ज्ञानवापी का साइंटिफिक सर्वे शुरू, आज SC में मुस्लिम पक्ष की सुनवाई
ज्ञानवापी मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ मुस्लिम पक्ष की एसएलपी यानी विशेष अनुमति याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हो चुकी है. ज्ञानवापी सर्वे जारी रखने के आदेश को चुनौती देने वाली मुस्लिम पक्ष की याचिका में आशंका जताई गई है कि ASI वहां खुदाई का काम कर सकती है. वहीं सुप्रीम कोर्ट आज ज्ञानवापी मामले के सुनवाई योग्य होने को लेकर दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई करेगा.
माना जा रहा है कि उसी समय इसका भी मसला उठ जाएगा. कारण, दोनों पक्ष गुरुवार को पौने सात बजे तक कोर्ट में सुनवाई कराने को लेकर बैठे रहे. इस पर रजिस्ट्रार जनरल ज्यूडिशियल ने वकीलों से कहा कि मामला 4 अगस्त को सूचीबद्ध किया जाएगा. वकीलों से यह भी कहा गया है कि वे मामले की सुनवाई के लिए सुबह मामले का उल्लेख कर सकते हैं. इसके बाद दोनों पक्षों को वकील सुप्रीम कोर्ट से बाहर निकले.
याचिकाकर्ता अंजुमन इंतजामिया मसाजिद की लीगल टीम का कहना है कि वो शीघ्र सुनवाई के लिए शुक्रवार सुबह भी सीजेआई से आग्रह करेंगे. अर्जी में यह भी कहा गया है कि ASI सर्वे से पूरे मामले पर असर पड़ेगा. इसलिए इस पर तत्काल रोक लगाई जाए. याचिका में मुस्लिम पक्ष की दलील है कि वजूखाना के सर्वे पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए रोक का आदेश पूरी मस्जिद पर लागू होता है, ना कि सिर्फ उस विशेष स्थान पर जहां वजूखाना स्थित है.
याचिका में कहा गया है कि ASI वहां पर भी खुदाई कर सकती है, क्योंकि ASI की टीम वहां पर खुदाई के उपकरणों के साथ पहुंची है. इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान भी ASI की टीम परिसर के पास ही रुकी हुई है.
सुप्रीम कोर्ट में वकील निज़ाम पाशा ने मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के समक्ष मामले का उल्लेख करते हुए तत्काल सुनवाई की मांग की थी. उन्होंने कहा, “इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आदेश पारित किया है. हमने आदेश के खिलाफ एक एसएलपी दायर की है. मैंने एक ईमेल भेजा है (तत्काल सुनवाई की मांग). उन्हें सर्वेक्षण के साथ आगे नहीं बढ़ने दें.”
इस पर सीजेआई ने जवाब दिया कि वह तुरंत ईमेल देखेंगे. वहीं हिंदू पक्ष के एक पक्ष ने शीर्ष अदालत में एक कैविएट भी दायर की है, जिसमें कहा गया है कि मामले में उन्हें सुने बिना कोई आदेश पारित नहीं किया जाना चाहिए.
21 जुलाई को वाराणसी कोर्ट ने दिया था सर्वे का आदेश
बता दें कि वाराणसी जिला अदालत ने 21 जुलाई को एक आदेश जारी किया था. इस आदेश को अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी. हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर ने दोनों पक्षों के वकीलों को सुनने के बाद 27 जुलाई को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था. 3 अगस्त को हाईकोर्ट ने अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी की याचिका को खारिज करते हुए ज्ञानवापी मस्जिद के ASI सर्वे को हरी झंडी दे दी है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा, न्यायहित में ASI का सर्वे जरूरी है. कुछ शर्तों के तहत इसे लागू करने की आवश्यकता है.
क्या है ज्ञानवापी का विवाद?
-अगस्त 2021 में पांच महिलाओं ने वाराणसी के सिविल जज (सीनियर डिविजन) के सामने एक वाद दायर किया था. इसमें उन्होंने ज्ञानवापी मस्जिद के बगल में बने श्रृंगार गौरी मंदिर में रोजाना पूजा और दर्शन करने की अनुमति देने की मांग की थी. – महिलाओं की याचिका पर जज रवि कुमार दिवाकर ने मस्जिद परिसर का एडवोकेट सर्वे कराने का आदेश दिया था. कोर्ट के आदेश पर पिछली साल तीन दिन तक सर्वे हुआ था. सर्वे के बाद हिंदू पक्ष ने यहां शिवलिंग मिलने का दावा किया था. दावा था कि मस्जिद के वजूखाने में शिवलिंग है. हालांकि, मुस्लिम पक्ष का कहना था कि वो शिवलिंग नहीं, बल्कि फव्वारा है जो हर मस्जिद में होता है.
-इसके बाद हिंदू पक्ष ने विवादित स्थल को सील करने की मांग की थी. सेशन कोर्ट ने इसे सील करने का आदेश दिया था. इसके खिलाफ मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था.
-SC ने केस जिला जज को ट्रांसफर कर इस वाद की पोषणीयता पर नियमित सुनवाई कर फैसला सुनाने का निर्देश दिया था. मुस्लिम पक्ष की ओर से यह दलील दी गई थी कि ये प्रावधान के अनुसार और उपासना स्थल कानून 1991 के परिप्रेक्ष्य में यह वाद पोषणीय नहीं है, इसलिए इस पर सुनवाई नहीं हो सकती है. हालांकि, कोर्ट ने इसे सुनवाई योग्य माना था.
-इसके बाद पांच वादी महिलाओं में से चार ने इसी साल मई में एक प्रार्थना पत्र दायर किया था. इसमें मांग की गई थी कि ज्ञानवापी मस्जिद के विवादित हिस्से को छोड़कर पूरे परिसर का ASI से सर्वे कराया जाए. इसी पर जिला जज एके विश्वेश ने अपना फैसला सुनाते हुए ASI सर्वे कराने का आदेश दिया था.