विधानसभा के शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन विशेषाधिकार हनन को लेकर सदन में हंगामा हुआ, जिससे पांच बार सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। विपक्ष की ओर से सदन में रोजगार के गलत आंकड़े प्रस्तुत करने पर कौशल विकास एवं सेवायोजन मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत के खिलाफ विशेषाधिकार हनन के तहत कार्रवाई करने या सदन में माफी मांगने की मांग की। विपक्ष के साथ ही भाजपा विधायक कुंवर प्रणव चैंपियन, राजेश शुक्ला और देशराज कर्णवाल ने अपने पुराने विशेषाधिकार हनन के मामलों को उठाकर सरकार को असहज कर दिया। ट्रेजरी बेंच से विधायक चैंपियन वेल में पहुंच गए। वहीं, विपक्ष के विधायकों ने भी वेल में पहुंचकर पीठ से सदस्यों को संरक्षण के लिए विनिश्चय देने की मांग की।
शनिवार को सदन में कांग्रेस विधायक काजी निजामुद्दीन ने कौशल विकास एवं सेवायोजन मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का मुद्दा उठा कर सरकार को घेरने का प्रयास किया। वहीं, सत्ता पक्ष के विधायकों ने भी अपने-अपने विशेषाधिकार हनन के मामलों को लेकर अक्रामक तेवर दिखाए। अपमानित करने के मामले में संबंधित अफसर पर कार्रवाई न होने से आहत विधायक चैंपियन वेल में पहुंच गए। इसके बाद विपक्ष से कांग्रेस विधायक ममता राकेश, मनोज रावत, हरीश धामी ने वेल में आकर लंबित प्रकरणों पर पीठ से विनिश्चय देकर सरकार को कार्रवाई के लिए निर्देशित करने की मांग की।
कांग्रेस विधायक काजी निजामुद्दीन ने सरकार पर आरोप लगाया कि रोजगार के गलत आंकड़े प्रस्तुत कर सदन के साथ बेरोजगारों की भावनाओं से खिलवाड़ किया गया। इस पर मंत्री या तो सदन में माफी मांगे या विशेषाधिकार हनन के तहत नियम अनुसार कार्रवाई की जाए। नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने सरकार ने 2020 में कार्यस्थगन प्रस्ताव पर सदन को अवगत कराया कि 10 लाख लोगों को रोजगार दिया गया। जबकि मार्च 2021 में विपक्ष के कार्यस्थगन प्रस्ताव पर सदन में बताया कि सात लाख को रोजगार दिया। सरकार यह स्पष्ट करे कि रोजगार के कौन से आंकड़े सही है। गलत आंकड़े देना गंभीर मामला है। जिस पर मंत्री को माफी मांगनी चाहिए या विशेषाधिकार हनन के तहत कार्रवाई की जाए। कांग्रेस विधायक हरीश धामी, ममता राकेश और मनोज रावत ने पूर्व में उठाए गए विशेषाधिकार हनन के मामले में कार्रवाई की मांग की है। संसदीय कार्य मंत्री बंशीधर भगत ने जवाब में कहा कि मंत्री पर विशेषाधिकार हनन का मामला नहीं बनता है। मंत्री ने बेरोजगारी के मुद्दे पर जवाब में स्पष्ट कहा था कि सात लाख लोगों को रोजगार दिया गया। लेकिन इसमें कई विभागों के रोजगार आंकड़े को जोड़ा नहीं गया है। जिस पर विभागवार आंकड़े दे रहे थे।
सदन में रहा हंगामा, स्थगित होता रहा सदन
पीठ की ओर से विशेषाधिकार हनन के प्रकरणों पर सरकार को तत्काल कार्रवाई के निर्देशित करने के बाद भी सत्ता पक्ष के तीन विधायक और विपक्ष शांत नहीं हुआ। जिससे सदन की कार्यवाही पहले 12 बजे से 12.30 बजे तक स्थगित की गई। जिसके बाद स्थगित करने का समय 10 मिनट बढ़ाया। 12.40 बजे सदन की कार्यवाही शुरू हुई। लेकिन सत्ता पक्ष के विधायक और विपक्ष अपनी मांग पर अड़ा रहा। उनकी मांग थी कि विशेषाधिकार हनन समिति में किन सदस्यों को नामित किया गया और कितने प्रकरण समिति को भेजे गए। मामला शांत न होने से एक बजे फिर सदन की कार्यवाही दो बजे के लिए स्थगित की गई। जिसके बाद फिर स्थगित करने का समय 2.20 बजे तक बढ़ाया गया।
ये हैं मामले
-किच्छा से भाजपा विधायक राजेश शुक्ला ने विशेषाधिकार हनन के तहत याचिका दी थी कि ऊधमसिंह नगर जिला पंचायत की बैठक में उनकी बेइज्जत किया गया। विधायक होने के नाते उन्हें बैठक में नहीं बुलाया गया। जबकि बैठक में गए तो उन्हें बैठक से बाहर जाने को कहा गया। वहीं, एक साल पहले प्रभारी मंत्री मदन कौशिक की अध्यक्षता में हुई बैठक में तत्कालीन जिलाधिकारी ने कहा कि आपकी याद दास्त कमजोर है।
-खानपुर से भाजपा विधायक कुंवर प्रणव चैंपियन ने दो माह पहले विशेषाधिकार हनन की सूचना विधानसभा और सरकार को दी थी। उनका कहना है कि ऋषिकेश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे के दौरान प्रशिक्षु आईपीएस अधिकारी ने उन्हें अपमानित किया। लेकिन आज तक इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
-देशराज कर्णवाल ने एससी, एसटी, ओबीसी वर्ग के लिए जाति प्रमाण पत्र के शासनादेश को जारी न करने पर पूर्व में उठाए गए विशेषाधिकार मामले में कार्रवाई न होने पर नाराजगी जाहिर है।
पीठ का संरक्षण नहीं मिला तो चौराहों पर पीटे जाएंगे
विधायक राजेश शुक्ला ने कहा कि सदस्यों को अपमानित करने के प्रकरणों पर पीठ की तरफ सख्त कार्रवाई नहीं हुई तो चौहारों पर पीटे जाएंगे। विशेषाधिकार हनन समिति को अभी तक प्रकरण नहीं भेजे गए। सदस्यों को संरक्षण देने के लिए पीठ की ओर से समय निर्धारित कर लंबित प्रकरणों पर विनिश्चय दिया जाए। कांग्रेस विधायक फुरकान अहमद ने कहा कि वह विशेषाधिकार हनन समिति के सदस्य हैं, यह जानकारी उन्हें आज पता चली। विधानसभा उपाध्यक्ष की अध्यक्षता में गठित इस समिति में सात सदस्य नामित हैं। सदस्यों की मांग पर पीठ से विधानसभा उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह चौहान ने अवगत कराया कि नवंबर 2017 में विशेषाधिकार हनन समिति गठित की गई। समिति में विधायक बलवंत सिंह भौर्याल, फुरकान अहमद, संजय गुप्ता, राजकुमार ठुकराल सदस्य नामित हैं।
सरकार के अंतिम विस सत्र का आज तीसरा और आखिरी दिन
उत्तराखंड सरकार के अंतिम विस सत्र का आज तीसरा और आखिरी दिन था। इस दौरान देहरादून अवैध खनन को ले जाने वाले वाहनों को छोड़ने सम्बन्धी सीएम पुष्कर सिंह धामी के दफ्तर में तैनात पीआरओ नंदन बिष्ट के पत्र को लेकर विपक्ष ने सरकार को घेरा। उप नेता विपक्ष करण माहरा ने कहा है कि यह वाहन भाजपा नेताओं के थे, जिन्हें छोड़ने के लिए पत्र लिखा गया था। माहरा ने कहा है कि सही कार्रवाई करने वाले ट्रैफिक इंस्पेक्टर को भी लाइन हाजिर करना, अब और भी सरकार की मंशा पर सवाल खड़ा कर रहा है। सत्ता पक्ष और विपक्ष के हंगामे के बाद सदन की कार्रवाई 12:30 बजे तक स्थगित किया गया। जिसके बाद फिर से कार्यवाही शुरू हुई। वहीं सत्र के अंत में सभी मंत्री व विधायकों ने ग्रुप फोटो भी खिंचवाया।
स्कूटर पर सवार होकर विधानसभा पहुंचे हरीश रावत
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत स्कूटर पर सवार होकर विधानसभा पहुंचे। इस दौरान उन्होंने प्रवेश द्वार पर धरना दिया और खनन पर सरकार को घेरा। सत्र के आखिरी दिन विभिन्न संगठनों ने विधानसभा कूच किया। 4600 ग्रेड पे जारी करने की मांग को लेकर पुलिसकर्मियों के परिजनों ने विधानसभा कूच किया।
अपनी मांगों को लेकर विधानसभा कूच करने जा रहे पीआरडी के जवानों को पुलिस द्वारा विधानसभा से पहले बैरिकेडिंग लगाकर रोक दिया गया। जिसके बाद पीआरडी के जवान बैरिकेडिंग के समीप धरने पर बैठ गए। भू कानून की मांग को लेकर उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों ने भी विधानसभा की कूच किया। वहीं विधानसभा कूच करने जाते कनिष्ठ अभियंता संविदा कर्मचारियों को विधानसभा से पहले पुलिस ने रोक दिया गया। इसके साथ ही नर्सिंग भर्ती परीक्षा कराने की मांग को लेकर विधानसभा कूच करने जा रहे युवाओं को भी पुलिस द्वारा रोक दिया गया।
नजूल भूमि पर हजारों की संख्या में लोग काबिज
वहीं प्रदेश में नजूल भूमि पर काबिज हजारों परिवारों को सरकार कानूनी रूप से मालिकाना हक देने जा रही है। इसके लिए शनिवार को सदन में नजूल नीति पारित कर दी। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, पूरे प्रदेश में नजूल भूमि पर हजारों की संख्या में लोग काबिज हैं। रुद्रपुर के भाजपा विधायक राजकुमार ठुकराल के मुताबिक, अकेले रुद्रपुर में 22,000 परिवार नजूल भूमि पर काबिज हैं, जिन्हें फायदा मिलेगा। अधिनियम बनने से नैनीताल के हल्द्वानी, ऊधमसिंह नगर, देहरादून और हरिद्वार में नजूल भूमि पर काबिज लोगों को अपनी भूमि को नियमानुसार फ्री होल्ड करने का अवसर मिलेगा। प्रदेश में करीब 50 हजार परिवार है, जो इसका लाभ ले सकेंगे हैं।
विधेयक में कुछ प्रमुख प्रावधान
-बीपीएल कार्ड धारकों और प्रधानमंत्री आवास योजना के पात्रों को नजूल भूमि पर 50 वर्ग मीटर तक की जमीन को फ्रीहोल्ड करने के लिए कोई शुल्क नहीं देना होगा।
-छह माह के भीतर जितने भी आवेदन आएंगे, संबंधित अधिकारियों को अगले छह माह में सभी का निपटारा करना होगा।
-जिन लोगों ने पूर्व में आवेदन किया था, उन्हें उसी सर्किल रेट पर नजूल भूमि को फ्रीहोल्ड करने की छूट प्रदान की गई है।
सर्किल रेट की दरों के हिसाब से देना होगा शुल्क (आवासीय श्रेणी में)
-200 वर्गमीटर तक: ऐसे पट्टेधारक, जिन्होंने पट्टे की शर्तों का उल्लंघन नहीं किया है, उन्हें प्रचलित सर्किल रेट का 25 प्रतिशत, जिन्होंने पट्टे का नवीनीकरण नहीं कराया को 30 प्रतिशत, जिन्होंने पट्टे की शर्तों का उल्लंघन किया उन्हें 60 प्रतिशत देना होगा।
-201-500 वर्गमीटर तक: ऐसे पट्टेधारक जिन्होंने पट्टे की शर्तों का उल्लंघन नहीं किया तो 35 प्रतिशत, नवीनीकरण न कराने वालों को 50 प्रतिशत, उल्लंघन करने वालों को 80 प्रतिशत भुगतान करना होगा।
-501 वर्ग मीटर से अधिक: जिन्होंने पट्टे की शर्तों का उल्लंघन नहीं किया, उन्हें सर्किल रेट का 60 प्रतिशत, नवीनीकरण न कराने वालों को 70 प्रतिशत और पट्टे की शर्तों का उल्लंघन करने वालों को 110 प्रतिशत भुगतान करना होगा।
व्यावसायिक नजूल भूमि पर यह दरें होंगी लागू
-200 वर्ग मीटर तक: पट्टे की शर्तों का पालन करने वालों को सर्किल रेट का 40 प्रतिशत, पट्टे का नवीनीकरण न कराने वालों को 50 प्रतिशत, नियम शर्तों का उल्लंघन करने वालों को 80 प्रतिशत देय होगा।
-201-500 वर्ग मीटर तक: पट्टे की शर्तों का उल्लंघन न करने वालों को सर्किल रेट का 50 प्रतिशत, नवीनीकरण न कराने वालों को 70 प्रतिशत और उल्लंघन करने वालों को 100 प्रतिशत देना होगा।
-501 वर्ग मीटर से ऊपर: पट्टे की शर्तों का उल्लंघन न करने वालों को 80 प्रतिशत, नवीनीकरण न करवाने वालों को 90 प्रतिशत और उल्लंघन करने वालों को 130 प्रतिशत देय होगा।
यह भी खास
-बहुमंजिला इमारतों के हर माले पर अलग दर
-पार्किंग या पार्क बनाने का डीएम को अधिकार
-निजी शिक्षण संस्थान भी करा सकते हैं फ्रीहोल्ड
-नजूल नीति में कृषि एवं बागवानी की भूमि फ्रीहोल्ड की जाएगी
-मंदिर, मस्जिद, चर्च, गुरुद्वारा आदि के लिए पट्टे पर दी गई नजूल भूमि फ्री होल्ड शासन से अनुमोदन के बाद हो सकेगा