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ईडी के संयुक्त निदेशक राजेश्वर सिंह का वीआरएस स्वीकृत, भाजपा में होंगे शामिल; लखनऊ या सुलतानपुर से चुनावी मैदान में ठोंकेगे ताल

लखनऊ: प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) के संयुक्त निदेशक राजेश्वर सिंह (Rajeshwar Singh) का इस्तीफा मंजूर हो गया है। राजेश्वर सिंह जल्द ही भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) में शामिल हो सकते हैं। ऐसी संभावना जताई जा रही है कि बीजेपी उन्हें यूपी विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार भी बना सकती है। उन्होंने इस्तीफा स्वीकार होने के एक सार्वजनिक पत्र जारी कर बीजेपी के प्रति अपने लगाव का भी जिक्र किया है। राजेश्वर सिंह (Rajeshwar Singh News) ने 10 साल उत्तर प्रदेश पुलिस और 14 साल प्रवर्तन निदेशालय में सेवा दी है। उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान 2-जी स्पैक्ट्रम आवंटन घोटाला, अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर डील, एयरसेल मैक्सिस घोटाला, आम्रपाली घोटाला, नोएडा पोंजी स्कीम घोटाला और गोमती रिवरफ्रंट घोटाला जैसे कई हाईप्रोफाइल मामलों की जांच की है। वे असीम अरूण के बाद दूसरे ऐसे नौकरशाह बनेंगे जिन्होंने नौकरी छोड़कर बीजेपी जॉइन की है।

राजेश्‍वर सिंह वही हैं, जिन्‍होंने सहारा प्रमुख सुब्रत राय को हाउसिंग फाइनेंस के नाम पर लोगों से गैर-कानूनी तरीके से 24000 करोड़ लेने के आरोप में जेल भिजवा दिया था। वहीं, एयरसेल-मैक्सिस डील को हरी झंडी देने के लिए तब के वित्त मंत्री पी चिदंबरम को पानी पिला दिया। इनके अलावा बतौर ईडी ऑफिसर राजेश्‍वर सिंह 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले, कोयला घोटाले, कॉमनवेल्थ गेम्स स्कैम जैसे केस की जांच में शामिल रहे हैं। उन्‍होंने छह महीने पहले प्रवर्तन निदेशालय से वीआरएस देने का अनुरोध किया था। वीआरएस के लिए आवेदन के वक्‍त राजेश्‍वर ईडी लखनऊ जोन के संयुक्त निदेशक के रूप में कार्यरत थे। उनकी गिनती सुपरकॉप में होती है।

राजेश्‍वर सिंह 1996 बैच के पीपीएस अधिकारी हैं। लखनऊ में डिप्टी एसपी के रूप में तैनाती के दौरान उन्हें इनकाउन्टर स्पेशलिस्ट माना जाता था। वर्ष 2009 में राजेश्वर सिंह प्रतिनियुक्ति पर ईडी में चले गए थे। वहां भी उन्होंने कई महत्वपूर्ण केस साल्व किये। राजेश्वर सिंह के नाम 13 एनकाउंटर हैं, जिसके जरिए वह खूंखार और कट्टर अपराधियों को कटघरे तक पहुंचाने में सफल हुए। यूपी पुलिस ज्‍वाइन करने के 14 महीने में ही उन्होंने अपनी एक अलग पहचान बना ली थी। इसमें कोई हैरानी की बात नहीं कि उन्हें उनके काम के दम पर एनकाउंटर स्पेशलिस्ट’ और ‘साइबर जेम्स बॉन्ड’ की उपाधियों से नवाजा जाने लगा था।

संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) और कांग्रेस को मुश्किल में डालने वाले प्रवर्तन निदेशालय (ED) के संयुक्त निदेशक रहे राजेश्वर सिंह यूपी के सुल्तानपुर जिले के पखरौली के मूल निवासी हैं। उन्‍होंने इंडियन स्कूल ऑफ माइन्स धनबाद से इंजीनियरिंग में ग्रेजुएट राजेश्वर सिंह ने लॉ और ह्यूमन राइट्स में भी डिग्री ली है। 1996 बैच के पीपीएस अधिकारी हैं। लखनऊ में डिप्टी एसपी के रूप में तैनाती के दौरान उन्हें एनकाउंटर स्पेशलिस्ट माना जाता था। वर्ष 2009 में राजेश्वर सिंह प्रतिनियुक्ति पर ईडी में चले गए थे। वहां भी उन्होंने कई महत्वपूर्ण केस साल्व किये।

इनके एक भाई और एक बहन इनकम टैक्स कमिश्नर हैं। बहनोई राजीव कृष्ण आईपीएस हैं और आगरा ज़ोन के एडीजी हैं। इनके दूसरे बहनोई वाई पी सिंह भी आईपीएस थे और उन्होंने भी वीआरएस ले लिया था। राजेश्वर सिंह के पिता भी पुलिस विभाग में थे और डीआईजी के पद से रिटायर हुए थे। राजेश्वर सिंह की पत्नी लक्ष्मी सिंह भी आईपीएस अधिकारी हैं और इस समय लखनऊ रेंज की आईजी हैं। राजेश्वर सिंह माइनिंग इंजीनियरिंग में बीटेक हैं लेकिन इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बाद वे पुलिस सेवा में आ गए।

कांग्रेस की यूपीए सरकार में वर्ष 2010 से 2018 तक हुए कामनवेल्थ गेम में हुए घोटाले और कोल डिपो के आवंटन में हुई अनियमितता की जांच भी इनके द्वारा की गयी। साथ ही अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकाप्टर डील में हुई अनियमितता के मामले में जिसमें तत्कालीन केन्द्रीय मंत्री पी. चिदंबरम और उनके बेटे कीर्ति चिदम्बरम का नाम शामिल होने का मामला आया था। उसमें भी इनके द्वारा कार्यवाही की गयी। इसके अलावा मुख्यमंत्री रहे ओम प्रकाश चौटाला, मधु कोड़ा और जगन मोहन रेड्डी के खिलाफ चल रही जांच का भी यह हिस्सा रहे। अपने एक लम्बे समय की प्रवर्तन निदेशालय लखनऊ में तैनाती के बाद भी राजेश्वर सिंह की सेवा में अभी 12 साल थे। सरकार ने वर्ष 2018 में इनके खिलाफ एक जांच की शुरुआत किया लेकिन जांच में इनके खिलाफ कुछ भी नहीं मिला।

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