर गुजरेगा, कब तक पूरा होगा, और इसका स्थानीय निवासियों और किसानों पर क्या असर पड़ेगा।
1. ग्रीनफील्ड हाईवे का मतलब
ग्रीनफील्ड हाईवे का अर्थ है नई जगह पर पूरी तरह से नया हाईवे बनाना, जहां पहले कोई सड़क नहीं थी। इसका मकसद है सीधे और तेज रूट बनाना, जिससे यात्रा का समय और ईंधन दोनों की बचत हो।
• छह लेन चौड़ा हाईवे, जिसे भविष्य में आठ लेन तक बढ़ाया जा सकेगा।
• तेज गति सीमा (Speed Limit): 120 किमी/घंटा तक।
• इको-फ्रेंडली तकनीक का इस्तेमाल, जिससे पर्यावरण को कम नुकसान पहुंचे।
2. यूपी के लिए ग्रीनफील्ड हाईवे क्यों जरूरी?
उत्तर प्रदेश में व्यापार, कृषि, और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए यह हाईवे बेहद जरूरी है।
लॉजिस्टिक्स नेटवर्क को मजबूत करना।
गांवों और छोटे शहरों को मुख्यधारा से जोड़ना।
अर्थव्यवस्था में तेजी लाना और रोजगार के नए अवसर पैदा करना।
यूपी ग्रीनफील्ड हाईवे : किन जिलों से होकर गुजरेगा यह हाईवे?
1. प्रस्तावित रूट और जिलों की सूची
नए छह लेन के ग्रीनफील्ड हाईवे के जरिए पूर्वांचल से लेकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश तक के कई जिलों को जोड़ा जाएगा।
क्रमांक जिला प्रमुख लाभ
1 वाराणसी व्यापार और पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।
2 जौनपुर कृषि उत्पादों के लिए नया बाजार।
3 सुल्तानपुर स्थानीय उद्योगों को नए अवसर।
4 अयोध्या राम मंदिर के चलते पर्यटन में वृद्धि।
5 बाराबंकी छोटे व्यापारियों को नए बाजार से जोड़ना।
6 लखनऊ राजधानी से तेज और आसान कनेक्टिविटी।
7 कानपुर औद्योगिक क्षेत्रों में व्यापार में तेजी।
8 एटा रियल एस्टेट और कृषि में विकास।
9 अलीगढ़ शिक्षा और उद्योगों में तेजी।
10 नोएडा/ग्रेटर नोएडा दिल्ली-NCR से सीधा संपर्क।
नोट: अंतिम रूट और जिलों की सूची में कुछ बदलाव संभव हैं क्योंकि परियोजना अभी प्रस्तावित चरण में है।
इस हाईवे से जुड़े फायदे: कैसे बदलेगी जिलों की तस्वीर?
1. भूमि की कीमतों में जबरदस्त उछाल
हाईवे के बनने से हाईवे के किनारे की जमीनों की कीमतें आसमान छूने लगती हैं।
कृषि भूमि के रेट 2-3 गुना तक बढ़ सकते हैं।
रियल एस्टेट में नई परियोजनाओं के आने से प्लॉट और फ्लैट्स की कीमतों में वृद्धि।
औद्योगिक क्षेत्रों के आसपास जमीनों की मांग में तेजी।
जिला वर्तमान भूमि दर (₹/बीघा) हाईवे के बाद अनुमानित दर (₹/बीघा)
वाराणसी ₹10-12 लाख ₹20-25 लाख
अयोध्या ₹8-10 लाख ₹18-22 लाख
लखनऊ ₹15-18 लाख ₹30-35 लाख
नोएडा/ग्रेटर नोएडा ₹40-45 लाख ₹70-80 लाख
2. व्यापार और उद्योग में तेजी
हाईवे के बनने से लॉजिस्टिक्स और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को जबरदस्त बढ़ावा मिलेगा।
फूड प्रोसेसिंग यूनिट्स, कोल्ड स्टोरेज, और वेयरहाउसिंग की स्थापना होगी।
स्थानीय उद्योगों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों से जोड़ने का मौका मिलेगा।
कृषि उत्पादों के ट्रांसपोर्टेशन में लागत घटेगी और समय की बचत होगी।
3. रोजगार के नए अवसर
हाईवे निर्माण और उसके बाद के विकास कार्यों से हजारों लोगों को रोजगार मिलेगा।
निर्माण कार्य में मजदूरों और इंजीनियरों की मांग।
होटल, रेस्टोरेंट, पेट्रोल पंप, और सर्विस सेंटर्स के जरिए स्थानीय लोगों को रोजगार।
ट्रांसपोर्ट और लॉजिस्टिक्स सेक्टर में नए व्यवसाय के अवसर।
परियोजना की स्थिति और समयरेखा
परियोजना चरण स्थिति अनुमानित पूरा होने की तारीख
परियोजना की घोषणा पूरी (2024 के बजट में शामिल) जनवरी 2024
भूमि अधिग्रहण 50% तक पूरी दिसंबर 2024
निर्माण कार्य की शुरुआत प्रस्तावित मार्च 2025
निर्माण कार्य की समाप्ति निर्माणाधीन दिसंबर 2027
हाईवे चालू होने की तारीख
जनवरी 2028 (अनुमानित)
हाईवे निर्माण के दौरान किसानों और स्थानीय निवासियों के लिए फायदे और चुनौतियां
1. फायदे
भूमि मुआवजा: सरकार द्वारा किसानों को न्यायसंगत मुआवजा मिलेगा। भूमि अधिग्रहण के दौरान बाजार दर से 2-3 गुना अधिक भुगतान किया जा सकता है।
नई व्यावसायिक संभावनाएं: जमीन बेचने के बाद भी किसान व्यापारिक गतिविधियों में निवेश कर सकते हैं।
सड़क कनेक्टिविटी: छोटे गांवों और कस्बों को बड़े शहरों से जोड़ने का मौका मिलेगा।
2. चुनौतियां
भूमि अधिग्रहण में विवाद: कुछ क्षेत्रों में भूमि अधिग्रहण को लेकर किसान विरोध कर सकते हैं।
विस्थापन: कुछ परिवारों को अपनी पैतृक भूमि छोड़नी पड़ सकती है।
पर्यावरणीय प्रभाव: पेड़ों की कटाई और पर्यावरण पर असर हो सकता है।
हाईवे के किनारे कौन-कौन से व्यावसायिक अवसर होंगे?
1. रियल एस्टेट और हाउसिंग प्रोजेक्ट्स
हाउसिंग सोसाइटीज और गेटेड कम्युनिटीज का विकास होगा।
कॉमर्शियल प्रॉपर्टी जैसे मॉल, शॉपिंग कॉम्प्लेक्स, और ऑफिस स्पेस की मांग बढ़ेगी।
2. लॉजिस्टिक्स और ट्रांसपोर्ट बिजनेस
वेयरहाउसिंग हब्स और कोल्ड स्टोरेज यूनिट्स का विकास।
ट्रकिंग कंपनियां और डिलीवरी सर्विसेस के लिए नए रूट और अवसर।
3. सर्विस इंडस्ट्री और हॉस्पिटैलिटी
होटल, रेस्टोरेंट, और ढाबा खोलने के नए अवसर।
फ्यूल स्टेशन और ईवी चार्जिंग स्टेशन का निर्माण।

ग्रीनफील्ड हाईवे के पर्यावरणीय और सामाजिक प्रभाव

1. पर्यावरणीय प्रभाव 

जैव विविधता पर असर: वन क्षेत्रों के कटने से प्राकृतिक संसाधनों पर प्रभाव।
ग्रीन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल: सरकार हाईवे के दोनों ओर पेड़ लगाने और सोलर लाइट्स लगाने की योजना बना रही है।

2. सामाजिक प्रभाव 

गांवों और कस्बों में विकास: नई सड़क कनेक्टिविटी से गांवों में शिक्षा, स्वास्थ्य, और व्यापार के नए अवसर खुलेंगे।
आवासीय क्षेत्रों में सुविधा: लोगों को शहरों की सुविधाएं अपने आसपास मिलेंगी, जिससे ग्रामीण जीवन स्तर में सुधार होगा।

यह छह लेन का ग्रीनफील्ड हाईवे उत्तर प्रदेश के इंफ्रास्ट्रक्चर और अर्थव्यवस्था के लिए एक क्रांतिकारी बदलाव लाने वाला है। इससे न केवल यात्रा का समय कम होगा, बल्कि जमीनों की कीमतें भी आसमान छूने लगेंगी। किसानों और स्थानीय निवासियों के लिए यह एक सुनहरा अवसर है, जिससे वे अपनी संपत्ति के मूल्य में बढ़ोतरी कर सकते हैं और व्यावसायिक अवसरों का लाभ उठा सकते हैं।

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