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नीलगाय से टकराई जगदंबिका पाल की कार, भीषण एक्सीडेंट में एयरबैग खुलने से बची जान

उत्तर प्रदेश के डुमरियागंज से सांसद और बीजेपी के वरिष्ठ नेता जगदंबिका पाल बाल बाल बच गए. संत कबीर नगर नेशनल हाइवे पर उनकी गाड़ी नील गाय से टकरा गई. कार में सही समय पर एयर बैग खुल जाने की वजह जगदंबिका पाल, उनके ड्राइवर और गनर की जान बच गई.

यह हादसा उस वक्त हुआ जब सांसद जगदंबिका पाल संत कबीर नगर से होते हुए गोरखपुर जा रहे थे.  नेशनल हाइवे पर चुरेब गांव के पास उनकी गाड़ी से एक नील गाय टकरा गई. इस हादसे में गाड़ी का अगला हिस्सा पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया.

दुर्घटना के बाद सांसद जगदंबिका पाल दूसरी गाड़ी में बैठ कर गंतव्य के लिए रवाना हो गए. बताया जा रहा है कि वो गोरखपुर में एक निजी कार्यक्रम में सम्मिलित होने जा रहे थे जहां उन्हें एमएलसी डॉ धर्मेंद्र सिंह की बेटी की शादी में शामिल होना था.

जिस कार में बीजेपी सांसद यात्रा कर रहे थे अगर उसमें एयर बैग नहीं होता तो उनके साथ कोई भी अनहोनी हो सकती थी, ऐसे में यह जानना जरूरी है कि आखिर एयरबैग क्या होता है और यह कैसे काम करता है.

दुनिया के पहले एयरबैग की बात करें तो अमेरिका के जॉन हेट्रिक (John Hetrick) और जर्मनी के वाल्टर लिंडरर (Walter Linderer) का नाम आता है. दोनों ने लगभग एक ही समय में एयरबैग का डेवलपमेंट किया. अमेरिकी इन्वेन्टर हेट्रिक ने अगस्त 1952 में पहले एयरबैग का डिजाइन तैयार किया और इसे अगस्त 1953 में पेटेंट मिल गया. अब बात करते हैं यह कैसे काम करता है.

कैसे करता है काम

जब किसी कार की टक्कर होती है, उसकी स्पीड तेजी से कम हो जाती है. एक्सेलेरोमीटर (Accelerometer) स्पीड में अचानक आए इस बदलाव को डिटेक्ट करता है. इसके बाद एक्सेलेरोमीटर एयरबैग के सर्किट में लगे सेंसर को एक्टिवेट कर देता है.

एयरबैग सर्किट सेंसर एक्टिवेट होते ही एक हीटिंग एलीमेंट के जरिए इलेक्ट्रिक करेंट देता है. इससे एयरबैग के अंदर केमिकल विस्फोट होता है. विस्फोट होते ही एयरबैग के अंदर अचानक गैस बनने लगती है, जिससे नाइलॉन का बना बैग तुरंत फूल जाता है.

यह बैग ड्राइवर और कार सवारों को बॉडी या किसी सख्त चीज से टकराने से बचाता है. हालांकि एयरबैग भी तभी अच्छे से बचाव कर पाता है, जब कार चालक और सवार सीटबेल्ट ऑन रखते हैं.

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