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Delhi High Court: दिल्ली सरकार को लगी फटकार, कोर्ट ने कहा- जानबूझकर अदालतों के बजट में हो रही कटौती

नई दिल्ली। उपभोक्ता फोरम, आयोग व निचली अदालताें में महिलाओं के पीने के पानी और शौचालय सहित बुनियादी सुविधाओं की कमी पर दिल्ली हाईकोर्ट ने बृहस्पतिवार को दिल्ली सरकार को आड़े हाथ लेते हुए तल्ख टिप्पणियां की हैं।

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन व न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की पीठ ने टिप्पणी की कि दिल्ली सरकार केवल हमारी अदालतों के बजट में कटौती करने में रुचि रखता है और यह जानबूझकर किया जा रहा है। यही वजह है कि हर चीज के लिए हमें आदेश के लिए सुप्रीम कोर्ट जाना पड़ता है।

दरवाजा खटखटाने के लिए मजबूर

मुख्य पीठ ने कहा कि उपभोक्ता फोरम में महिला शौचालय नहीं हैं और सरकार जानबूझकर न्यायिक बुनियादी ढांचे के साथ ऐसा कर रही है। अदालत ने दाे टूक कहा कि सरकार इस तरह अदालतों पर दबाव नहीं डाल सकती। यही वजह है कि हमें न्यायिक परियोजनाओं के लिए अपने बजट को मंजूरी दिलाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने के लिए मजबूर होना पड़ा।

पीठ ने कहा कि अस्पतालों और अदालतों और यहां तक कि जल निकासी व्यवस्था सहित प्रत्येक विभागों के मामले में हाई कोर्ट को हस्तक्षेप करना पड़ता है क्योंकि दिल्ली सरकार से बहुत कम सहयोग मिल रहा है।

सरकार अधिकारियों की नियुक्ति नहीं करती

अदालत ने यह भी कहा कि सरकार न्यायाधिकरणों में अधिकारियों की नियुक्ति नहीं करती। सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता सत्यकाम ने कहा कि इस संबंध में छोटी सी रिपोर्ट दाखिल की है। इसके जवाब में पीठ ने कहा कि रिपोर्ट छोटी है और जमीनी स्तर पर काम शून्य है। अदालत ने अधिवक्ता से सवाल किया कि क्या सभी जिला उपभोक्ता फोरम में महिला शौचालय है? अदालत ने कहा कि जिला फोरम और राज्य आयोग में महिला शौचालय क्यों उपलब्ध नहीं हैं? यह बहुत अनुचित और बहुत बुरा है।

इस पर सत्यकाम ने कहा कि राज्य उपभोक्ता आयोग को शौचालय निर्माण के लिए लोक निर्माण विभाग को आदेश जारी करना होगा। साथ ही अदालत को आश्वासन दिया कि तीन सप्ताह के भीतर जिला और राज्य उपभोक्ता फोरम पर शौचालय और अन्य बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध करा दी जाएंगी।

मामले में अगली सुनवाई 23 अप्रैल को

अदालत ने स्पष्ट किया कि दिल्ली सरकार का खाद्य आपूर्ति और उपभोक्ता मामले विभाग राज्य आयोग के किसी भी आदेश पर जोर दिए बिना बुनियादी ढांचा प्रदान करेगा। मामले में अगली सुनवाई 23 अप्रैल को होगी। पिछली सुनवाई पर अदालत ने दिल्ली सरकार को सभी समस्याओं को ठीक करने, रिक्तियों को भरने और उपभोक्ता अदालतों में न्यायिक अधिकारियों, वादियों और वकीलों को सभी सुविधाएं प्रदान करने के लिए समय दिया था।

संगम सिंह कोचर की जनहित याचिका पर सुनवाई

अदालत उपभोक्ता अदालतों की निराशाजनक स्थिति को उजागर करने वाली याचिकाकर्ता संगम सिंह कोचर की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही है। उन्होंने कहा कि अदालतों में अपर्याप्त कर्मचारी हैं और उचित बुनियादी ढांचे का अभाव है।

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