ग्रीन्स जूलॉजिकल रेस्क्यू एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर के खिलाफ दायर पीआइएल सुप्रीम कोर्ट से खारिज
सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात के जामनगर में रिलायंस इंडस्ट्रीज द्वारा बनाए जा रहे चिड़ियाघर के खिलाफ दायर जनहित याचिका को खारिज कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि याचिका में कोई तर्क या आधार नहीं है. जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस कृष्ण मुरारी की बेंच ने फैसला सुनाते हुए याचिकाकर्ता को फटकार लगाई.
ग्रीन्स जूलॉजिकल रेस्क्यू एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर (GZRRC) द्वारा जानवरों के अधिग्रहण पर प्रतिबंध लगाने की मांग करने वाले वकील कन्हैया कुमार द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया गया. शीर्ष अदालत ने कहा कि इस बात पर विवाद की कोई गुंजाइश नहीं है कि GZRRC एक मान्यता प्राप्त चिड़ियाघर होने के साथ-साथ एक रेस्क्यू सेंटर भी है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण द्वारा GZRRC को मान्यता प्रदान करने में कोई कानूनी खामी नहीं है, उसे विदेश से जानवरों को लाकर यहां रखने की अनुमति देने में केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण ने किसी तरह की कोई कानूनी गलती नहीं की है, इस चिड़ियाघर को रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड की तरफ से विकसित किया गया है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसा नहीं लगता कि याचिकाकर्ता ने यह जनहित याचिका दाखिल करने से पहले पर्याप्त रिसर्च की है. याचिकाकर्ता को फटकार लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह खुद भी इस फील्ड के विशेषज्ञ नहीं हैं और उन्होंने सिर्फ न्यूज रिपोर्ट के आधार पर याचिका दाखिल कर दी, न्यूज रिपोर्ट भी किसी विशेषज्ञ ने तैयार नहीं की है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सभी तथ्यों को देखते हुए यह नहीं कहा जा सकता है कि इसमें किसी तरह का गैर कानूनी काम हुआ है. इस याचिका को खारिज किया जाता है, इस मामले में अदालत को दखल देने का कोई आधार नहीं है.
इससे पहले ग्रीन्स जूलॉजिकल रेस्क्यू एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर ने इस याचिका के विरोध में दाखिल हलफनामे में कहा था कि याचिकाकर्ता ने सुनी सुनाई बातों को आधार बनाकर यह याचिका दाखिल की है. केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण ने तमाम तथ्यों पर विचार करने के बाद ही उन्हें अनुमति दी थी.