ट्विन टावर के बाद 110 मीटर ऊंची चिमनी गिराने की तैयारी, मुंबई की कंपनी को मिला नया जिम्मा
नोएडा। नोएडा में ट्विन टावर ध्वस्त करने के बाद एडीफाइस और जेट डिमोलिशन कंपनी ने अगली योजना पर काम शुरू कर दिया है। दोनों कंपनी मिलकर जमशेदपुर के टाटा नगर में 110 मीटर ऊंची चिमनी को ध्वस्त करेंगी। पहली बार कंट्रोल ब्लास्ट के जरिए किसी चिमनी को ध्वस्त किया जाएगा। करीब तीन साल पहले उदयपुर में मशीनों के जरिए चिमनी को ध्वस्त किया गया था।
एडीफाइस मुंबई और उसकी सहयोगी जेट डिमोलिश कंपनी दक्षिण अफ्रीका की है। नोएडा में ट्विन टावर 28 अगस्त को सफलतापूर्वक ध्वस्त हो चुके हैं। आसपास की एटीएस विलेज और सुपरटेक एमरॉल्ड कोर्ट सोसाइटी में कुछ फ्लैट और दीवार में नुकसान हुआ है, इसका अंदेशा पहले से ही जताया जा रहा था। ऐसे में संपत्ति का करीब 102 करोड़ 50 लाख रुपये का बीमा कराया गया था। अब यहां पर मलबे को अलग-अलग करने का काम शुरू हो गया है। करीब तीन महीने में यहां से पूरा मलबा हटा दिया जाएगा।
एडीफाइस एजेंसी के अधिकारियों ने बताया कि अब यहां एक सप्ताह में पूरी व्यवस्था बना दी जाएगी। इसके बाद निगरानी के लिए एक अधिकारी और उसकी टीम यहां रहेगी। बाकी सभी मुख्य लोग चले जाएंगे। अब जमशेदपुर में टाटा नगर में 110 मीटर ऊंची चिमनी को ध्वस्त किया जाना है। यह चिमनी पुरानी हो चुकी और इसका इस्तेमाल नहीं हो रहा है। इस वजह से खुद टाटा स्टील कंपनी इसे ध्वस्त करवा रही है। इसको कंट्रोल ब्लास्ट के जरिए गिराया जाएागा। यहां एक तरफ 35 मीटर खाली जगह है और दूसरी तरफ कंपनी का प्लांट लगा हुआ है।
अधिकारियों का कहना है कि जगह खाली होने पर एक तरफ इसको थोड़ा झुकाया जा सकता है। यह चिमनी 7-8 सेकेंड में ध्वस्त कर दी जाएगी। पहली बार ब्लास्ट के जरिए किसी चिमनी को ध्वस्त किया जाएगा। इसको नवंबर 2022 में ही ध्वस्त किया जाना प्रस्तावित है। चिमनी को ध्वस्त करने के लिए झारखंड से एक ब्लास्टर को बुलाया जाएगा।
आज रवाना हो जाएंगे जो ब्रिकमैन
नोएडा में टावर ध्वस्त होने के बाद एडीफाइस और जेट डिमोलिशन के मुख्य अधिकारी वापस लौटने की तैयारी में हैं। ट्विन टावर ध्वस्तीकरण में मुख्य भूमिका निभाने वाले जेट डिमोलिशन कंपनी के निदेशक जो ब्रिकमैन बुधवार को रवाना हो जाएंगे। उनके साथ केविन स्मिथ और अन्य एक विशेषज्ञ भी होंगे। ये तीनों जमशेदपुर जाएंगे, जबकि अन्य तीन विदेशी विशेषज्ञ दक्षिण अफ्रीका रवाना हो जाएंगे। इनके अलावा एडीफाइस एजेंसी के निदेशक उत्कर्ष मेहता और परियोजना निदेशक मयूर मेहता भी एक सप्ताह में चले जाएंगे। दोनों बीच-बीच में मलबे की स्थिति देखने आएंगे।