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पूर्व जजों ने जारी किया पत्र, कहा- समलैंगिक विवाह वैध करने का समाज पर होगा विनाशकारी प्रभाव

समलैंगिक विवाह (Same Gender Marriage) पर जस्टिस एसएन ढींगरा समेत 21 पूर्व जजों ने एक बयान जारी किया है. इसमें उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर संसद और विधानसभा में चर्चा होनी चाहिए. पूर्व जजों ने समलैंगिक विवाह पर सुप्रीम कोर्ट में हो रही सुनवाई से असहमति जताते हुए यह बयान जारी किया है.

अलग-अलग हाईकोर्ट के पूर्व जजों ने अपने बयान में कहा कि यह हमारी ठोस राय है कि समाज से जुड़े ऐसे संवेदनशील मुद्दों पर व्यापक स्तर पर बहस संसद और राज्य विधानसभा में होनी चाहिए. इस तरह का कानून बनाने से पहले समाज की राय लेनी चाहिए. कानून को समाज की इच्छा का प्रतिनिधित्व करना चाहिए, क्योंकि सिर्फ कुछ संभ्रांत वर्ग इस इच्छा को पूरा नहीं करता. पूर्व जजों ने कहा कि हम सम्मानपूर्वक समाज के जागरूक सदस्यों से आग्रह करते हैं ऐसा करना भारतीय समाज और संस्कृति के हित में है.

परिवार व्यवस्था कमजोर होगी: पूर्व जज

दरअसल समलैंगिक विवाह के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है. वहीं पूर्व जजों ने अपने पत्र में कहा कि इससे परिवार व्यवस्था कमजोर होगी और समाज गलत प्रभाव पड़ेगा. उन्होंने कहा कि हमारे देश में शादी का मतलब सिर्फ शारीरिक इच्छा को पूरा करना नहीं है. बल्कि यह दो परिवारों के बीच सामाजिक, धार्मिक और संस्कारों का गठबंधन है. साथ ही दो अलग-अलग लिंग के लोगों के बीच शादी के बाद होने वाली संतान भी समाज के लिए जरूरी है. पूर्व जजों ने कहा कि इस तरह की व्यवस्था का विरोध होना चाहिए.

समलैंगिक विवाह भारतीय संस्कृति पर हमला

पूर्व न्यायधीशों ने अपने पत्र में कहा कि हजारों सालों से भारतीय संस्कृति पर हमले होते रहे हैं, लेकिन फिर भी आज तक वो बची हुई है. लेकिन अब एक बार फिर कुछ लोग पश्चिमी सभ्यता को भारतीय संस्कृति पर थोपना चाहते हैं, जो देश और समाज के लिए ठीक नहीं है.

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