यूपी में लागू होगा लिफ्ट एक्ट… हादसों पर लगेगी रोक, सरकार ने की तैयारी
उत्तर प्रदेश से आज की बड़ी खबर सामने आ रही है। यूपी विधानसभा में लिफ्ट एंड एस्केलेटर एक्ट पास हो गया है। लिफ्ट एक्ट को लेकर आपके पसंदीदा न्यूज पोर्टल “ट्राईसिटी टुडे” ने एक मुहिम छेड़ी। इस मुहिम में लगातार खबरों को प्रकाशित किया गया और मुद्दों को उठाने का काम किया। गौतमबुद्ध नगर में जेवर विधानसभा सीट से विधायक धीरेंद्र सिंह ने पहली बार योगी आदित्यनाथ के सामने लिफ्ट एक्ट का मुद्दा उठाया था। कुल मिलाकर ‘ट्राईसिटी टुडे’ की मुहिम और धीरेंद्र सिंह की मेहनत रंग लाई है। शुक्रवार की सुबह ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा ने यूपी विधानसभा में लिफ्ट बिल पेश किया। जिसे पूरे सदन ने सर्वसम्मति से स्थापित करने की सहमति दी। सत्र के दौरान दोपहर बाद लिफ्ट एक्ट पास हो गया है।
इस एक्ट में अब उत्तर प्रदेश की सभी लिफ्ट और एक्सीलेटर आएंगे। केवल घरेलू लिफ्ट को छोड़कर बाकी सभी स्थान पर लिफ्ट ऑपरेटर रखना अनिवार्य होगा। जबकि घरेलू लिफ्ट या एक्सीलेटर पर कानून का दायरा सीमित रहेगा। नियम के अनुसार उत्तर प्रदेश में किसी भी बहुमंजिला बिल्डिंग में लिफ्ट या एक्सीलेटर लगाने के लिए इजाजत लेनी होगी और विद्युत सुरक्षा निदेशालय में रजिस्ट्रेशन करवाना होगा। उसके बाद लिफ्ट लगाने के लिए उत्तर प्रदेश शासन के द्वारा गठित की गई टीम मौके पर करेगी। ऑडिट के दौरान काफी शर्तें रखी जाएंगी, जिनको मानना अनिवार्य होगा।
नियम के मुताबिक अब जो लिफ्ट लगेगी, उनमें “ऑटो रेस्क्यू डिवाइस” लगा होगा। इसका मतलब होता है कि अगर बिजली या तकनीकी खराबी होने की वजह से लिफ्ट रुक जाती है तो नजदीकी फ्लोर पर अपने आप आकर दरवाजा खुल जाएंगे। इसकी वजह से लोगों की जान नहीं जाएगी और किसी को जनहानि नहीं होगी। प्रारूप के मुताबिक थर्ड पार्टी का बीमा करवाना होगा। जिससे कोई हादसा होने पर पीड़ित को भी मुआवजा दिया जाएगा।
उत्तर प्रदेश में लिफ्ट एक्ट लागू होने के बाद सबसे बड़ा फायदा गौतमबुद्ध नगर और ग़ाज़ियाबाद ज़िले के लाखों लोगों को मिलेगा। दरअसल, ग़ाज़ियाबाद के साथ नोएडा, ग्रेटर नोएडा और ग्रेटर नोएडा वेस्ट की सैकड़ों हाउसिंग सोसाइटियों में हज़ारों की संख्या में लिफ़्ट लगी हुई हैं। जिनके रखरखाव और मैनेजमेंट को लेकर कोई नियम-कायदे नहीं हैं। इसी वजह से इन शहरों में लिफ़्ट से जुड़े हादसे रोज़मर्रा हो रहे हैं। बीते महीने ग्रेटर नोएडा वेस्ट की एक निर्माणाधीन इमारत में लिफ़्ट से जुड़ा हादसा हुआ है। जिसमें 9 लोगों की मौत हो गई थी। इतना ही नहीं जिले की तमाम हाउसिंग सोसायटी में सैकड़ों लोग लिफ्ट की वजह से घायल हुए हैं। जिसके चलते लगातार लिफ़्ट क़ानून बनाने की मांग की जा रही है।
ज़ेवर के विधायक ठाकुर धीरेंद्र सिंह ने लगातार हो रहे लिफ़्ट हादसों की तरफ उत्तर प्रदेश विधानसभा में मुद्दा उठाया और लिफ़्ट क़ानून बनाने की मांग की थी। पिछले विधानसभा सत्र के दौरान उत्तर प्रदेश के बिजली मंत्री अरविंद कुमार शर्मा ने धीरेंद्र सिंह को लिफ़्ट एक्ट पास करवाने का आश्वासन दिया था। धीरेंद्र सिंह ने बताया कि दिसंबर में एक सप्ताह के लिए विधानसभा सत्र आयोजित किया गया, लेकिन लिफ़्ट एक्ट लागू नहीं करवाया जा सका था। दरअसल, यह क़ानून विधानसभा में 28वें नंबर पर पेश किया जाना था। उस समय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ऊर्जा विभाग को आदेश दिया कि क़ानून में पर्याप्त उपबंध नहीं हैं। कानून को और मज़बूत बनाने की आवश्यकता है। लिहाज़ा, निर्णय लिया गया कि लिफ़्ट एक्ट पास करने के लिए विधानसभा में बिल अगले साल बजट सत्र के दौरान पेश किया जाएगा। उसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने आवास पर लिफ़्ट एक्ट के मसौदे का बारीकी से अध्ययन किया था। ऊर्जा विभाग के अफ़सरों ने मुख्यमंत्री को प्रजेंटेशन दिया था। अब इस क़ानून को योगी आदित्यनाथ ने मंजूरी दे दी।
जानिए कानून में क्या-क्या है
- लिफ्ट और एस्केलेटर अधिनियम के बाद दुर्घटना की स्थिति में मलिक के द्वारा पीड़ित को मुआवजा देना होगा।
- लिफ्ट और एस्केलेटर का रजिस्ट्रेशन एवं दुर्घटना बीमा भी करवाना जरूरी होगा।
- लिफ्ट और एक्सीलरेटर के निर्माण, गुणवत्ता, सुरक्षा, सुविधाओं, स्थापना, संचालन और रखरखाव के लिए नियमों का पालन करना होगा।
- लिफ्ट और एक्सीलेटर में समस्या होने पर तत्काल ठीक करवाना होगा।
- स्वामी को वर्ष में कम से कम दो बार मॉक ड्रिल अभ्यास करवाना होगा।
- स्थापना एवं संचालन के संबंध में शिकायत मिलने पर स्वामी अथवा संबंधित एजेंसी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई होगी।