जनसामान्य को वैक्टर जनित रोगों से बचाने के उद्देश्य से जिला मलेरिया विभाग एक्शन में
ग्रेटर नोएडा संवाददाता, जन सामान्य को वेक्टर जनित रोगों से बचाने के उद्देश्य से मुख्य चिकित्सा अधिकारी गौतमबुद्धनगर के नेतृत्व में मच्छर जनित रोगों के संचरण काल और डेंगू के प्रसार को देखते हुये डेंगू, मलेरिया कालाजार एवं अन्य संक्रामक रोगों के रोकथाम एवं नियन्त्रण को कठोरता से लागू किया जा रहा है, जिसके लिये जिला मलेरिया अधिकारी की टीमें सभी सरकारी, गैर सरकारी कार्यालय व संस्थानों, कार्यस्थलों, निर्माणाधीन परिसरों व आवासीय परिसरों का निरंतर निरीक्षण करेंगी। इसी क्रम में जिला मलेरिया अधिकारी गौतमबुद्धनगर ने समस्त निजी, सरकारी अथवा अर्द्ध सरकारी चिकित्सालयों का आह्वान करते हुए जानकारी दी है कि सभी वैक्टर जनित रोगों जैसे मलेरिया व डेंगू या किसी अन्य संक्रामक रोग से पीड़ित रोगियों की सूचना मुख्य चिकित्सा अधिकारी या नोडल अधिकारी संक्रामक रोग को अनिवार्य उपलब्ध कराएं। उन्होंने बताया कि कोई भी व्यक्ति ऐसा कोई प्रवाहहीन अथवा प्रवाहशील जल संग्रह नहीं करेगा या अनुरक्षित नहीं करेगा जिसमें मच्छर पैदा होते हों अथवा पैदा होने की संभावना हो तथा ऐसे क्षेत्र के अन्तर्गत जल संग्रह नहीं करेगा, न ही करने देगा और न होने देगा, जिससे मच्छर पैदा होते हो या पैदा होने की संभावना हो, जब तक कि ऐसा जल संग्रह मच्छरों के पैदा होने के संबंध में प्रभावी रूप से सुरक्षित न कर लिया गया हो। उन्होंने कहा कि किसी नये भवन (निजी सरकारी अथवा अर्द्ध सरकारी) का अध्यासन (पजेशन) तब तक प्राप्त नहीं करेगा, जब तक कि ऐसे परिसरों में मच्छर रोधी प्रणाली से संबंधित आवश्यकताओं के संबंध में नियन्त्रण अधिकारी से प्रमाण पत्र प्राप्त न कर लिया हो। किसी प्रवाहहीन या प्रवाहशील जल में मच्छरों के लार्वा और प्यूपा का पाया जाना यह प्रमाण होगा कि मच्छर परिसर /संस्थान /कार्यालय में विद्यमान ऐसे जल में पैदा हो रहे हैं।उन्होंने बताया कि निरीक्षण अधिकारी मच्छर पैदा होने या पैदा होने को संभावना वाले प्रवाहहीन अथवा प्रवाहशील जल संग्रह वाले स्थान के स्वामी अथवा अधिभोगी को लिखित नोटिस देकर उल्लेखित अवधि जो 24 घंटों से कम न होगी के अन्तर्गत भौतिक रसायनिक जैविक अथवा अन्य पद्धति अपना कर उपाय करने की अपेक्षा की जायेंगी। उन्होंने बताया कि यदि उपरोक्त के अधीन वह व्यक्ति जिसे नोटिस दिया गया है उल्लेखित समय में विनिर्दिष्ट उपाय करने या उपचार की पद्धति को ग्रहण करने में विफल होता है या इन्कार करता है तो निरीक्षण अधिकारी स्वयं ऐसा उपाय कर सकता है और ऐसा करने के लिये यथा स्थिति स्वामी अथवा अधिभोगी से छोटे मकान के लिए 100 रुपए प्रति प्रजनन स्थल, बड़े मकान के लिए 500 रुपए प्रति प्रजनन स्थल, छोटे कार्यालय/संस्थान के लिए 1000 रुपए प्रति प्रजनन स्थल एवं बड़े कार्यालय/संस्थान के लिए 5000 रुपए एक मुश्त वसूली के लिए निर्देशित करेगा तथा अधिरोपित धनराशि चालान के द्वारा सरकारी मद में स्वामी तथा अधिभोगी द्वारा जमा करवायी जाएगी।उन्होंने यह भी बताया कि वसूली मकान, कार्यालय व संस्थानों का प्रकार, वहां रहने वाले एवं कार्यरत कर्मचारियों की संख्या, जिनके रोग से प्रभावित होने की संभावना पर निर्भर करेगी एवं विनियमावली के उप विनियम 20 के अन्तर्गत विनियम के किसी भी उपबंध के आधीन जारी किसी आदेश अथवा अध्यापेक्षा की अवज्ञा करने वाले अथवा किन्हीं उपायों में व्यवधान पैदा करने वाले को भारतीय दंड संहिता की धारा 188 के अधीन अपराधी माना जाएगा और तदनुसार वह दंड का भागी होगा।