फिनलैंड ने हंगरी और तुर्किये से नाटो आवेदन स्वीकार करने का किया आग्रह
फिनलैंड की प्रधानमंत्री सना मारिन ने नाटो की सदस्यता को लेकर हंगरी और तुर्कि से अपील की है। सना मारिन ने मंगलवार को हंगरी और तुर्किये से स्वीडिश और फिनिश के नाटो आवेदन को जल्द से जल्द स्वीकृती देने का आग्रह किया है। बता दें कि हंगरी और तुर्की ही केवल दो ऐसे नाटो सदस्य हैं जिन्होंने अभी तक आवेदनों की पुष्टि नहीं की है।
सभी की निगाहें तुर्की-हंगरी पर टिकीं
सना मारिन ने अन्य नॉर्डिक नेताओं के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा, “सभी की निगाहें अब हंगरी और तुर्की पर टिकी हैं। हम इन देशों के हमारे आवेदनों की पुष्टि करने की प्रतीक्षा कर रहे हैं। मुझे लगता है कि यह महत्वपूर्ण होगा कि यह जल्द से जल्द हो।” इस बैठक में आइसलैंड के प्रधानमंत्री कैटरीन जैकब्सडॉटिर, नॉर्वे के प्रधानमंत्री जोनास गहर स्टोएरे, फ़िनलैंड की प्रधानमंत्री सना मारिन और स्वीडन के प्रधान मंत्री उल्फ़ क्रिस्टर्सन भी शामिल थे।
एर्दोगन ने दी थी धमकी
इससे पहले पिछले महीने तुर्की की संसद में बोलते हुए राष्ट्रपति एर्दोगन ने कहा था कि अगर वे उनसे किए गए अपने वादे पूरे नहीं करते हैं तो वे नाटो गठबंधन में शामिल होने के उनके प्रयासों को रोक देंगे। एर्दोगन ने कहा, हमने बारीकी से इस बात को परखा है कि क्या स्वीडन और फिनलैंड द्वारा नाटो में शामिल होने की एवज में किए गए वादों को पूरा किया गया था। उन्होंने कहा कि जब तक हमारे देश से किए गए वादे पूरे नहीं किए जाते, तब तक हम अपनी सैद्धांतिक स्थिति को बनाए रखेंगे। अंतिम निर्णय हमारी संसद द्वारा लिया जाएगा।
मई में दोनों देशों ने किया आवेदन
बता दें कि नाटो यानी कि उत्तर अटलांटिक संधि संगठन अमेरिका, कनाडा और कई पश्चिमी यूरोपीय देशों का एक सैन्य संगठन है। इसकी स्थापना अप्रैल, 1949 में हुई थी। गौरतलब है कि नाटो में शामिल होने के लिए संगठन के सभी 30 सदस्य देशों द्वारा नाटो सदस्यता आवेदनों को मंजूरी दी जानी जरूरी है। अब तक हंगरी और तुर्की को छोड़कर सभी नाटो सदस्य देशों ने स्वीडन और फिनलैंड की सदस्यता को मंजूरी दे दी है। फरवरी में रूस द्वारा यूक्रेन पर किए गए आक्रमण के बाद दोनों नॉर्डिक देशों ने दशकों से चले आ रहे सैन्य गुटनिरपेक्षता को त्याग कर मई में नाटों में शामिल होने का आवेदन दिया था।