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Uttarakhand में मंत्रियों को महंगे वाहनों की दरकार, वित्त विभाग ने की कीमत बढ़ाने की पैरवी

उत्तराखंड में मंत्रियों और अफसरों को महंगी गाड़ियां खरीदने की छूट से संबंधित परिवहन विभाग के प्रस्ताव को वित्त विभाग ने फिलहाल मंजूरी देने से इनकार कर दिया। वित्त विभाग ने नई पॉलिसी के औचित्य और वाहनों की मूल्य सीमा बढ़ाने के प्रस्ताव पर आपत्तियां लगाते हुए इस पर परिवहन विभाग से जवाब मांगा है।

विभागीय स्तर पर संतोषजनक जवाब मिलने पर ही वित्त विभाग से मंजूरी मिलना मुमकिन हो पाएगा। उधर, परिवहन सचिव अरविंद ह्यांकी ने बताया कि वित्त विभाग की आपत्तियों का जवाब भेजा जा रहा है। परिवहन विभाग ने हाल ही में नई वाहन खरीद पॉलिसी का प्रस्ताव तैयार कर विभाग को भेजा है।

इसमें मंत्री, मुख्य सचिव, न्यायाधीश से लेकर जिला स्तर तक के अधिकारियों के लिए कैटेगरी तय करते हुए वाहनों की मूल्य सीमा तय की गई। यह मूल्य सीमा वर्ष 2016 की वाहन खरीद वाहन पॉलिसी से काफी ज्यादा है।

ये हैं महंगी गाड़ियों के प्रस्ताव प्रस्ताव: के अनुसार काबीना मंत्री, मुख्य सचिव, हाईकोर्ट के जज, एसीएस, वन विभाग के एचओएफ, डीजीपी के लिए वाहन खरीदने की 15 लाख की सीमा को बढ़ाकर 25 लाख किया गया है। जबकि प्रमुख सचिव, सचिव, कमिश्नर डीआईजी, एपीसीसीएफ और अन्य समकक्ष के लिए 12 लाख के बजाए 20 लाख रुपये के वाहन खरीद सकेंगे।

इसी प्रकार सभी श्रेणियों में वाहन मूल्य बढ़ाने का प्रस्ताव दिया गया है। स्वयं का वाहन इस्तेमाल करने पर हर महीने पेट्रोल-डीजल और वाहन रखरखाव के खर्च को दोगुने से ज्यादा करने का प्रस्ताव है। वित्त विभाग ने राज्य की आर्थिक स्थिति को देखते हुए वाहन मूल्य बढ़ाने पर सवाल उठाया है।

निजी वाहन का खर्च पेट्रोल मूल्य वृद्धि से बढ़ाना जरूरी
वाहन खरीद नीति में निजी वाहनों के इस्तेमाल पर वर्ष 2016 की नीति में तय दरों को दोगुना तक किया गया है। पहले यह राशि मासिक 23 हजार से 17 हजार रुपये तक थी। जिसे 51 हजार से 34 हजार रुपये तक करने का प्रस्ताव है। परिवहन विभाग का कहना है कि 2016 से डीजल-पेट्रोल के दाम दोगुने तक बढ़ चुके हैं। वाहनों की कीमत भी बढ़ी हैं। इसके चलते ये सिफारिशें की गई हैं।

छह साल बाद बदलाव की कवायद
उत्तराखंड में वाहन खरीद नीति में छह साल बाद बदलाव किया जा रहा है। अब तक 10 मार्च 2016 को जारी नीति लागू है। हालांकि इसकी हर तीसरे साल समीक्षा की जानी थी, लेकिन कोरोना काल की वजह से यह नहीं हो पाया।

महंगाई को बताया था दर बढ़ाने की वजह
वाहनों की मूल्य सीमा बढ़ाने के पीछे परिवहन विभाग महंगाई को वजह बताता है। अधिकारियों का कहना है कि हालिया कुछ वर्षों में वाहनों की कीमतों में इजाफा हुआ है। वाहनों में नई तकनीक और सुरक्षा उपकरण की वजह से भी दाम बढ़े हैं।

निजी वाहन के तेल के खर्च में भी वृद्धि का था प्रस्ताव
-प्रमुख सचिव, कमिश्नर, पुलिस महानिरीक्षक, एपीसीसीएफ और समकक्ष 51,590 रुपये मासिक
– विभागाध्यक्ष, अपर सचिव, डीएम, सीडीओ और अन्य समकक्ष 48,180 रुपये प्रतिमाह
-अन्य अधिकृत अधिकारी, निदेशालय-निगमों के अधिकारी व उनके समकक्ष 41,259 रुपये प्रतिमाह
– जिला स्तरीय अधिकारी 34,287 रुपये प्रतिमाह

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