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अंतरिम सरकार में महिंदा को प्रधानमंत्री नहीं बनाने पर राजी हुए गोटाबाया, नई सरकार नामित करने के लिए राष्ट्रीय परिषद नियुक्त करेंगे राष्ट्रपति

कोलंबो: श्रीलंका के राष्ट्रपति देश में दशकों के सबसे बड़े आर्थिक संकट के चलते पैदा हुए राजनीतिक गतिरोध का हल निकालने के लिए प्रस्तावित अंतरिम सरकार में प्रधानमंत्री के तौर पर अपने भाई की जगह किसी अन्य नेता को नियुक्त करने को राजी हो गये हैं। एक प्रमुख सांसद ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। सांसद मैत्रीपाला सिरीसेना ने राष्ट्रपति के साथ बैठक के बाद कहा कि गोटबाया राजपक्षे इस बात से सहमत हुए हैं कि एक नये प्रधानमंत्री को नामित करने और संसद में सभी दलों के प्रतिनिधित्व वाले मंत्रिमंडल का गठन करने के लिये राष्ट्रीय परिषद की नियुक्ति की जाएगी। इस बीच, गोटबाया ने राजनीतिक दलों से अंतरिम सरकार के लिए बहुमत का आंकड़ा प्रस्तुत करने को कहा।

सिरीसेना, राजपक्षे से पहले राष्ट्रपति थे। वह इस महीने की शुरूआत में करीब 40 अन्य सांसदों के साथ दलबदल करने से पहले सत्तारूढ़ दल के सांसद थे। हालांकि, प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के प्रवक्ता रोहन वेलीविता ने कहा कि राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री को हटाने के किसी इरादे से अवगत नहीं कराया है और यदि ऐसा कदम उठाया जाता है उस बारे में फैसले की घोषणा की जाएगी। इससे पहले, महिंदा राजपक्षे ने अपने मंत्रिमंडल में फेरबदल किया था और प्रदर्शन को खत्म करने की कोशिश के तहत एक मिलीजुली सरकार गठित करने का प्रस्ताव दिया था। दोनों राजपक्षे बंधु, राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री पर अपने-अपने पदों पर काबिज हैं जबकि उनके परिवार के तीन अन्य सदस्यों ने अप्रैल की शुरूआत में मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था, जो गुस्साये प्रदर्शनकारियों को शांत करने की एक कोशिश प्रतीत होती है।

इस बीच, राष्ट्रपति ने (अपने) सत्तारूढ़ एसएलपीपी गठबंधन के असंतुष्ट सांसदों के समूह को अभूतपूर्व आर्थिक संकट से निपटने के लिए एक अंतरिम सरकार के गठन के वास्ते उनके प्रस्ताव पर विपक्षी दलों से वार्ता शुरू करने को कहा। सिरीसेना के एसएलएफपी का एक प्रतिनिधिमंडल अंतरिम सरकार गठित करने की अपनी मांग पर जोर देने के लिए सुबह में राष्ट्रपति से मिला। बाद में, राष्ट्रपति ने सत्तारूढ़ गठबंधन से अलग हो चुके एक अन्य असंतुष्ट खेमे के साथ बातचीत की। राष्ट्रपति कार्यालय के अधिकारियों ने बताया कि राजनीतिक दल पांच सदस्यीय एक समिति गठित करने के लिए राजी हुए हैं, जो मुख्य विपक्षी एसजेबी और अन्य विपक्षी दलों से बातचीत करेगी। राष्ट्रपति ने अंतरिम सरकार बनाने के लिए उनसे 225 सदस्यीय संसद में 113 सांसदों का समर्थन जुटा कर अपना बहुमत दिखाने को कहा।

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