डोकराणी बामक ग्लेशियर क्षेत्र में रेस्क्यू दल ने शुक्रवार को सात प्रशिक्षु पर्वतारोहियों के शव बरामद किए। सात शव हेलीपैड पर पहुंच गए हैं। आपको बता दें कि अब तक कुल 26 शव बरामद कर लिए गए हैं, जबकि तीन अभी भी लापता हैं। इनकी तलाश के लिए रेस्क्यू अभियान जारी है। घटनास्थल से सभी शवों को एडवांस बेस कैंप की ओर लाने का प्रयास किया जा रहा है।
उच्च हिमालयी क्षेत्र में प्रशिक्षण के लिए निकले नेहरू पर्वतारोहण संस्थान के 29 सदस्य रविवार को डोकराणी बामक ग्लेशियर में हिमस्खलन की चपेट में आने के बाद लापता हो गए थे। चार शव घटना के दिन ही फर्स्ट रिस्पांडर ने बरामद कर लिए थे। बीते बृहस्पतिवार को आईटीबीपी, एसडीआरएफ, हॉज (हाई एल्टीट्यूड वार वेलफेयर स्कूल गुलमर्ग) व सेना ने घटना स्थल पर रेस्क्यू शुरू किया था और प्रशिक्षुओं के शव बरामद किए थे।
जबकि शुक्रवार को रेस्क्यू टीम ने घटना स्थल से सात प्रशिक्षु पर्वतारोहियों के शव बरामद किए। अब तक कुल 26 शव बरामद हो चुके हैं। इनमें से दो शव प्रशिक्षकों के हैं और 24 शव प्रशिक्षु पर्वतारोहियों के हैं। अभी भी तीन प्रशिक्षु लापता चल रहे हैं जिनकी तलाश के लिए घटना स्थल पर रेस्क्यू किया जा रहा है।
26 शवों में से सिर्फ चार ही जिला मुख्यालय भेजे
बीते बृहस्पतिवार को रेस्क्यू दल ने 15 शव बरामद किए थे लेकिन मौसम खराब होने के कारण इन शवों को जिला मुख्यालय नहीं भेजा जा सका था। जबकि शुक्रवार को बरामद शव भी नहीं भेजे जा सके। स्थिति यह है कि 26 शवों में सिर्फ चार शवों को ही जिला मुख्यालय भेजा जा सका। रेस्क्यू अभियान के पहले दिन बरामद हुए प्रशिक्षक सविता कंसवाल निवासी लौंथरु उत्तरकाशी, नौमी रावत निवासी भुक्की उत्तरकाशी, प्रशिक्षु अजय बिष्ट निवासी अल्मोड़ा व शिवम कैंथला निवासी शिमला के शव को ही शुक्रवार को एडवांस बेस कैंप से हर्षिल तक हेलीकॉप्टर से भेजा गया। यहां से सेना के एंबुलेस से शव जिला चिकित्सालय भेजे गए। जहां पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों को सौंप दिए गए।
जाते हुए हुआ था हादसा : अनिल
नेहरू पर्वतारोहण संस्थान का द्रौपदी का डांडा-2 की तरफ जाते हुए हिमस्खलन की चपेट में आया था। हादसे में जिंदा बचे निम के प्रशिक्षक अनिल कुमार ने यह जानकारी दी है।
रविवार को डोकरानी बामक ग्लेशियर क्षेत्र में स्थित द्रौपदी का डांडा-2 हिमस्खलन घटना के बाद निम ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया था कि हादसा चोटी से उतरने के दौरान हुआ था। बताया जा रहा है कि निम ने घटना के तत्काल बाद जब रेस्क्यू के लिए एसडीआरएफ से संपर्क किया था तो उसे भी हिमस्खलन की चपेट में आने वालों की स्पष्ट संख्या नहीं बताई थी।
हादसे में जिंदा लौटे निम के प्रशिक्षक अनिल कुमार का कहना था कि चोटी के आरोहरण के दौरान अचानक हिमस्खलन हुआ जबकि उस समय दल के सदस्य चोटी से महज 100 से 150 मीटर की दूरी पर थे।