चौबेपुर हत्याकांड में हाईकोर्ट की सख्ती, विधायक सुशील सिंह को नोटिस जारी किया - न्यूज़ इंडिया 9
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चौबेपुर हत्याकांड में हाईकोर्ट की सख्ती, विधायक सुशील सिंह को नोटिस जारी किया

हत्या के आरोपियों में से एक ने विधायक से संबंध की बात कबूली थी, पुलिस पर पक्षपातपूर्ण जांच का आरोप

वाराणसी। चौबेपुर थाना क्षेत्र में वर्ष 2015 में हुए राम बिहारी चौबे हत्याकांड से जुड़ी एक निगरानी याचिका पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने क्षेत्रीय विधायक सुशील सिंह को नोटिस जारी किया है। न्यायमूर्ति दिनेश पाठक की एकल पीठ ने यह आदेश याची अमरनाथ चौबे की याचिका पर पारित किया है। कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई के लिए 21 अगस्त की तारीख तय की है और सभी पक्षों को उस समय तक जवाब और प्रत्युत्तर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है।

याचिका में कहा गया है कि 4 दिसंबर 2015 को याची अमरनाथ चौबे के पिता राम बिहारी चौबे की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस वारदात को लेकर याची के भाई अभयनाथ चौबे ने चौबेपुर थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। जांच के दौरान पुलिस ने नागेन्द्र उर्फ राजू, अजय सिंह उर्फ अजय मरदह और सनी सिंह को गिरफ्तार किया। अभियुक्त नागेन्द्र ने अपने बयान में स्वीकार किया कि उसने अजय सिंह के कहने पर हत्या को अंजाम दिया।

याची की ओर से आरोप लगाया गया है कि अजय सिंह, विधायक सुशील सिंह के निकट संपर्क में था, और इस वजह से पुलिस ने शुरू में विधायक के खिलाफ जांच तो शुरू की, लेकिन उनकी राजनीतिक स्थिति और सत्ता पक्ष से नजदीकी के कारण निष्पक्ष जांच नहीं हो सकी। यही कारण था कि याची ने पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट में सीबीआई जांच की मांग करते हुए याचिका दाखिल की थी।

हाईकोर्ट ने उस याचिका का निस्तारण करते हुए प्रदेश सरकार को निर्देश दिया था कि वह मुख्य सचिव की निगरानी में सीओ स्तर के अधिकारी से स्वतंत्र जांच कराए। इस आदेश के बावजूद याची संतुष्ट नहीं हुआ और सर्वोच्च न्यायालय में अपील की। सुप्रीम कोर्ट ने सत्यार्थ अनिरुद्ध पंकज को जांच का जिम्मा सौंपा और उनसे रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा।

जांच के बाद रिपोर्ट वाराणसी की ट्रायल कोर्ट में प्रस्तुत की गई, जहां अन्य अभियुक्तों के विरुद्ध मुकदमा चल रहा है। याची ने जांच अधिकारी की रिपोर्ट को अस्वीकार करते हुए ट्रायल कोर्ट से विधायक सुशील सिंह को भी अभियुक्त के रूप में तलब करने की मांग की, परंतु ट्रायल कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी। इसके बाद याची ने निगरानी याचिका के माध्यम से हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिस पर अब कोर्ट ने विधायक को नोटिस जारी किया है।

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