कृषि फसलों पर कब तक मिलेगी एमएसपी, नीति आयोग के सदस्य ने बताया
नई दिल्ली। नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद ने कहा है कि कृषि फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) तब तक जारी रहना चाहिए जब तक कि बाजार प्रतिस्पर्धी ना हो जाए। हालांकि उन्होंने इसे फसल खरीद के तौर पर देने के बजाए अन्य माध्यमों से देने की वकालत की। नेशनल स्टाक एक्सचेंज (एनएसई) और आइसीआरआइईआर द्वारा कृषि बाजारों के संदर्भ में संयुक्त रूप से आयोजित एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए रमेश चंद ने कहा कि डेफिसिएंसी प्राइसिंग पेमेंट (डीपीपी) किसानों को एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) देने का एक साधन हो सकता है।
डीपीपी को लेकर किया आगाह
हालांकि उन्होंने आगाह किया कि एक बार डीपीपी लागू होने के बाद इसे रोका नहीं जा सकता है। डीपीपी के तहत खुले बाजार मूल्य और एमएसपी के बीच का अंतर किसानों को दिया जाता है। मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में इसे लागू किया गया है। एमएसपी न्यूनतम समर्थन मूल्य है, जिस पर सरकार खरीद करती है। 22-23 फसलों के लिए एमएसपी तय है। चावल और गेहूं बड़े पैमाने पर सरकार द्वारा खरीदी जाने वाली फसलें हैं।
कुछ मामलों में एमएसपी ठीक
सरकारी थिंक टैंक के सदस्य ने कहा कि कुछ मामलों में एमएसपी ठीक है। महत्वपूर्ण यह है कि हम इसे देते कैसे हैं। उन्होंने कहा कि एमएसपी को डीपीपी पद्धति के माध्यम से दिया जा सकता है और इस पर उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को एक प्रस्तुति दी है। उनके मुताबिक खुले बाजार और एमएसपी के बीच का अंतर लगभग 12 से 15 प्रतिशत है।
मत्स्य पालन, डेयरी और पशुधन में बढ़ रही किसानों की दिलचस्पी
नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद ने यह भी कहा कि न्यूनतम सरकारी हस्तक्षेप वाले कृषि के संबद्ध क्षेत्र मत्स्य पालन, डेयरी और पशुधन सबसे तेज गति से बढ़ रहे हैं। पिछले आठ वषरें में मत्स्य पालन में 10 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। इसी तरह डेयरी और पशुधन क्षेत्र ने भी बेहतर प्रदर्शन किया है। गैर एमएसपी फसलें और बागवानी फसलें दूसरों की तुलना में बहुत तेजी से बढ़ हैं।
उत्पादन बाद की चुनौतियों से निपटने के लिए सरकार उठा रही कई कदम
समाचार एजेंसी पीटीआइ के मुताबिक कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने कहा है कि कृषि क्षेत्र में उत्पादन बाद की चुनौतियों से निपटने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं। तोमर ने कहा कि सरकार ने अब तक लगभग 1,000 थोक मंडियों को इलेक्ट्रानिक राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-एनएएम) से जोड़ा है। इतना ही नहीं कृषि इन्फ्रा फंड के तहत 13,000 परियोजनाओं के लिए 9,500 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं और इनकी स्थापना के लिए प्रोत्साहित किया है।