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Uttarakhand Congress के नाराज विधायकों को मनाने के बावजूद दिलों में खिंचाव बाकी, अब सोनिया गांधी से करेंगे मुलाकात

उत्तराखंड (Uttarakhand) में कांग्रेस के प्रदेश संगठन के अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष के पदों पर नई नियुक्तियों से असंतुष्ट विधायकों को मनाने में पार्टी को मिली शुरुआती सफलता के बाद शुक्रवार को कुछ विधायकों की देहरादून में अनौपचारिक बैठक हुई. बताया जा रहा है कि नाराज विधायकों के रूख में नरमी आयी है. लेकिन वह मुद्दे को नहीं छोड़ना चाहते हैं. जानकारी के मुताबिक इस बैठक में पिथौरागढ़ के धारचूला से सबसे मुखर विधायक हरीश धामी शामिल नहीं हुए. वहीं विधायक अब कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) से मुलाकात करने का योजना बना रहे हैं. ताकि उन्हें राज्य की मौजूदा स्थिति से रूबरू कराया जा सके.

असल में राज्य में कांग्रेस नेतृत्व विधायकों की नाराजगी को दूर करने में जुटा है. विधायकों ने अपने रूख में नरमी भी दिखाई है. लेकिन वह असल मुद्दे को छोड़ना नहीं चाहते हैं. विधायकों का साफ कहना है कि पार्टी ने आलाकमान ने वरिष्ठ नेताओं की अनदेखी की है. राज्य में कांग्रेस आलाकमान ने 10 अप्रैल को नई नियुक्तियां की थी और उसके बाद विधायकों के साथ-साथ पार्टी नेताओं के एक वर्ग के बीच नाराजगी पैदा हो गई थी. लेकिन माना जा रहा है कि नवनियुक्त प्रदेशाध्यक्ष करण माहरा और नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य विधायकों से बातचीत करने में सफल रहे हैं और धीरे धीरे उनकी नाराजगी को कम कर रहे हैं. यशपाल इस सिलसिले में पार्टी के करीब चार विधायकों से मिल चुके हैं.

कांग्रेस विधायक के घर पर हुई बैठक

जानकारी के मुताबिक शुक्रवार को देहरादून में द्वाराहाट से विधायक मदन सिंह बिष्ट के आवास पर विधायकों की बैठक हुई. ये बैठक लगातार टल रही थी और मदन सिंह बिष्ट ने विधायकों को लंच पर बुलाया था. बताया जा रहा है कि बिष्ट के घर पर हुई बैठक में पूर्व नेता प्रतिपक्ष व चकराता विधायक प्रीतम सिंह, प्रतापनगर विधायक विक्रम सिंह नेगी, पूर्व विधायक विजयपाल सजवाण व राजकुमार के साथ ही खटीमा से विधायक भुवन कापड़ी भी मौजूद थे.

गढ़वाल की उपेक्षा का आरोप

वहीं प्रदेश कांग्रेस के पूर्व उपाध्यक्ष सुरेंद्र कुमार ने गढ़वाल की उपेक्षा को लेकर राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखा है. उन्होंने लिखा है कि संगठन में गढ़वाल की उपेक्षा में हस्तक्षेप कर सुधार किया जाना चाहिए और अगर ऐसा नहीं होता होता है तो आने वाले दिनों में पार्टी को नुकसान हो सकता है. असल में प्रदेश अध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष और उपनेता प्रतिपक्ष तीनों ही कुमाऊं क्षेत्र से आते हैं. लिहाजा पार्टी में गढ़वाल क्षेत्र को समुचित प्रतिनिधित्व देने की मांग की जा रही है.

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