Delhi: सिग्नल न मिलने के कारण दया बस्ती के पास रुकी थी ट्रेन, तभी हुआ कुछ ऐसा कि अधेड़ के कट गए दोनों पैर
नई दिल्ली। राजधानी में रेलवे लाइन किनारे अवैध रूप से बसी झुग्गियों में रहने वाले बदमाशों ने रेलवे यात्रियों का जीना मुहाल कर रखा है। रेलवे की जमीन पर कब्जा कर लोगों ने यहां पक्की झुग्गियां बना रखी हैं। इन झुग्गियों के पास रात तो दूर दिन में भी जैसे ही कोई ट्रेन सिग्नल न मिलने के कारण रुकती है अथवा धीमी हो जाती है। झुग्गियों में रहने वाले असामाजिक तत्व रेलवे यात्रियों के पर्स, मोबाइल व सोने की चेन आदि झपट कर फरार हो जाते हैं।
चलती ट्रेन में भी बदमाश यात्रियों को शिकार बना डालते हैं। इतना ही नहीं बदमाश ट्रेनों में चढ़कर यात्रियों से लूटपाट व चोरी की वारदात भी करते हैं।
सबसे अधिक वारदात दया बस्ती के पास होती है, क्योंकि यहां रेलवे लाइन किनारे हजारों की संख्या में अवैध रूप से झुग्गियां बसी हैं। ताजा हैरान करने वाला मामला भी दया बस्ती का ही सामने आया है। सिग्नल न मिलने के कारण दया बस्ती के पास रुकी आला हजरत ट्रेन में सवार एक अधेड़ सामान लेकर एक बागी के दरवाजे पर आकर खड़े हो गए थे।
तभी एक झपटमार ने उनका एक बैग झपट लिया। छीना झपटी के दौरान वे नीचे गिर पड़े तभी ट्रेन भी चल पड़ी, जिससे उनके दोनों पैर कट गए।
जानकारी के अनुसार, पीड़ित का नाम गंगजी(56) है। वह परिवार के साथ शास्त्री नगर में रहते हैं। गंगजी के बेटे कमल ने बताया कि बीते 16 जनवरी को वह पिता गंगजी, मां व सात साल की बहन के साथ गुजराज गया था। 17 जनवरी को वे लोग वापस दिल्ली लौट आए। दोपहर करीब 2.30 बजे सिग्नल न मिलने के
कारण आला हजरत ट्रेन दया बस्ती के पास रुक गई थी। तभी गंगजी सामान लेकर गेट पर आकर खड़े हो गए थे ताकि स्टेशन आते ही वे लोग जल्द सामान लेकर उतर सके। उसी दौरान एक झपटमार ने उनके हाथ से बैग झपट लिया। छीना झपटी के दौरान गंगजी ट्रेन से नीचे गिर गए। तभी अचानक ट्रेन चल पड़ी। जिससे उनके दोनों पैरों पर रेल के पहिए गुजरने से पैर कट गए। आनन-फानन उनके बेटे ने चेन खींचकर ट्रेन रुकवाई।
गंगजी के बेटे का आरोप है कि घटना के बाद उसने रेलवे पुलिस से स्ट्रेचर मुहैया कराने के लिए काफी अनुरोध किया किंतु उन्होंने स्ट्रेचर देने से यह कहकर मना कर दिया कि स्ट्रेचर स्टेशन तक के लिए ही दी जा सकती है। रेलवे पुलिस ने उनके पिता को अस्पताल पहुंचाने में भी मदद करने की भी कोशिश नहीं की।
रेलवे पुलिस का कहना था कि उनका फोन पीसीआर को नहीं लग रहा है। गंगजी का बेटा सहायता के लिए रेलवे पुलिस से गुहार लगाता रहा। बाद में उसने अपने मकान मालिक को फोन कर स्टेशन पर बुलाया तब जाकर उन्हें अस्पताल पहुंचाया जा सका।