उत्तर प्रदेशराज्य

ज्ञानवापी मामला: सील एरिया की सफाई की मांग को लेकर दाखिल अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

ज्ञानवापी मामले पर SC में सुनवाई हुई. हिंदू पक्ष ने SC में दाखिल नई अर्जी में मस्जिद के सील किए गए वजूखाने की सफाई की मांग की है. टैंक में मछलियों की मौत से वहां गंदगी फैली है. वज़ूखाने में शिवलिंग मिलने के बाद से सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर वह जगह सील है. हिंदू पक्ष की ओर से वकील माधवी दीवान ने कहा कि मुस्लिम पक्ष को भी सफाई की इस मांग से ऐतराज नहीं है. मुस्लिम पक्ष की ओर से वकील ने कहा – हमे एतराज नहीं है. प्रशासन की निगरानी में सफाई की जा सकती है.

सुप्रीम कोर्ट ने हिंदू पक्ष के याचिकाकर्ताओं के आवेदन को स्वीकार कर लिया है. जिसमें ज्ञानवापी मस्जिद के वज़ुखाना के पूरे क्षेत्र की सफाई करने और स्वच्छता की स्थिति बनाए रखने के निर्देश देने की मांग की गई है.

नमाज पढ़ने में परेशानी न हो

कोर्ट ने कहा – जिला अधिकारी की निगरानी में सफाई होगी. प्रशासन सफाई की इस कवायद को SC के पुराने आदेश को ध्यान में रखते हुए अंजाम देगे.SC ने अपने पुराने आदेश में शिवलिंग जैसी संरचना को संरक्षित रखने का आदेश दिया था. साथ ही कहा था कि जिला प्रशासन सुनिश्चित करे कि नमाज पढ़ने में मुस्लिम समुदाय को परेशानी न हो.

ज्ञानवापी का सर्वे

इससे पहले 3 जनवरी को वाराणसी जिला कोर्ट में हुई सुनवाई में हिंदू पक्ष के वकील सुभाष नंदन चतुर्वेदी ने कहा, ”ज्ञानवापी का जो सर्वे एएसआई ने किया था, उसकी रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में सौंपी गई है. हमने कोर्ट से अपील की थी कि सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट न सौंपी जाए.” पक्ष ने अपील की कि इसे सीलबंद लिफाफे में होना चाहिए और मामले की कार्यवाही गुप्त रूप से की जानी चाहिए क्योंकि यह एक संवेदनशील मामला है.

रिपोर्ट सीलबंद कवर में

एएसआई टीम ने 92 दिनों तक ज्ञानवापी परिसर का सर्वेक्षण किया था. रिपोर्ट को एक सीलबंद कवर में प्रस्तुत किया है. अंजुमनी ताजमिया ने कहा था कि यह बंद कमरे की कार्यवाही नहीं है और न ही एक गुप्त कार्यवाही, इसलिए इसे जनता के सामने या किसी भी तरह से आने से रोका जाना चाहिए.

रिपोर्ट किसी भी पक्ष को न दी जाए

21 दिसंबर को अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी ने भी कोर्ट से कहा कि एएसआई रिपोर्ट किसी भी पक्ष को न दी जाए, जिस पर हिंदू पक्ष ने आपत्ति जताई. हिंदू पक्ष के वकील सुभाष नंदन चतुर्वेदी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 4 अगस्त के अपने आदेश में कहा कि रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में दाखिल नहीं की जाएगी.

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